BHOPAL. मध्यप्रदेश में जिन लापता सरकारी अधिकारी-कर्मचारियों की तलाश हो रही थी आखिर उनका पता चल गया है। चार से छह माह से वेतन नहीं निकालने के बाद कर्मचारियों के लापता होने से प्रदेश में खलबली मची हुई थी। इस मामले में कोष एवं लेखा विभाग के आयुक्त के आदेश पर कोषालय अधिकारियों और वेतन आहरण अधिकारियों की जांच में कई अहम तथ्य सामने आए हैं। इस पड़ताल में प्रदेश में विभागीय स्तर पर जारी भर्राशाही भी उजागर हुई है। अब सरकार गैरजिम्मेदार अधिकारियों पर कार्रवाई की तैयारी कर रही है।
विपक्ष ने लगाए थे गड़बड़ी के आरोप
बीते माह वित्त विभाग के आईएफएमआईएस पोर्टल के डेटा से गड़बड़ी की आशंका सामने आई थी। इस डेटा से करीब 50 हजार ऐसे कर्मचारी सामने आए थे जिनका कहीं पता नहीं लग रहा था। पोर्टल के डेटा पर इन कर्मचारियों के एम्पलाई कोड के सामने उनकी सेवानिवृत्ति, प्रतिनियुक्ति, सेवा छोड़ने या दिवंगत होने का भी उल्लेख दर्ज नहीं किया गया था। इस वजह से कोष एवं लेखा विभाग में हड़कंप मच गया था। अधिकारियों द्वारा वेतन के नाम पर बड़ी गड़बड़ी की आशंका भी जताई जा रही थी। वहीं विपक्ष में बैठे कांग्रेस नेताओं द्वारा भी कर्मचारी लापता होने की आड़ में बड़े भ्रष्टाचार को अंजाम देने के आरोप सरकार पर लगाए गए थे।
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कोषालय की पड़ताल में सामने आई वजह
आयुक्त कोष एवं लेखा विभाग के निर्देश के बाद जिला स्तर पर कोषालय और विभागों के वेतन आहरण अधिकारियों के जरिए आईएफएमआईएस पोर्टल के डेटा का सत्यापन कराया जा रहा था। इसकी पड़ताल में कई जानकारियां सामने आई है जिससे साफ हो गया है कि जिन 50 हजार कर्मचारियों को लापता बताया जा रहा था वे दरअसल विभिन्न वजहों से अब शासकीय सेवा में नहीं हैं। ये गड़बड़ी विभागीय अधिकारियों की लापरवाही के कारण हुई थी। विभागों द्वारा पोर्टल पर दर्ज की जाने वाली कर्मचारी संबंधी जानकारी बीते कई महीनों से अपडेट ही नहीं की गई थी।पोर्टल पर नए सिरे से जानकारी दर्ज कर संशोधन करने का काम भी शुरू कर दिया गया है।
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ऐसे चला लापता कर्मचारियों का पता
दरअसल कोषालय एवं वेतन आहरण अधिकारियों की पड़ताल में सामने आया है कि जिन 44918 अधिकारी_कर्मचारियों द्वारा दिसम्बर 2024 के बाद वेतन नहीं निकाला गया उनमें से 21461 दिवंगत हुए हैं। वहीं 4654 अब प्रतिनियुक्ति पर दूसरे विभाग में कार्यरत हैं। इनमें से 483 कर्मचारियों पर विभिन्न अनियमितताओं की वजह से निलंबन की कार्रवाई की गई है। जबकि 10985 कर्मचारी सेवानिवृत्त हो चुके हैं या फिर त्याग पत्र देकर सेवा से बाहर हो चुके हैं। जबकि कुछ की सेवा समाप्ति के आदेश भी जारी किए गए हैं। 1656 अधिकारियों_ कर्मचारियों का वेतन शासन के आदेश पर रोका गया है। वहीं फ्री_पूल के कारण 2342 और अन्य तकनीकी कारणों से 3269 कर्मचारियों को वेतन नहीं दिया गया है।