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पूरी खबर को 5 पॉइंट में समझें...
इटारसी से आमला के बीच 130 किमी नई पटरी बिछाई जा रही है।
इस प्रोजेक्ट पर कुल 2 हजार 525 करोड़ रुपए खर्च होंगे।
मरामझिरी-धाराखौह घाटी में 4 बड़ी रेल सुरंग बनाई जाएंगी।
बैतूल और नर्मदापुरम के 290 किसानों को मुआवजे का वितरण हो चुका है।
2026 तक इस रूट का एक बड़ा हिस्सा शुरू होने की उम्मीद है।
मध्य प्रदेश के रेल यात्रियों के लिए एक बहुत बड़ी खुशखबरी सामने आई है। इटारसी से नागपुर रूट पर सफर अब और भी ज्यादा सुखद होने वाला है। रेलवे प्रशासन इटारसी से आमला के बीच तीसरी रेल लाइन बिछाने में जुटा है। यह 130 किलोमीटर लंबा प्रोजेक्ट पूरे इलाके की सूरत बदल देगा।
अभी इस रूट पर ट्रेनों को घंटों तक सिग्नल का इंतजार करना पड़ता है। नई लाइन बिछने से ट्रेनें तेज चलेंगी और समय पर पहुंचेंगी।
क्यों खास है ये प्रोजेक्ट?
इस प्रोजेक्ट की कुल लागत करीब 2 हजार 525 करोड़ रुपए है। भोपाल से इटारसी तक का काम लगभग पूरा हो चुका है। अब पूरा फोकस इटारसी-आमला के पहाड़ी और कठिन रास्तों पर शिफ्ट हो गया है। रेलवे अधिकारियों का मानना है कि यह प्रोजेक्ट 2026 तक पूरा हो जाएगा। इससे मालगाड़ियों और यात्री ट्रेनों के बीच होने वाला टकराव पूरी तरह खत्म होगा।
पहाड़ काटकर बनेगी सुरंग
इस प्रोजेक्ट का सबसे कठिन हिस्सा मरामझिरी-धाराखौह का घाट सेक्शन है। यहां ऊंचे पहाड़ और गहरी खाइयां रेलवे के काम में बड़ी बाधा बनती हैं। इस बाधा को दूर करने के लिए रेलवे चार सुरंगें बना रहा है। इन सुरंगों की कुल लंबाई लगभग 1.40 किलोमीटर होने वाली है।
पहाड़ काटकर रास्ता बनाने का काम तेजी से चल रहा है। इन सुरंगों को सुरक्षित बनाने के लिए नई टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल हो रहा है।
361 पुलों का होगा निर्माण
रेलवे लाइन (इटारसी आमला रेल लाइन) बिछाने के लिए केवल पटरी ही काफी नहीं होती है। इस 130 किमी के रास्ते में कुल 361 छोटे-बड़े पुल बनाए जाएंगे। वर्तमान में इटारसी से आमला के बीच मिट्टी बिछाने का काम चल रहा है। रेल पटरियों के लिए एक मजबूत बेस तैयार किया जा रहा है।
बारिश के मौसम में भी ट्रैक सुरक्षित रहे, इसका विशेष ध्यान रखा गया है। नई लाइन मौजूदा रेल लाइन के बिल्कुल समानांतर ही बिछाई जा रही है।
290 किसानों को मिला मुआवजा
जमीन अधिग्रहण की प्रोसेस अक्सर बड़े प्रोजेक्ट्स में देरी का कारण बनती है। शुरुआत में नर्मदापुरम और बैतूल जिलों में जमीन को लेकर कुछ अड़चनें आईं। अब बैतूल जिले के 40 गांवों से जमीन अधिग्रहित कर ली गई है।
लगभग 290 किसानों की 16.036 हेक्टेयर जमीन इस रेल प्रोजेक्ट का हिस्सा बनी है। रेलवे ने सभी प्रभावित किसानों को मुआवजा दे दिया है। ।
नई रेल लाइन से नए रोजगार
यह रेल प्रोजेक्ट (railway project) केवल पटरियों तक ही सीमित नहीं रहने वाला है। इससे बैतूल और होशंगाबाद जैसे जिलों की अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी। बेहतर कनेक्टिविटी होने से नए उद्योगों के लिए रास्ते खुलेंगे और रोजगार बढ़ेगा।
मालगाड़ियों की आवाजाही तेज होने से कोयला और अन्य सामग्री जल्दी पहुंचेगी। इससे बिजली उत्पादन और अन्य औद्योगिक इकाइयों को भी काफी ज्यादा फायदा होगा।
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