नील तिवारी, JABALPUR. पनागर विधानसभा के ग्राम पंचायत कुडारी से एक वीडियो सामने आया, जिसमें मनरेगा में बच्चे काम करते दिख रहे थे। इस वीडियो की पड़ताल करने जब हमारी टीम इस गांव में पहुंची तो अंधेर नगरी-चौपट राजा वाला मुहावरा चरितार्थ होते हुए दिखा। भले ही इस गांव से बाल श्रमिकों का वीडियो वायरल हुआ हो, लेकिन यहां बाल श्रम के अलावा भी ऐसे कई समस्याएं हैं जो यहां की अंधेर नगरी को उजागर करती हैं। इस गांव में मौजूद पंच से लेकर ग्रामीणों ने गांव के सरपंच और पंचायत की कार्यप्रणाली पर गंभीर आरोप लगाए हैं।
पहला मामला - निर्माण कार्य में बच्चों से काम
कुडारी ग्राम पंचायत कार्यालय के ठीक सामने 2 लाख रुपए की लागत से एक घाट का निर्माण हो रहा है। सांसद निधि से हो रहे इस निर्माण कार्य में बच्चों से काम कराया जा रहा है। जिसका वीडियो गांव के ही कुछ नागरिकों ने बनाया है। इस वीडियो में नाबालिग बच्चे तसले से गिट्टी ढोते और सीमेंट का मसाला बनाते नजर आ रहे हैं। विडियो बनाने के बाद ग्रामीणों ने बकायदा इन बच्चों की जानकारी सहित एक पंचनामा बनाया। जिसमें ग्रामीणों सहित ग्राम कोटवार के भी हस्ताक्षर लिए गए, ताकि भविष्य में इस वीडियो को झुठलाया ना जा सके।
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सरपंच ने किया इनकार, मां ने बताई सच्चाई
जब इस मामले की पड़ताल करने जब द सूत्र की टीम कुडारी ग्राम पंचायत पहुंची तो ग्राम सरपंच ने इस वीडियो को सिरे से खारिज कर दिया। लेकिन जब काम कर रहे बच्चों की मां से बात कि गई तो उन्होंने पूरी सच्चाई बयां कर दी। महिला ने बताया कि जब भी उन्हें कोई अन्य काम होता है तो उनके बदले में उनके बच्चे काम करते हैं, जिनका दैनिक वेतन उन्हें मिलता है। यह वीडियो सामने आने के बाद इस बात से भी इनकार नहीं किया जा सकता, अन्य श्रमिकों के बच्चे भी इसी तरह मजदूरी करते होंगे। लेकिन सवाल ये है कि इस तरह बाल मजदूरी को बढ़ावा दे रहे ग्राम पंचायत के सरपंच सहित सचिव पर बालश्रम कानून के अंतर्गत कोई कार्यवाही होगी ?
एडीएम मीना ने कहा- मामले की सहायक श्रमायुक्त को जानकारी देंगे
इस मामले के बारे में जब एडीएम शेर सिंह मीना से बात की गई तो उन्होंने कहा कि वे सहायक श्रम आयुक्त को इस घटना के संबंध में जानकारी देंगे और यदि किसी कानून का उल्लंघन पाया जाता है तो आवश्यक कार्यवाही भी होगी।
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दूसरा मामला - गांव की नहर कच्ची, लेकिन सरपंच की नाली पक्की
गांव की ही महिला पंच गना बाई ने सरपंच पर आरोप लगाते हुए कहा कि सरपंच के घर के बाहर निस्तार की जो नाली सूखी पड़ी रहती है। उसे सरपंच ने पक्का करवा लिया है, लेकिन जिस नहर से गांव के खेतों को पानी मिलता है वो अभी भी कच्ची है। उसे बनवाने के लिए कई बार महिला पंच ने सरपंच को कहा, लेकिन उनके मुताबिक सरपंच, पंचायत की बैठकों में विकास कार्य के लिए उनकी सहमति नहीं ली जाती। सरपंच अपने मनपसंद काम पारित करवा लेते हैं और गांव के विकास को अनदेखा कर देते हैं। गना बाई के मुताबिक उन्होंने अपने घर के सामने की नाली स्वयं के खर्च से बनवाई जबकि सरपंच के घर के बाहर पक्की नाली पंचायत के खर्चे पर बनी है।
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तीसरा मामला – नल जल योजना के नलों में नहीं आता पानी
गांव की अन्य महिलाओं ने नल जल योजना में हो रही अनियमितता के बारे में बात करते हुए कहा कि वे हर महीने 50 रुपए का शुल्क चुकाते हैं। लेकिन फिर भी उन्हें नल-जल योजना का लाभ नहीं मिल पा रहा है। उनके घरों में जो नल लगे हुए हैं, उसमें से आधे तो केवल दिखावे के लिए हैं और बाकी नलों में हफ्ते में दो दिन पानी आता है और जो पीने के लिए ही पूरा नहीं पड़ता। इसलिए गांव की सभी महिलाएं गांव के हैंडपंप से पानी भरती हैं।
चौथा मामला -बीस दिन पुरानी सड़क से झड़ रही सीमेंट
गांव के मुख्य तिराहे से गांव के अंदर लगभग 20 दिन पहले बनाई सड़क की सीमेंट अभी से झड़ने लगी है। गांववालों के मुताबिक इस सड़क को बनाने में जमकर भ्रष्टाचार हुआ है। उनका कहना है कि इससे अच्छी तो पहले की कच्ची सड़क थी, कम से कम धूल का गुबार तो नहीं उड़ता था। सोचने वाली बात ये है कि इस सड़क को बनाने की लागत का कहीं भी जिक्र नहीं है। यहां तक कि गांव की महिला पंच को भी इसकी लागत के बारे में कोई जानकारी नहीं है। महिला पंच का कहना है कि सरपंच उनके कम पढे़-लिखे होने का फायदा उठाकर कहीं भी अंगूठा लगवा लेते हैं।
पांचवा मामला – मोटर सरकारी, लेकिन सरपंच के खेतों को दे रही पानी
ग्रामीणों के मुताबिक पंचायत निधि से एक पानी की मोटर खरीदी गई थी। जिसका इस्तेमाल नल-जल योजना के तहत लोगों के घरों तक पानी पहुंचाने के लिए किया जाना था, लेकिन सरपंच की दबंगई के चलते ये मोटर सरपंच के कुएं में लगी है और इसका उपयोग सिर्फ सरपंच के खेतों में सिंचाई के लिए किया जा रहा है।
छंटवा मामला – औचित्यहीन कचराघर
गांव की स्वच्छता का ध्यान रखते हुए गांव में जिन कचराघरों का निर्माण पंचायत निधि से करवाया गया था। उनमें से अधिकतर ऐसी जगह पर बने हुए हैं जिनके आसपास आवास ही नहीं है। मात्र कुछ माह पहले बने कचराघरों में बड़ी-बड़ी दरारें पंचायत के भ्रष्टाचार की पोल खोल रही हैं।
इन सब मामलों के बारे में जब हमने सरपंच से बात करनी चाही तो वे अस्थायी रूप से सामुदायिक भवन में चल रहे पंचायत कार्यालय को ताला लगाकर वहां से नदारद हो गए।