डकैत के एनकाउंटर करने वालों से उनका ही विभाग कर रहा अन्याय

जबलपुर में 2005 में हुई मुठभेड़ में डकैत भैयन को मार गिराने वाली टीम के जाबांज सिपाहियों को आज तक उनका पुरस्कार नहीं मिला क्योंकि मामले की मजेस्ट्रीयल जांच को 12 साल बाद भी पुलिस विभाग मानने को तैयार नहीं है।

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Jitendra Shrivastava
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नील तिवारी, JABALPUR. एनकाउंटर शब्द से तो सभी वाकिफ़ है।अक्सर एनकाउंटर के सही और गलत होने पर सवाल भी उठते ही रहते हैं और इनकी सत्यता की जांच भी होती है, लेकिन मध्यप्रदेश में मजेस्ट्रीयल जांच में सच साबित होने के बाद भी पुलिस विभाग खुद अपने कर्मी से अन्याय करता हुआ नजर आ रहा है। और इस मुठभेड़ में अपनी जान को जोखिम में डालकर सक्रिय भूमिका में रहने वाले कांस्टेबल सुधीर दुबे और ASI शिव हरि पांडे को आउट ऑफ टर्म प्रमोशन देने से इनकार कर रहा है।

2005 में हुई मुड़भेड़ में हुआ था डकैत का एनकाउंटर

टीकमगढ़ जिले और आसपास के इलाके में 90 के दशक से ही डकैत शिवचरण यादव उर्फ भैयन आतंक का पर्याय बना हुआ था। उसके ऊपर हत्या, हत्या के प्रयास, डकैती, किडनैपिंग जैसे कई मामले दर्ज थे। डकैत भैयन 12 साल तक पुलिस को चकमा देकर अपराधों को अंजाम देता रहा था। पुलिस ने डकैत को जिंदा या मुर्दा पकड़ने पर 15 हजार का इनाम भी घोषित किया था। फरवरी 2005 में पुलिस को भैयन की पुख्ता सूचना मिली। सिमरा पुलिस थाने में एक टीम गठित कर इस डकैत को पकड़ने की प्लानिंग की गई। ASI शिवहरि और कॉन्स्टेबल सुधीर भी इस टीम का हिस्सा थे। 28 फरवरी 2005 को इस टीम के साथ डकैत भैयन की मुठभेड़ हुई। इसी दौरान डकैत की और से ASI शिवहरि पांडेय और कॉन्स्टेबल सुधीर दुबे पर फायर कर दिया जिसमें वह बाल-बाल बचे। इस मुड़भेड़ में पुलिस टीम ने डकैत को मार गिराया था। दुर्दांत डकैत के अंत के बाद टीकमगढ़ के पुलिस अधीक्षक ने इस ऑपरेशन में जांबाजी दिखाने के इनाम के तौर पर सुधीर दुबे और शिवहरि को आउट ऑफ टर्म प्रमोशन देने के लिए अनुमोदित किया था।

मुठभेड़ की हुई थी मजिस्ट्रीयल जांच

डकैत के साथ हुई इस मुठभेड़ की मजिस्ट्रियल जांच भी साल 2006 में पूरी हुई। निवाड़ी के सब डिविजनल ऑफीसर, एग्जीक्यूटिव मजिस्ट्रेट के द्वारा की गई इस जांच की रिपोर्ट में भी यह कहा गया था कि सुधीर दुबे और शिवहरि ने अपने कर्तव्य के प्रति बहादुरी के साथ निष्ठा दिखाई है और वह प्रशंसा और पुरस्कारों के हकदार हैं। तत्कालीन पुलिस अधीक्षक के द्वारा दिए गए मेमोरेंडम में भी यह विशेष रूप से लिखा गया कि पुलिस थाना सिमरा की पूरी पुलिस पार्टी ने डकैती को मार गिराने में सराहनीय काम किया है।

6 साल इंतजार के बाद प्रोमोशन हुआ रिजेक्ट

9 मार्च 2005 को टीकमगढ़ के सुपरिटेंडेंट ने सुधीर दुबे सहित शिवहरि पांडे को आउट ऑफ टर्म प्रमोशन देने के लिए रिकमेंड किया था। इस रिकमेंड पर डिप्टी इंस्पेक्टर जनरल छतरपुर ने नोट लिखा था की क्योंकि यह दावा विवादास्पद है इसलिए आउट ऑफ टर्म प्रमोशन पर विचार नहीं किया जा सकता। जिसकी जानकारी कांस्टेबल सुधीर दुबे को साल 2011 में मिल सकी जिसके बाद उन्होंने न्यायालय का दरवाजा खटखटाया।

मजिस्ट्रियल जांच के ऊपर कैसे हो सकती है कमेटी, जवाब दें DGP

इस मामले में दो बार हाइकोर्ट में याचिका दायर की गई। याचिकाकर्ता सुधीर दुबे ने 2011 में ही हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी जिसकी सुनवाई के बाद साल 2022 में यह निष्कर्ष निकाला था की याचिकाकर्ता को पुलिस विभाग के द्वारा लिए गए निर्णय की जानकारी समय पर नहीं मिली है। इसलिए नए सिरे से निर्णय लिया जाए जिसे चुनौती देने के लिए याचिकाकर्ता मुक्त होगा। छह सदस्यों की कमेटी के द्वारा आउट ऑफ ट्रंप टर्म प्रमोशन न दिए जाने के फैसले के बाद दोबारा हाईकोर्ट में याचिका लगाई गई। जस्टिस विवेक अग्रवाल की एकलपीठ के सामने इस सुनवाई में डायरेक्टर जनरल ऑफ पुलिस ने एफिडेविट देते हुए बताया कि इस मामले में 6 सदस्यीय कमेटी गठित की गई थी। इस कमेटी के सदस्य Addl. DG (SAF), IG (Nuxal Elimination), IG (CID), DIG और Assitant DG थे। इस कमेटी की रिपोर्ट पेश करते हुए कोर्ट को बताया गया की कमेटी के द्वारा याचिकाकर्ता के आउट ऑफ टर्म प्रमोशन को खारिज कर दिया गया है। न्यायालय ने इस पर प्रश्न किया कि जब इस मामले में 2006 में ही मजिस्ट्रियल जांच हो चुकी है तो फिर उसके उपर कमेटी कैसे जांच कर सकती है। इसके बाद जस्टिस विवेक अग्रवाल ने डायरेक्टर जनरल ऑफ पुलिस को आदेशित किया कि वह एक नया हलफनामा कोर्ट के समक्ष प्रस्तुत करें जिसमें वह यह बताएं कि 6 सदस्यों की जांच कमेटी कैसे मजिस्ट्रियल इंक्वायरी का स्थान ले सकती है।

क्या होता है आउट ऑफ टर्म प्रमोशन

मध्य प्रदेश के पुलिस रेगुलेशन 70-A डकैती विरोधी अभियान में शामिल, राष्ट्रपति गैलेंट्री मेडल पाने वाले कर्मी या अपनी सेवाओं में सराहनीय काम करने वाले पुलिस कर्मियों को आउट ऑफ टर्म प्रमोशन दिया जा सकता है। जिसके लिए डायरेक्टर जनरल ऑफ पुलिस से अप्रूवल लेकर पुलिस अधीक्षक कांस्टेबल को प्रमोट कर सकते हैं तो वहीं असिस्टेंट सब इंस्पेक्टर पद पर कार्यरत कर्मी को प्रमोट करने के लिए डिप्टी इंस्पेक्टर जनरल को डायरेक्टर जनरल ऑफ पुलिस से अप्रूवल लेना होता है। जिसके जरिए सराहनीय कार्य करने वाले पुलिसकर्मियों को आउट ऑफ टर्म प्रमोशन दिया जाता है।

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