दशहरा चल समारोह में चली गोलियां, मची भगदड़–पुलिस ने पहले किया इनकार, अब जांच का दावा

जबलपुर के कांचघर इलाके में दशहरा चल समारोह के दौरान राजनीतिक विवाद के कारण गोलियां चलीं, पथराव हुआ और भगदड़ मची। पुलिस ने पहले घटना से इनकार किया, लेकिन वीडियो वायरल होने के बाद जांच का दावा किया।

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Neel Tiwari
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Photograph: (THESOOTR)

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JABASLPUR. शहर के कांचघर इलाके में शुक्रवार देर रात दशहरा चल समारोह उस वक्त दहशत में बदल गया, जब अचानक राजनीतिक विवाद ने हिंसक रूप ले लिया। दो पक्षों के बीच सड़क पर खुलेआम गोलियां चलीं, पथराव हुआ और भगदड़ मच गई। भीड़ में अफरा-तफरी का माहौल इतना बढ़ गया कि लोग इधर-उधर भागने लगे। इस दौरान कई लोग घायल होने से भी बचे।

हालांकि, जबलपुर में चली गोलियां के बाद पुलिस ने थोड़ी ही देर में स्थिति को संभालते हुए “सब कुछ सामान्य” होने का दावा कर दिया। जानकारी के अनुसार कांचघर दशहरा चल समारोह के स्वागत के लिए एक और कांग्रेस विधायक लखन घनघोरिया का मंच लगा था और दूसरी और भाजपा के पूर्व विधायक अंचल सोनकर के समर्थकों का मंच था। जब कांग्रेस विधायक लखन घनघोरिया भाजपा के मंच के पास से गुजरे तभी किसी बात पर वाद विवाद शुरू हुआ और दोनों ओर से पथराव के साथ फायरिंग भी की गई।

मंच से गाया देशभक्ति गीत, मगर सवालों से घिरी पुलिस

मौके पर पहुंचे एडिशनल एसपी सूर्यकांत शर्मा ने मंच से ही देशभक्ति गीत गाकर माहौल को सामान्य करने की कोशिश की। उन्होंने दावा किया कि दोनों पक्षों के नेताओं ने भी अपने-अपने कार्यकर्ताओं को संभाला और स्थिति नियंत्रण में आ गई। लेकिन सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे वीडियो ने पुलिस की ‘शांति कहानी’ पर सवाल खड़े कर दिए। वीडियो में साफ दिखाई दे रहा है कि भगदड़ और पथराव के बीच विधायक भी फंसे हुए थे और उनके बेहद करीब खड़ा एक शख्स गोलियां चला रहा था।

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पहले पुलिस ने किया इनकार, अब जांच का हवाला

मामले की शुरुआत में पुलिस जांच में गोलियां चलने की घटना से साफ इनकार कर दिया। लेकिन जैसे ही वीडियो वायरल हुए और मीडिया ने सवाल उठाए, पुलिस ने रुख बदलते हुए “जांच की जाएगी” कहकर मामले को ठंडे बस्ते में डालने की कोशिश शुरू कर दी। खास बात यह है कि अभी तक किसी अज्ञात व्यक्ति के खिलाफ भी मामला दर्ज नहीं किया गया है।

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राजनीतिक दबाव में पुलिस या लापरवाही?

दशहरे जैसे बड़े धार्मिक और सांस्कृतिक आयोजन में अवैध हथियार तो दूर अगर लाइसेंसी हथियार से भी फायरिंग की गई है, तो भी यह कानूनन अपराध है। इसके बावजूद पुलिस द्वारा कोई कार्रवाई न किया जाना राजनीतिक दबाव और कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े कर रहा है।

सुरक्षा व्यवस्था पर भी बड़ा प्रश्नचिह्न लग गया है कि जब इस तरह के आयोजन में पुलिस मौजूद होते हुए गोलियां चल सकती हैं, तो आमजन की सुरक्षा कितनी मजबूत है? अब देखना होगा कि जबलपुर पुलिस वायरल वीडियो के सबूतों के बावजूद क्या कार्रवाई करती है, या फिर मामला सिर्फ “जांच जारी है” कहकर दबा दिया जाएगा।

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