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जबलपुर से हवाई यात्रियों को राहत मिलने की उम्मीद अब एक बार फिर कोर्ट से बंधी है। मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने राज्य सरकार और एयरलाइंस कंपनियों के अधिकारियों के बीच जल्द संयुक्त बैठक की उम्मीद जताई है। साथ ही अगली सुनवाई के लिए 30 जुलाई की तारीख तय कर दी है।
यह सुनवाई उस जनहित याचिका पर हो रही है जो नागरिक उपभोक्ता मंच के जरिए दायर की गई थी। इसमें जबलपुर से देश के अन्य बड़े शहरों के लिए उड़ानों की संख्या बढ़ाने की मांग की गई है।
राज्य ने नहीं की अब तक बैठक
1 जुलाई को एक्टिंग चीफ जस्टिस संजीव सचदेवा और जस्टिस विनय सराफ की डिविजनल बेंच में इसकी सुनवाई हुई। इस दौरान जब राज्य सरकार की ओर से बताया गया कि प्रस्तावित संयुक्त बैठक अब तक नहीं हो सकी है, तो कोर्ट ने हैरानी जताई।
कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा कि राज्य को बैठक बुलाकर ठोस निर्णय लेना चाहिए था। सरकार की ओर से वकील ने चार सप्ताह का समय मांगा और कोर्ट ने इसे स्वीकार करते हुए 30 जुलाई को अगली सुनवाई निर्धारित की।
हाइटेक एयरपोर्ट, लेकिन फ्लाइट की किल्लत
जहां एक ओर जबलपुर एयरपोर्ट का 412 करोड़ रुपये की लागत से उन्नयन हो चुका है। वहीं दूसरी ओर उड़ानों की संख्या लगातार घटती जा रही है। साल 2021 में जबलपुर से दिल्ली, मुंबई, बेंगलुरु, पुणे, सूरत और हैदराबाद के लिए कुल 10 फ्लाइट्स नियमित रूप से उड़ान भरती थीं। स्पाइसजेट और अलायंस एयर जैसी कंपनियां कई प्रमुख शहरों को जबलपुर से जोड़ती थीं।
लेकिन आज की स्थिति देखें तो हालात निराशाजनक हैं। वर्तमान में जबलपुर से केवल दिल्ली, मुंबई, बेंगलुरु, हैदराबाद, बिलासपुर और इंदौर के लिए कुल मिलाकर 7 फ्लाइट्स ही चल रही हैं। कुछ समय पहले शुरू हुई भोपाल की फ्लाइट भी अब बंद हो चुकी है।
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नो फ्लाइट डे मनाकर किया था अनूठा प्रदर्शन
जबलपुरवासियों ने उड़ानों की घटती संख्या को लेकर सोशल मीडिया और सड़कों पर अनोखे अंदाज में विरोध दर्ज किया था। नो फ्लाइट डे आंदोलन के जरिए नागरिकों ने एयरपोर्ट पर सन्नाटा दिखाकर यह संदेश दिया था कि उड़ानों की किल्लत शहर के विकास में बाधक बन रही है। यह मुद्दा तब और गंभीर हो गया जब उन्नत एयरपोर्ट के बाद भी नई फ्लाइट्स शुरू नहीं की गई।
मंत्री से मुलाकातें भी नहीं लाई नतीजे
राज्य सरकार में PWD मंत्री और जबलपुर के विधायक राकेश सिंह ने भी विमान कंपनियों के प्रतिनिधियों से बातचीत की थी। उनके प्रयासों की खबरें भी मीडिया में आई। लेकिन अब तक कोई ठोस नतीजा सामने नहीं आया है। हकीकत यही है कि जबलपुर के हाईटेक एयरपोर्ट को देश के बाकी बड़े शहरों से जोड़ने वाली फ्लाइट्स की संख्या न केवल अपर्याप्त है, बल्कि घटती जा रही है।
एयर कनेक्टिविटी बढ़ाने का वादा
हाईकोर्ट की पिछली सुनवाई (14 मई) में राज्य सरकार ने बताया था कि मध्य प्रदेश सिविल एविएशन पॉलिसी, 2025 को अधिसूचित कर दिया गया है। इस नीति के अंतर्गत एयरलाइंस कंपनियों को राज्य के अंदर और खासकर जबलपुर जैसे शहरों में उड़ान सेवाएं बढ़ाने के लिए प्रोत्साहन दिए जाएंगे। इसके लिए एयरलाइंस और अधिकारियों के बीच संयुक्त बैठक करने का वादा भी किया गया था, लेकिन 1 जुलाई की सुनवाई तक ऐसी कोई बैठक नहीं हो सकी।
अब निगाहें 30 जुलाई की सुनवाई पर टिकीं
हाईकोर्ट ने उम्मीद जताई है कि अगली सुनवाई से पहले राज्य सरकार और एयरलाइंस कंपनियों के उच्च अधिकारी आपस में बैठक कर उड़ानों में बढ़ोतरी की दिशा में कोई ठोस कदम उठाएंगे। कोर्ट की इस सख़्ती और जनता की लगातार आवाज़ से यह उम्मीद ज़रूर की जा सकती है कि जल्द ही जबलपुर से उड़ान भरने वाले विकल्पों की संख्या फिर से बढ़ेगी।
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