अस्पताल में जारी किया डेथ सर्टिफिकेट, 66 वर्षीय मरीज आईसीयू में जीवित मिला

मध्य प्रदेश के जबलपुर के नेताजी सुभाष चंद्र बोस मेडिकल कॉलेज एवं सरकारी अस्पताल में डॉक्टरों की बड़ी लापरवाही देखने को मिली। यहां डॉक्टरों ने एक जिंदा व्यक्ति को मृत घोषित कर दिया। उन्होंने मरीज को कागजों में मृत दिखा दिया।

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Ravi Singh
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Jabalpur Government Hospital
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मध्य प्रदेश के जबलपुर में एक बेहद चौंकाने वाली घटना सामने आई, जिसने सभी को स्तब्ध कर दिया। एक 66 वर्षीय मरीज को अस्पताल ने मृत घोषित कर दिया था, परिजन अंतिम संस्कार की तैयारी कर रहे थे, यहां तक कि डेथ सर्टिफिकेट भी जारी हो चुका था। लेकिन जब परिवार वाले शव लेने पहुंचे, तो वे यह देखकर अवाक रह गए कि जिस व्यक्ति को मृत बताया गया था, वह आईसीयू में जीवित था और सांस ले रहा था।

कैसे हुआ यह चमत्कार?

घटना जबलपुर के नेताजी सुभाष चंद्र बोस मेडिकल अस्पताल की है, जहां इस बुजुर्ग मरीज को गंभीर हालत में भर्ती कराया गया था। कुछ घंटों बाद अस्पताल प्रशासन ने परिवार को सूचित किया कि मरीज की मृत्यु हो चुकी है और आधिकारिक रूप से डेथ सर्टिफिकेट भी जारी कर दिया गया। जैसे ही परिजन शोक में अस्पताल पहुंचे, तो डॉक्टरों ने बताया कि मरीज अभी भी जीवित है और वेंटिलेटर पर है।

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परिजनों का गुस्सा और अस्पताल की सफाई

परिजनों ने medical अस्पताल प्रशासन पर घोर लापरवाही का आरोप लगाते हुए नाराजगी जाहिर की। उन्होंने सवाल उठाया कि बिना उचित जांच-पड़ताल किए अस्पताल ने डेथ सर्टिफिकेट कैसे जारी कर दिया? इस घटना के बाद अस्पताल प्रबंधन की ओर से सफाई दी गई कि यह एक "गंभीर मेडिकल एरर" था और इस पर जांच की जाएगी।

स्वास्थ्य विभाग करेगा जांच

इस घटना की खबर फैलते ही स्वास्थ्य विभाग ने मामले को संज्ञान में लिया और अस्पताल प्रशासन से विस्तृत रिपोर्ट मांगी है। इस बात की भी जांच होगी कि मरीज के स्वास्थ्य को लेकर इतनी बड़ी चूक कैसे हुई और जिम्मेदार लोगों पर क्या कार्रवाई होनी चाहिए।

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परिजनों की भावनाएं - शोक से खुशी तक

जहां एक तरफ परिवार वाले अपने प्रियजन को खोने के दुख में डूब चुके थे, वहीं जब उन्होंने देखा कि वह जीवित है, तो यह उनके लिए किसी चमत्कार से कम नहीं था। एक रिश्तेदार ने कहा, "हमारे लिए यह किसी भगवान के आशीर्वाद से कम नहीं है। हम तो अंतिम संस्कार की तैयारियां कर रहे थे, लेकिन अब उनकी जान बचाने के लिए प्रार्थना कर रहे हैं।"

मेडिकल सिस्टम पर गंभीर सवाल

यह घटना मेडिकल सिस्टम की विश्वसनीयता पर सवाल खड़े करती है। डॉक्टरों की गलती से परिवार वाले गहरे सदमे में आ सकते थे। अगर समय पर यह गलती पकड़ में न आती, तो क्या मरीज को जिंदा रहते ही मृत मानकर छोड़ दिया जाता? यह सोचकर ही रोंगटे खड़े हो जाते हैं। यह घटना न केवल जबलपुर बल्कि पूरे देश के अस्पतालों के लिए एक चेतावनी है कि जीवन और मृत्यु की जानकारी देने में सतर्कता और गहन जांच की आवश्यकता होती है। फिलहाल, मरीज की हालत स्थिर बताई जा रही है, और पूरा परिवार उसकी सेहत में सुधार की कामना कर रहा है।

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