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Photograph: (the sootr)
JABALPUR. जबलपुर के पनागर रेपुरा में 7 घोड़ों की मौत हो चुकी है। हैदराबाद से लाए 57 घोड़ों के मामले में FIR भी दर्ज हो चुकी है। शुरुआती एफआईआर में 19 घोड़ों की मौत का जिक्र किया गया था।
मामला मध्य प्रदेश हाईकोर्ट में भी चल रहा है, लेकिन घोड़ों की मौत अब भी लगातार जारी है। यह जानकारी जबलपुर हाईकोर्ट में इस मामले की सुनवाई के दौरान सामने आई। ये भी बता दें कि ये सभी घोड़े सचिन तिवारी हैदराबाद से लाए थे।
हाईकोर्ट की निगरानी में आया मामला
हैदराबाद से जबलपुर लाए गए 57 घोड़ों में से कई की मौत हो चुकी है। इसके बाद अब यह मामला न केवल प्रशासनिक जांच के दायरे में है, बल्कि मध्यप्रदेश हाईकोर्ट की निगरानी में भी आ गया है।
ताजा सुनवाई में कोर्ट ने इस पूरे प्रकरण को बेहद गंभीर माना है। साथ ही प्रतिवादी पक्ष को घोड़ों की वास्तविक स्थिति का ब्योरा शपथपत्र के माध्यम से पेश करने का निर्देश दिया है।
इस मामले में आज 11 नवंबर 2025 को जस्टिस संजीव सचदेवा और जस्टिस विनय सराफ की डिवीजन बेंच में सुनवाई हुई। कोर्ट ने शासन को पहले ही स्टेटस रिपोर्ट पेश करने के निर्देश दिए थे। लेकिन प्रतिवादी पक्ष की ओर से अधिवक्ता ने बताया कि सचिन गुप्ता का एक्सीडेंट हो गया है, इसलिए रिपोर्ट दाखिल करने के लिए समय मांगा गया।
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... वरना नहीं बचेगा एक भी घोड़ा
कोर्ट ने दो हफ्ते का समय देते हुए रिपोर्ट पेश करने की अनुमति दी। शुरू में अगली सुनवाई जनवरी के लिए तय की जा रही थी, लेकिन इस बीच याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने बताया कि मामले की सुनवाई के दौरान ही और 7 घोड़ों की मौत हो चुकी है। उन्होंने कोर्ट से आग्रह किया कि अगर सुनवाई जनवरी में रखी गई तो “तब तक तो बचे हुए घोड़े भी शायद जीवित न रहें।”
अब 3 दिसंबर को होगी सुनवाई
कोर्ट ने याचिकाकर्ता की दलीलों को गंभीरता से लेते हुए सुनवाई की तारीख आगे बढ़ाकर 3 दिसंबर 2025 तय की। इसके साथ ही अदालत ने प्रतिवादी सचिन तिवारी को निर्देश दिया कि वे हलफनामा (शपथपत्र) के माध्यम से यह स्पष्ट करें कि वर्तमान में कितने घोड़े जीवित हैं, उनकी मेडिकल कंडीशन, इलाज और रखरखाव की स्थिति क्या है, और आगे उनकी सुरक्षा के लिए क्या कदम उठाए गए हैं।
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जबलपुर आए थे कुल 57 घोड़े
आधिकारिक एफआईआर के अनुसार, हैदराबाद स्थित Hetha Net India Private Limited ने सचिन तिवारी निवासी जबलपुर के जरिए 29 अप्रैल से 3 मई 2025 के बीच कुल 57 घोड़ों का सड़क मार्ग से परिवहन किया।
आरोप है कि इस परिवहन की सूचना न तो जिला प्रशासन को दी गई और न ही पशुपालन विभाग को। हैरानी की बात यह रही कि यह सारा काम सिर्फ ग्राम पंचायत रेपुरा की अनुमति के आधार पर कर लिया गया।
विशेषज्ञों का कहना है कि घोड़ों का इस तरह बिना रजिस्ट्रेशन और पासपोर्ट के परिवहन करना न सिर्फ गैरकानूनी है, बल्कि जानवरों की सुरक्षा के लिहाज से भी गंभीर लापरवाही है।
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बीमारी के बाद घोड़ों की मौत का सिलसिला
ग्राम रेपुरा पहुंचने के कुछ ही दिनों बाद घोड़ों में बीमारी और संक्रमण की शिकायतें सामने आने लगीं। पशु चिकित्सक दल की रिपोर्ट में बताया गया कि कई घोड़े उच्च ज्वर (High Grade Pyrexia), सुस्ती (Lethargy), शरीर पर घाव और खून बहने जैसी स्थिति में थे। इससे इलाज के दौरान भी लगातार मौतें होती रहीं।
कब-कब थमी घोड़ों की सांसें...
जांच रिपोर्ट के अनुसार, कई घोड़ों की मौत प्रशासन और पशुपालन विभाग की निगरानी में ही हुई-
- 09 मई 2025, सुबह 8:15 बजे: अश्व क्रमांक P-15 (मिल माटा) की मौत, गंभीर घाव और बुखार से जूझ रहा था।
- 14 मई 2025, सुबह 10:57 बजे: अश्व क्रमांक P-52 (Through bred, उम्र 9 वर्ष) की मौत, शरीर पर नोड्यूल्स और नाक से खून आ रहा था।
- 15 मई 2025, सुबह 5:43 बजे: अश्व क्रमांक 405 (काले रंग का माटा घोड़ा) की मौत, लंगड़ापन और लैमिनाइटिस की आशंका थी।
- 16 मई 2025, सुबह 9:12 बजे: रेड टेंट शेड, ग्राम रेपुरा में एक और घोड़ा मृत पाया गया।
एफआईआर में अब तक कुल 19 घोड़ों की मौत दर्ज है, जबकि प्रशासन ने शुरुआती प्रेस विज्ञप्ति में केवल 8 मौतें स्वीकार की थीं। अब हाईकोर्ट में याचिकाकर्ता की ओर से दी गई जानकारी के अनुसार 7 घोड़ों की और मौत हो चुकी है।
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प्रशासन की प्रेस विज्ञप्ति और विरोधाभास
23 मई 2025 को जिला प्रशासन ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर दावा किया कि 57 में से 49 घोड़े पूरी तरह स्वस्थ हैं और सिर्फ 8 की मौत हुई है। साथ ही यह भी बताया गया कि सभी घोड़ों के ब्लड सैंपल हिसार स्थित राष्ट्रीय अश्व अनुसंधान केंद्र भेजे गए, जिनमें से 44 की रिपोर्ट निगेटिव आई है और 9 की रिपोर्ट अभी शेष है, लेकिन इसके बावजूद मौतें नहीं रुकी।
यही नहीं, प्रशासन की प्रेस विज्ञप्ति पर यह सवाल भी उठे कि जब शुरुआत से ही घोड़ों के पास जरूरी कागजात और पासपोर्ट नहीं थे, तब उन्हें जिले में प्रवेश ही क्यों दिया गया? अब यह मामला हाई कोर्ट की निगरानी पर है, और मामले की अगली सुनवाई में घोड़ों की मौत के मामले में कड़े निर्देश आने की संभावना है।
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