जज की कॉजलिस्ट में धाराओं की गलत जानकारी , HC ने रजिस्ट्रार को दिया जांच के आदेश

जबलपुर हाईकोर्ट में धारा 374 (CRPC) के मामले में इंडियन सकसेशन एक्ट लिखने पर जज ने रजिस्ट्रार को जांच के आदेश दिए। जस्टिस विवेक अग्रवाल ने इसे गंभीर गलती मानते हुए जिम्मेदार व्यक्ति के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई के आदेश दिए।

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Neel Tiwari
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Photograph: (THESOOTR)

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धारा 374 (CRPC) के मामले में इंडियन सकसेशन एक्ट लिखा देखकर जज ने पूछा कि "क्या नशे में बनाते हैं कॉजलिस्ट" और उसके बाद रजिस्ट्रार को जांच के आदेश दिए।

मध्यप्रदेश के जबलपुर हाईकोर्ट में आमतौर पर ऐसे वाक्ये सामने आते रहते हैं जब सिंगल बेंच के मामले भी डिविजनल बेंच में भेज दिए जाते हैं या फिर जजों के रोस्टर से अलग मामले उनके कॉज लिस्ट में दर्शा दिये जाते हैं। अमूमन इन मामलों को वापस सही बेंच में भेज दिया जाता है लेकिन आज जस्टिस विवेक अग्रवाल की बेंच ने एक ऐसा मामला सामने आया जिसमें की गई गलती को देखते हुए कॉज लिस्ट बनाने वाले जिम्मेदारों के ऊपर जांच बैठा दी गई। 

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पॉक्सो मामले की चल रही थी सुनवाई

जबलपुर हाईकोर्ट में जस्टिस विवेक अग्रवाल की डिविजनल बेंच में एक पोक्सो मामले की सुनवाई चल रही थी। यह अपील दोषसिद्धि के विरुद्ध की गई थी जो सीआरपीसी की धारा 374 के अंतर्गत आती है। इस मामले में तथ्यों और सबूत को देखते हुए बेंच ने आरोपी के ऊपर चल रहे मामले और पिछले आदेश को खारिज कर दिया, लेकिन तभी आर्डर देते समय जस्टिस अग्रवाल ने देखा की धारा 374 के मामले के आगे इंडियन सकसेशन एक्ट लिखा हुआ है। इसके बाद जज ने सरकारी अधिवक्ता से मौखिक टिप्पणी करते हुए पूछा कि क्या यह लोग शराब के नशे में कॉज लिस्ट बनाते हैं और उसके बाद उन्होंने अपने आदेश में ही रजिस्ट्रार को भी जांच के आदेश दे दिया। 

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रजिस्ट्रार करे जांच और जिम्मेदार व्यक्ति पर कार्यवाही 

जस्टिस अग्रवाल ने अपने आदेश में लिखा कि रजिस्ट्रार को निर्देशित किया जाता है कि वह इस बात की जांच करें कि कॉसलिस्ट में मामले की धाराओं में 374 (CRPC) के बाद कॉमा लगाकर "इंडियन सकसेशन एक्ट" कैसे लिखा गया। यह दर्शाता है कि कॉस लिस्ट बिना दिमाग का इस्तेमाल किये और बिना सोच समझ के तैयार की गई है। हाईकोर्ट ने आदेश दिया कि रजिस्टर इस कॉज लिस्ट को बनाने वाले व्यक्ति की जांच करें और इस तरह की गलती के लिए उसके ऊपर उचित अनुशासनात्मक कार्यवाही सुनिश्चित की जाए।

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