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मध्यप्रदेश हाईकोर्ट की मुख्य पीठ जबलपुर हाईकोर्ट में मंगलवार को जबलपुर की कमजोर एयर कनेक्टिविटी को लेकर अहम सुनवाई हुई। इस दौरान इंटरग्लोब एविएशन (इंडिगो) और अन्य विमान कंपनियों की ओर से यात्रियों के कमर्शियल डाटा और आरएफपी पर सीलबंद लिफाफे में रिपोर्ट अदालत को सौंपी गई। चीफ जस्टिस संजीव सचदेवा और जस्टिस विनय सराफ की खंडपीठ ने इस रिपोर्ट पर अगली सुनवाई 15 सितंबर को करने के निर्देश दिए।
सरकार ने दी थी नई उड़ानों की कोशिश की जानकारी
पिछली सुनवाई में राज्य सरकार की ओर से अदालत को बताया गया था कि प्रदेश के विभिन्न हवाई अड्डों से नई घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय उड़ानों की शुरुआत के लिए विमानन निदेशालय ने निविदा प्रक्रिया (टेंडर) जारी की है। सरकार ने दावा किया था कि इस प्रक्रिया से जल्द ही हवाई कनेक्टिविटी की समस्या का समाधान होगा।
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जनहित याचिका में लॉ स्टूडेंट है इंटरविनर
यह जनहित याचिका नागरिक उपभोक्ता मार्गदर्शक मंच की ओर से वर्ष 2024 में दायर की गई थी। इसके साथ ही विधि छात्र पार्थ श्रीवास्तव ने भी हस्तक्षेप दायर कर जबलपुर से एयर कनेक्टिविटी बढ़ाने की मांग उठाई। उनका कहना है कि जबलपुर से सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट की अन्य बेंचों तक पहुँचना बेहद कठिन हो गया है क्योंकि यहाँ उड़ानों की संख्या बेहद सीमित है।
उड़ानों की संख्या को लेकर जबलपुर से हो रहा भेदभाव
वरिष्ठ अधिवक्ता आदित्य संघी और दिनेश उपाध्याय ने अदालत के सामने कहा कि जबलपुर से वर्तमान में केवल 9 उड़ानें संचालित हो रही हैं, जबकि भोपाल एयरपोर्ट से प्रतिदिन 40 से अधिक उड़ानें हैं। हाल ही में जबलपुर से भोपाल और इंदौर की फ्लाइट्स भी बंद कर दी गई हैं। पहले यहाँ से मुंबई, पुणे, कोलकाता और बेंगलुरु जैसे बड़े शहरों के लिए उड़ानें संचालित होती थीं, लेकिन अब उनकी भी सुविधा समाप्त हो चुकी है।
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15 सितंबर को होगी अगली सुनवाई
हाईकोर्ट ने एयरलाइंस द्वारा पेश की गई सीलबंद रिपोर्ट पर विचार के लिए अगली तारीख 15 सितंबर तय की है। अब अदालत यह देखेगी कि एयरलाइंस और सरकार की ओर से दी गई योजनाओं से जबलपुर की एयर कनेक्टिविटी की समस्या किस हद तक हल हो सकती है।