JABALPUR. नए टैरिफ के निर्धारण में कंज्यूमर से लिया जा रहे डबल फ्यूल चार्ज का मामला अब हाइकोर्ट पहुंच गया है। नागरिक उपभोक्ता मंच ने आपत्ति जताते हुए इस मामले में याचिका दायर की है। जिसके बाद हाइकोर्ट ने विद्युत वितरण कंपनी सहित निमायक आयोग को नोटिस जारी कर 2 सप्ताह में जवाब मांगा है।
जबलपुर हाईकोर्ट में नागरिक उपभोक्ता मार्गदर्शक मंच के द्वारा दायर की गई याचिका में मध्य प्रदेश रेगुलेटरी कमीशन के नियम 2021 के नियम 9.2 असंवैधानिक बताया। साथ ही डबल फ्यूल चार्ज लिए जाने पर आपत्ति जताई गई। जिस पर कोर्ट के द्वारा विद्युत वितरण कंपनियों को इस याचिका में पक्षकार बनाए जाने के बाद निमायक आयोग और विद्युत वितरण कंपनियां को नोटिस जारी करते हुए याचिका में दायर आपत्तियां एवं मुद्दों से संबंधित जवाब को कोर्ट के पेश करने के लिए दो सप्ताह का समय दिया गया हैं।
संशोधित नियमों को बताया असंवैधानिक
जबलपुर में नागरिक उपभोक्ता मार्गदर्शक मंच के पीजी नाजपांडे और रजत भार्गव के द्वारा हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई है, जिसमें मध्य प्रदेश रेगुलेटरी कमीशन के नियम 2021 के नियम 9.2 को असंवैधानिक बताते हुए चुनौती दी गई है क्योंकि इस नियम के द्वारा इलेक्ट्रिसिटी नियम के धारा 61(4) को सीधे तौर पर हिट किया जा रहा है। साथ ही नए टैरिफ प्लान के निर्धारण में उपभोक्ता से डबल फ्यूल चार्ज लिए जाने पर भी आपत्ति जताई गई है।
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याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने कोर्ट में रखा पक्ष
नागरिक उपभोक्ता मार्गदर्शन मंच की ओर से अधिवक्ता दिनेश उपाध्याय ने कोर्ट को बताया कि मप्र रेगुलेटरी कमीशन एक्ट 2021 के नियम 9.2 इलेक्ट्रिसिटी नियम 61(4) के प्रावधानों को सीधे तौर पर हिट कर रही है, इसलिए इसे अल्ट्रा वायरस किया जाए क्योंकि इलेक्ट्रिसिटी नियम 61 की मूल धारा 4 में फ्यूल चार्ज को सामान्यता 1 साल में बढ़ाया जाएगा, लेकिन मध्य प्रदेश रेगुलेटरी एक्ट 2021 के नियम 9.2 के द्वारा जो संशोधन किया गया है। उसमें प्रत्येक महीने चार्ज को बढ़ाए जाने की प्रक्रिया को अपनाया गया है। साथ ही नए टैरिफ प्लान के निर्धारण में भी उपभोक्ता से डबल फ्यूल चार्ज लिया जा रहा है, क्योंकि विद्युत निमायक आयोग के RR (रूल्स एंड रेगुलेशंस) में मौजूद प्रावधानों के अनुसार फ्यूल चार्ज जो उपभोक्ता से लिया जाता है वह सेल्स चार्ज में जुड़ा रहता है, लेकिन संशोधित नियम 9.2 के तहत फिर से इस चार्ज को जोड़कर उपभोक्ताओं के साथ धोखाधड़ी की जा रही है। क्योंकि कानून के अनुसार किसी व्यक्ति से एक बिंदु पर दो बार चार्ज नहीं लिया जा सकता। इसलिए संशोधित याचिका दायर कर स्टे की मांग की जा रही है।
कोर्ट ने नोटिस जारी कर दो हफ्तों में मांगा जवाब
इस याचिका पर सुनवाई चीफ जस्टिस सुरेश कुमार कैत और जस्टिस विवेक जैन की डिवीजन बेंच में हुई जिसमें कोर्ट ने यह माना कि इस पूरे मामले में विद्युत वितरण कंपनियों का हित मौजूद है। इसीलिए विद्युत वितरण कंपनियों को पक्षकार बनाकर नोटिस जारी किया जाना जरूरी है। इसलिए मध्य प्रदेश विद्युत निमायक आयोग और मध्य प्रदेश विद्युत वितरण कंपनियों को नोटिस जारी करते हुए इस याचिका में मौजूद आपत्ति और मुद्दों पर जवाब दाखिल करने के लिए दो सप्ताह का समय दिया गया है।
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