अतिथि शिक्षकों के नियमितीकरण पर DPI ले 30 दिन में निर्णय- MP हाईकोर्ट

मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने अतिथि शिक्षकों के नियमितीकरण मामले में अहम फैसला सुनाया। जस्टिस संजय द्विवेदी ने DPI को 30 दिनों में सही फैसला लेने का आदेश दिया है। यह फैसला अतिथि शिक्षकों के लिए राहत लेकर आया है, लेकिन DPI की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े हैं।

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Neel Tiwari
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मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने अतिथि शिक्षकों के नियमितीकरण के मामले में एक अहम फैसला सुनाया है। जस्टिस संजय द्विवेदी की सिंगल बेंच ने 29 जनवरी 2025 को आदेश दिया कि लोक शिक्षण संचालनालय (DPI) 30 दिनों के भीतर कानून के मुताबिक सही फैसला ले। सालों से अपने भविष्य को सुरक्षित करने की लड़ाई लड़ रहे हजारों अतिथि शिक्षकों के लिए यह फैसला बड़ी राहत लेकर आया है। हालांकि, इस आदेश के बाद DPI की कार्यप्रणाली सवालों के घेरे में आ गई है, क्योंकि पहले भी कई बार इस मामले में फैसले को टालने के प्रयास किए गए हैं। अब देखना होगा कि विभाग हाईकोर्ट के निर्देश का पालन करता है या फिर कोई नया नियम लाकर प्रक्रिया को और जटिल बनाता है।

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अतिथि शिक्षकों के नियमितीकरण की लंबी लड़ाई

मध्य प्रदेश में हजारों Guest teacher सालों से सरकारी स्कूलों में पढ़ाने का काम कर रहे हैं, लेकिन अब तक उन्हें स्थायी नियुक्ति नहीं मिली है। ये शिक्षक समय-समय पर सरकार के सामने अपनी मांगें रखते आए हैं, लेकिन हर बार उन्हें किसी न किसी कारण से निराशा ही हाथ लगी है। कई बार तो भर्ती नियमों में इस तरह के बदलाव किए गए कि योग्य और अनुभवी शिक्षकों को भी बाहर का रास्ता दिखा दिया गया।

इन शिक्षकों ने अपनी स्थायी नियुक्ति के लिए कई बार आंदोलन किए, धरने-प्रदर्शन किए और सरकार से आश्वासन भी मिले, लेकिन कोई ठोस समाधान नहीं निकल सका। निराश होकर जब अतिथि शिक्षक न्याय की उम्मीद लेकर हाईकोर्ट पहुंचे, तो आखिरकार उन्हें एक महत्वपूर्ण फैसला मिला, जिसमें कोर्ट ने DPI को 30 दिनों के अंदर कार्रवाई करने के निर्देश दिए। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि इस फैसले के बाद विभाग का क्या रुख रहेगा।

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सालों से नियमितीकरण की राह देख रहे अतिथि शिक्षक

अतिथि शिक्षकों के स्थायीकरण की मांग कोई नई नहीं है। यह मामला सालों से सरकार और प्रशासन के बीच अटका हुआ है। इस संघर्ष के कुछ महत्वपूर्ण पड़ाव इस प्रकार हैं—

  • 2 सितंबर 2023 को तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने सार्वजनिक रूप से घोषणा की थी कि राज्य सरकार अतिथि शिक्षकों के लिए एक नीति बनाएगी। इससे शिक्षकों की उम्मीद जागी, लेकिन यह घोषणा सिर्फ कागजों तक ही सीमित रह गई। न तो कोई नीति बनी और न ही किसी ठोस योजना पर काम हुआ।
  • 11 सितंबर 2019 को तात्कालिक DPI आयुक्त जयश्री कियावत ने स्पष्ट किया था कि नियमित नियुक्ति केवल उन्हीं शिक्षकों की होगी, जिनके पास D.Ed/B.Ed डिग्री होगी और जिन्होंने पात्रता परीक्षा (TET) पास की होगी। यह शर्त लगने के बाद हजारों अतिथि शिक्षकों को अपने करियर को लेकर चिंता सताने लगी।
  • 4 सितंबर 2024 को वर्तमान DPI आयुक्त शिल्पा गुप्ता ने 1 दिसंबर 2022 के संशोधित भर्ती नियमों का हवाला देते हुए एक नया नियम लागू कर दिया। उन्होंने कहा कि अब सिर्फ D.Ed/B.Ed और TET पास करने से काम नहीं चलेगा, बल्कि एक चयन परीक्षा भी देनी होगी। इससे उन हजारों शिक्षकों की मुश्किलें बढ़ गईं, जो पहले ही पात्रता परीक्षा पास कर चुके थे। इसके बाद 10 अक्टूबर 2024 तक जब DPI ने इन मांगों पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी, तो योग्य अतिथि शिक्षकों ने लोक शिक्षण संचालनालय को एक औपचारिक अभ्यावेदन सौंपा। इसके बाद भी प्रशासन ने इस पर कोई कार्यवाही नहीं की, जिससे मजबूर होकर अतिथि शिक्षकों को हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाना पड़ा।

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DPI को 30 दिनों में फैसला लेने का आदेश

हाईकोर्ट ने अपने फैसले में साफ किया कि DPI को 30 दिनों के भीतर उचित आदेश पारित करना होगा। कोर्ट ने इस मामले में याचिकाकर्ताओं की मांगों के गुण-दोष पर कोई टिप्पणी नहीं की, बल्कि प्रशासन को कानून के मुताबिक सही फैसला लेने की जिम्मेदारी सौंपी। इसका मतलब यह है कि अब DPI को जल्द से जल्द कोई फैसला लेना ही होगा, वरना Guest teachers को फिर से कोर्ट का सहारा लेना पड़ सकता है। यह आदेश DPI के लिए एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हो सकता है। यदि विभाग टालमटोल की नीति अपनाता है या फिर नए नियमों का हवाला देकर इस प्रक्रिया को लटकाने की कोशिश करता है, तो यह मामला एक बड़े विवाद का रूप ले सकता है। वहीं, यदि विभाग समय पर कोई ठोस निर्णय लेता है, तो हजारों शिक्षकों को राहत मिल सकती है और सरकार पर से भी दबाव कम होगा।

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DPI के एक्शन पर हैं सबकी नजरें

पिछले कुछ वर्षों में DPI की ओर से भर्ती प्रक्रिया को लेकर कई तरह की शर्तें जोड़ी गई हैं। पहले D.Ed/B.Ed और पात्रता परीक्षा को अनिवार्य बताया गया, जिसे हजारों Guest teachers ने पूरा किया। जब उन्होंने इन शर्तों को पूरा कर लिया, तो विभाग ने चयन परीक्षा की नई शर्त जोड़ दी। अब यह देखना होगा कि क्या विभाग इस बार भी कोई नया नियम लाकर नियमितीकरण की प्रक्रिया को और जटिल बनाएगा या फिर हाईकोर्ट के आदेश के मुताबिक कार्रवाई करेगा। अगर DPI फिर से किसी नए नियम की आड़ में इस मामले को टालने की कोशिश करता है, तो यह सरकार के लिए भी एक चुनौतीपूर्ण स्थिति बन सकती है। हजारों अतिथि शिक्षक इस आदेश को अपनी आखिरी उम्मीद के रूप में देख रहे हैं और यदि विभाग ने कोई बहाना बनाया, तो यह मामला राजनीतिक रूप से भी तूल पकड़ सकता है।

इस मामले को लेकर शिक्षकों में है भारी आक्रोश

इस आदेश का राजनीतिक असर भी नजर आ सकता है। अतिथि शिक्षकों का मुद्दा लंबे समय से चर्चा में रहा है और हर सरकार इस पर वादे तो करती रही है, लेकिन समाधान निकालने में नाकाम रही है। अगर DPI हाईकोर्ट के आदेश का पालन करता है और नियमितीकरण की प्रक्रिया शुरू करता है, तो सरकार की छवि मजबूत होगी और शिक्षकों में सरकार के प्रति विश्वास बढ़ेगा। लेकिन अगर विभाग टालमटोल करता है, तो शिक्षकों का गुस्सा आंदोलन का रूप ले सकता है, जिससे सरकार को भारी विरोध का सामना करना पड़ सकता है।

अब DPI लेगा समय पर फैसला या फिर बदलेंगे नियम

अब सभी की निगाहें अगले 30 दिनों पर टिकी हैं। हाईकोर्ट का आदेश साफ है कि DPI को इस अवधि में फैसला लेना ही होगा। अगर विभाग समय पर सही फैसला नहीं लेता, तो अतिथि शिक्षक दोबारा हाईकोर्ट में अवमानना याचिका दाखिल कर सकते हैं, जिससे प्रशासन की मुश्किलें और बढ़ सकती हैं। यह मामला हजारों शिक्षकों के भविष्य से जुड़ा हुआ है। DPI का अगला कदम यह तय करेगा कि मध्य प्रदेश के अतिथि शिक्षकों का सालों का संघर्ष खत्म होगा या फिर उन्हें नई लड़ाई लड़नी पड़ेगी।

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