मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (EWS) के अभ्यर्थियों के लिए एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है। अब माध्यमिक एवं प्राथमिक शिक्षक चयन परीक्षा 2024 में शामिल होने वाले EWS अभ्यर्थियों को भी अन्य आरक्षित वर्गों (SC/ST/OBC) की तरह 5 वर्ष की आयु सीमा में छूट मिलेगी। हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच के इस फैसले से हजारों उम्मीदवारों को लाभ होगा, जो अब तक अधिकतम आयु सीमा के कारण परीक्षा में शामिल नहीं हो पा रहे थे।
शिक्षक भर्ती 2024 से जुड़ा है मामला
शिक्षक चयन परीक्षा 2024 के नियमों में कंडिका 7.1 और 7.2 के अनुसार EWS को आरक्षित वर्ग माना गया था, लेकिन कंडिका 6.2 में उन्हें आयु सीमा छूट के लाभ से वंचित रखा गया। इस असमानता के खिलाफ रीवा निवासी पुष्पेंद्र द्विवेदी ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की। याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता धीरज तिवारी और ईशान सोनी ने तर्क दिया कि जब EWS को आरक्षित वर्ग माना गया है, तो उन्हें भी SC/ST/OBC की तरह आयु सीमा में छूट मिलनी चाहिए।
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संविधान के अनुच्छेद 14 और 16 का हुआ उल्लंघन
याचिकाकर्ता ने दलील दी कि EWS को आयु सीमा में छूट न देना संविधान के अनुच्छेद 14 (समानता का अधिकार) और अनुच्छेद 16 (सरकारी नौकरियों में समान अवसर) का उल्लंघन है।
अनुच्छेद 14: यह सभी नागरिकों को कानून के समक्ष समानता और भेदभावरहित अवसर की गारंटी देता है। समान परिस्थिति में रहने के बावजूद EWS को आयु छूट न देना इस अनुच्छेद का उल्लंघन है।
अनुच्छेद 16: सरकारी नौकरियों में समान अवसर सुनिश्चित करता है। जब EWS को आरक्षित वर्ग माना गया, तो उन्हें आयु सीमा में छूट न देना असंवैधानिक था।
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हाईकोर्ट का अहम फैसला
मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ता के तर्कों को स्वीकार करते हुए कहा कि यदि EWS को आरक्षित वर्ग में रखा गया है, तो उन्हें भी अन्य आरक्षित वर्गों की तरह समान अवसर मिलना चाहिए। कोर्ट ने EWS अभ्यर्थियों को 5 साल की आयु सीमा छूट देने का आदेश दिया।
फैसले के बाद ये हैं बड़े बदलाव
अब 45 वर्ष तक के EWS अभ्यर्थी शिक्षक चयन परीक्षा 2024 में शामिल हो सकेंगे। अब 11 फरवरी 2025 आवेदन की अंतिम तिथि होने के कारण वे अभ्यर्थी भी फॉर्म भर सकेंगे, जो पहले अधिक उम्र के कारण वंचित रह गए थे। यह फैसला शिक्षा और रोजगार में समान अवसर सुनिश्चित करने की दिशा में बड़ा कदम माना जा रहा है।
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EWS अभ्यर्थियों को मिली बड़ी राहत
हाईकोर्ट के इस निर्णय से हजारों EWS उम्मीदवारों को लाभ मिलेगा। अब वे शिक्षक भर्ती प्रक्रिया में समान रूप से भाग ले सकेंगे। यह संविधान द्वारा प्रदत्त समानता के अधिकार को लागू करने की दिशा में एक ऐतिहासिक निर्णय है, जिससे शिक्षा और रोजगार के क्षेत्र में निष्पक्षता को बढ़ावा मिलेगा।
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