हाईस्कूल शिक्षक भर्ती में ST, SC, OBC और दिव्यांगों को नहीं दी 5% छूट, HC ने सरकार से मांगा जवाब

जबलपुर हाईकोर्ट ने हाईस्कूल शिक्षक भर्ती 2018 से जुड़ी एक याचिका की सुनवाई करते हुए सेकंड डिवीजन देने के नियम को स्पष्ट किया और एसटी, एससी, ओबीसी और दिव्यांगजनों को 5 प्रतिशत की छूट न दिए जाने पर सरकार से जवाब मांगा है।

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Neel Tiwari
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मध्य प्रदेश हाईकोर्ट।

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मध्य प्रदेश में हाई स्कूल शिक्षक भर्ती 2018 से जुड़ी एक याचिका की सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया है सेकंड डिवीजन के लिए पहले से ही नियम तय है, वहीं ST/SC ओबीसी और दिव्यांगजनों को भर्ती में 5 प्रतिशत की छूट न दिए जाने पर हाईकोर्ट ने सरकार से जवाब मांगा है।

शिक्षक भर्ती 2018 से जुड़ा मामला

जबलपुर हाईकोर्ट में रोशनलाल सिरसाम की ओर से याचिका दायर की गई थी। इसी याचिका के द्वारा याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता रामेश्वर से ठाकुर ने दो मुद्दों की ओर कोर्ट का ध्यान खींचा था। जिसमें पहला मुद्दा अलग-अलग प्रतिशत के अभ्यर्थियों को सेकंड और थर्ड डिवीजन देने का था। तो दूसरे मुद्दे में एसटी, एससी, ओबीसी और विकलांग जनों को 5% की छूट न दिए जाने पर आपत्ति जताई गई थी।

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डिवीजन देने के नियम पहले से हैं तय

याचिकाकर्ता की ओर से पैरवी कर रहे अधिवक्ता रामेश्वर सिंह ठाकुर ने कोर्ट में बताया कि स्कूल शिक्षक भर्ती अंतर्गत कई भर्तियों में 45 प्रतिशत को सेकंड डिवीजन तो कहीं 50 प्रतिशत को सेकंड डिवीजन दिया जाता है जिससे नियुक्तियों में बाधा उत्पन्न होती है। उन्होंने कोर्ट को बताया कि रानी दुर्गावती यूनिवर्सिटी जबलपुर में हिंदी विषय में 47 प्रतिशत प्राप्तांकों के बाद भी अंक सूची में थर्ड डिवीजन लिखे होने के कारण नियुक्ति नहीं दी गई है, जिस पर कोर्ट के द्वारा बताया गया कि कुछ विषयों में उत्तीर्ण होने के लिए 50 प्रतिशत की बाध्यता हो सकती है, लेकिन डिवीजन के लिए 45 प्रतिशत से अधिक अंक प्राप्त करने वाले को सेकंड डिवीजन की श्रेणी में ही रखा जाता है जिसके नियम तय हैं।

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इस मुद्दे पर कोर्ट के द्वारा टिप्पणी करते हुए बताया गया कि इसके लिए नियम पहले से तय है, 45 से अधिक पर सेकंड डिवीजन दिया जाता है। जिन विद्यार्थियों के 45 प्रतिशत से अधिक अंक है और उन्हें थर्ड डिवीजन दिया गया है उनके लिए कोर्ट के द्वारा इस आदेश में ऐसा कुछ भी निर्देशित नहीं किया गया है जिसके बाद उन अभ्यार्थियों को त्वरित लाभ मिल सके जिनकी अंकसूची में 45 प्रतिशत से अधिक अंक होने के बाद भी तृतीय श्रेणी बताई गई है। हालांकि आदेश आने के बाद उन अभ्यार्थियों को दोबारा हाईकोर्ट की शरण लेनी होगी इसके बाद उन्हें राहत मिल सकेगी।

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नहीं दिया 5 प्रतिशत आरक्षण

अधिवक्ता रामेश्वर सिंह ठाकुर ने बताया कि हाई स्कूल शिक्षक हेतु पात्रता के लिए संबंधित विषय में द्वितीय श्रेणी के साथ बीएड (b.ed) निर्धारित किया गया है उक्त नियम में आरक्षित वर्ग को प्राप्तांको में 5 प्रतिशत छूट नहीं दी गई है, जबकि माध्यमिक शिक्षक एवं प्राथमिक शिक्षक की शैक्षणिक योग्यता में 5 प्रतिशत छूट का प्रावधान किया गया है। जिस पर कोर्ट ने माना कि उक्त नियम में आरक्षित वर्ग सहित दिव्यांगों को शैक्षणिक योग्यता में 5 प्रतिशत छूट नहीं दी गई। जो संविधान के अनुच्छेद 335 के विपरीत होने के साथ संविधान के अनुच्छेद 14 एवं 16 से भी असंगत है।

कोर्ट ने सरकार से मांगा जवाब

इस याचिका पर सुनवाई पर सुनवाई जस्टिस विवेक अग्रवाल और जस्टिस अनुराधा शुक्ला की डिवीजन बेंच में हुई जिसमें याचिका में मौजूद दोनों मुद्दों पर सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के पहले मुद्दे को जिसमें 45 प्रतिशत को सेकंड डिवीजन दिए जाने वाले मामले को अल्ट्रा वायरस कर दिया है क्योंकि इस पर नियम पहले से मौजूद है साथ ही  एससी एसटी, ओबीसी ओर दिव्यांगों को शैक्षणिक योग्यता में 5 प्रतिशत छूट न दिए जाने के मामले में शासन से जवाब मांगा है। इस मामले में अगली सुनवाई 24 फरवरी 2025 को तय की गई है।

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