CWC ने दिया जुवेनाइल एक्ट का हवाला, हाईकोर्ट ने जताई नाराजगी, कहा- बच्चों को पेश करो

जबलपुर हाईकोर्ट में चाइल्ड वेलफेयर कमेटी द्वारा अवैध हॉस्टल से रिकवर किए गए बच्चों के मामले पर सुनवाई हुई। कोर्ट ने शासन से बच्चों को उनके माता-पिता को न सौंपने को लेकर सवाल किए हैं, साथ ही बच्चों को कोर्ट में पेश करने का आदेश दिया।

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Neel Tiwari
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मध्य प्रदेश हाईकोर्ट।

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जबलपुर हाईकोर्ट में चाइल्ड वेलफेयर कमेटी के द्वारा एक अवैध हॉस्टल से रिकवर किए गए बच्चों को शासकीय परिसर में रखे जाने का मामला सामने आया है। इसमें बच्चों के मां-बाप के द्वारा बच्चों की कस्टडी पाने के लिए हाईकोर्ट से गुहार लगाई गई है, जिसके बाद हाईकोर्ट ने शासन से बच्चों को उनके मां-बाप को नहीं देने को लेकर सवाल किए हैं। जिस पर शासन की तरफ से लगातार बच्चों की स्थिति का हवाला दिया गया जिस पर कोर्ट ने नाराजगी व्यक्त करते हुए बच्चों को न्यायालय में पेश करने का आदेश दिया। साथ ही बच्चों को कोर्ट में पेश किए जाने के बाद ही शासन के पक्ष को सुनने की बात कही।

हॉस्टल से रिकवर किए गए बच्चे

मध्य प्रदेश के दमोह में क्रिश्चियन कॉलोनी निवासी प्रवीण शुक्ला द्वारा अपने मकान में अवैध हॉस्टल का संचालन किया जाता है। जिसकी शिकायत आसपास के लोगों के द्वारा पुलिस से की गई थी, जिसके बाद पुलिस ने कार्रवाई करते हुए प्रवीण शुक्ला के मकान में मौजूद 12 बच्चों को रिकवर किया गया था। प्रवीण के पास इस हॉस्टल और मकान संबंधी कोई भी वैध दस्तावेज नहीं पाए गए है। प्रवीण पर आरोप है कि कोरोना काल में जबलपुर नाका से दो बच्चों को लाया गया था और 4-5 साल उन्हें अपने पास रखने के बाद उन बच्चों का क्या हुआ यह भी किसी को नहीं पता।

प्रवीण शुक्ला की शिकायत लगातार पड़ोसियों और अन्य लोगों द्वारा की जा रही थी, साथ ही इसकी शिकायत असिस्टेंट रजिस्टर लॉ दिल्ली से भी की गई थी। साथ बी पुलिस अधीक्षक के निर्देशन में कोतवाली पुलिस ने कार्रवाई करते हुए 12 बच्चों को रिकवर किया गया।

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चाइल्ड वेलफेयर कमेटी को सौंपे गए बच्चे

पुलिस ने 12 बच्चों को रिकवर किया गया हैं, जो काफी दयनीय स्थिति असुरक्षित और असुविधायुक्त माहौल में रह रहे थे। साथ ही उन्हें शिक्षा संबंधी कोई भी सुविधा उपलब्ध नहीं कराई जा रही थी, कार्रवाई के दौरान पुलिस ने आरोपी के घर से क्रिश्चियन साहित्य से संबंधित कई किताबों को जब्त किया है। रिकवर किए गए 12 बच्चों को पुलिस ने बाल संरक्षण समिति के सामने पेश किया गया जिसके बाद बाल संरक्षण समिति के द्वारा लगातार बच्चों से पूछताछ की गई। बच्चों से कोई भी उचित जवाब नहीं मिलने के बाद बच्चों के नाबालिग होने की स्थिति में बाल संरक्षण समिति के द्वारा बच्चों को सागर जिले अंतर्गत बाल संजीवनी आश्रम में बच्चों को अस्थाई रूप से रखा गया।

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बच्चों की कस्टडी के लिए मां-बाप पहुंचे हाईकोर्ट

शासन की ओर से अधिवक्ता ने बताया कि लगातार बच्चों से उनके अभिभावकों एवं संरक्षकों की जानकारी मांगी जा रही थी, जिसमें बच्चों से उनके मां-बाप के नंबर और जानकारियां ली गई। इसके बाद दिए गए नंबरों पर संपर्क किया गया लेकिन कुछ ही मां-बाप और अभिभावकों से संपर्क हो पाया। अगले दिन मां-बाप से संपर्क होने के बाद उन्होंने बच्चों को घर ले जाने की बात कही जिसके बाद बच्चों के मां-बाप के आने में देरी हो जाने के कारण शासकीय उत्कृष्ट विद्यालय बालक छात्रावास में बच्चों को सुविधायुक्त तरीके से रखने के लिए उन्हें वहां दाखिल कराया गया। 

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बच्चों को ले जाना चाहते हैं माता-पिता

जिस पर कोर्ट ने कहा कि बच्चों के मां-बाप ने याचिका दायर की है, कि वह बच्चों को ले जाना चाहते हैं। लेकिन बाल संरक्षण समिति के द्वारा बार-बार यही साबित करने की कोशिश की जाने लगी कि जुवेनाइल जस्टिस एक्ट के तहत बच्चों को बाल संरक्षण समिति में रखा गया है, जिस पर कोर्ट ने नाराजगी जताते हुए कहा कि कोर्ट को उसकी शक्तियां मत समझाइए पहले बच्चों को कोर्ट में पेश कीजिए उसके बाद बच्चे यदि उसके मां-बाप के साथ रहना चाहते हैं तो इसका निर्णय कोर्ट करेगा साथ शासन के द्वारा किसी भी तरीके से उनको किसी परिसर में बंद करके नहीं रखा जा सकता है। 

बच्चों को कोर्ट में हाजिर करने के आदेश

इस याचिका पर सुनवाई जस्टिस संजीव सचदेवा और जस्टिस विनय सराफ की डिवीजन बेंच में हुई जिसमें सुनवाई के दौरान उन्होंने शासन से जवाब मांगा कि इस पूरे मामले में यह कहीं भी रिकॉर्ड नहीं है कि बच्चों को हॉस्टल में गलत तरीके से कस्टडी में रखा गया था साथ ही इसकी शिकायत किसने की है, क्योंकि बच्चों के पेरेंट्स दो बच्चों को वापस लेने की गुहार कोर्ट से लगा रहे हैं। उन्होंने सख्त टिप्पणी करते हुए शासन को निर्देशित किया कि अगली सुनवाई तक बच्चों को कोर्ट में पेश किया जाए नहीं तो दमोह एसपी को आर्डर दिया जाएगा कि जिन लोगों के द्वारा बच्चों को अपनी कस्टडी में रखा गया है उन्हें गिरफ्तार करें उसके बाद बच्चों को कोर्ट में पेश करें। इस मामले में अगली सुनवाई 7 फरवरी 2025 की तय की गई है।

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