सीएम के कार्यक्रम में लगी बसों और डीजल का नहीं मिला पैसा, HC पहुंचा पंप संचालक
जबलपुर में मुख्यमंत्री के स्वागत कार्यक्रम में लगी बसों में 6 लाख रुपए के डीजल का भुगतान नहीं होने का मामला हाईकोर्ट तक पहुंच गया। अदालत ने मामले में टिप्पणी करते हुए जिम्मेदार अधिकारियों को सवालों के कटघरे में खड़ा किया।
जबलपुर हाईकोर्ट में एक ऐसा मामला सामने आया है जिसमें मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के जबलपुर में भव्य स्वागत का बोझ एक पेट्रोल पंप संचालक झेल रहा है। सीएम के कार्यक्रम में अधिकृत की गई बसों में डाले गए लगभग 6 लाख रूपए के डीजल का भुगतान अब तक नहीं किया गया है। वहीं बिना किसी आदेश के बसों में डीजल भरवाने पर हाईकोर्ट ने कड़ी टिप्पणी कर जिम्मेदारों को सवालों के कटघरे में खड़ा कर दिया है।
हाईकोर्ट पहुंचा भुगतान का मामला
जबलपुर में मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के स्वागत में 3 जनवरी को आयोजित सभा को लेकर अधिकृत बसों में 6 लाख रुपए के डीजल डालने का बोझ एक निजी पेट्रोल पंप मालिक पर आ गया है, दरअसल, जबलपुर के आईएसबीटी बस स्टैंड के पास स्थित पेट्रोल पंप के संचालक सुगम चंद्र जैन के द्वारा हाईकोर्ट में एक याचिका दर्ज की गई है जिसमें बताया गया है कि 3 जनवरी 2024 को मुख्यमंत्री के सम्मान कार्यक्रम का आयोजन जबलपुर में किया गया था।
कार्यक्रम के लिए अधिग्रहित बसों में डीजल भरने के लिए नगर निगम के खाद्य अधिकारी ने व्यक्तिगत रूप से आकर निर्देश दिए थे जिसके बाद निगमायुक्त ने उक्त निर्देश पर कार्यक्रम के लिए अधिग्रहित बसों में लगभग 6 लाख रुपए का डीजल उनके पेट्रोल पंप से भरा गया था लेकिन उस राशि का भुगतान नहीं किया गया है।
इस मामले में पूर्व में हुई सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता ने बताया है कि अगस्त 2024 में बिल भुगतान के लिए संयुक्त कलेक्टर व जिला आपूर्ति अधिकारी व निगमायुक्त से संपर्क किया, इसके अलावा कलेक्टर कार्यालय से निगमायुक्त को राशि भुगतान के संबंध में आदेश जारी किए गए थे। जिस पर कोर्ट ने याचिकाकर्ता से पूछा कि कलेक्टर या उनके किसी अधीनस्थ ने POL प्राप्त करने के लिए अपेक्षित बसों को अधिकृत किया था और उन बसों में डीजल/ पेट्रोल भरने का आदेश दिया था जिस पर याचिकाकर्ता ने बताया कि उसके पास ऐसा कोई भी प्राधिकरण मौजूद नहीं है। सिर्फ मौखिक आदेश पर ही डीजल डाला गया था।
इस याचिका पर पूर्व में हुई सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने सवाल उठाते हुए पूछा कि बिना किसी प्राधिकरण के याचिकाकर्ता ने बसों में कैसे डीजल भरा ओर कैसे संयुक्त कलेक्टर, जिला आपूर्ति अधिकारी व निगमायुक्त से एसोसिएशन व उसके सदस्य के पक्ष में पीओएल की प्रतिपूर्ति करवाने के भी निर्देश दिया।
इसके अलावा कलेक्टर से जवाब मांगा है कि किस कानून में यह लिखा है कि निगमायुक्त का दायित्व है कि वह मुख्यमंत्री की रैली में लगी बसों में डीजल भरवाए। साथ ही उन्होंने इसे प्राथमिक दृष्टि में सार्वजनिक धन का बड़े पैमाने पर दुरुपयोग किए जाने का मामला बताया। उन्होंने आदेश जारी करते हुए निर्देश दिया कि इन सभी पहलुओं को कलेक्टर के द्वारा व्यक्तिगत हलफनामे से स्पष्ट किया जाना चाहिए अन्यथा कोर्ट किसी सक्षम अधिकारी के द्वारा इस मामले की विस्तृत जांच करवाएगी।
इस याचिका पर सुनवाई जस्टिस विवेक अग्रवाल की सिंगल बेंच में हुई जिसमें प्रतिवादियों की ओर से सरकारी अधिवक्ता ने पूर्व आदेश दिनांक 27 जनवरी 2025 के अनुपालन में कलेक्टर जबलपुर का हलफनामा दाखिल करने के लिए 10 दिन का समय देने का अनुरोध किया गया। लिहाजा कोर्ट ने इस मामले में अगली सुनवाई 10 फरवरी 2025 की तय की है।