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नर्सिंग फर्जीवाड़े के मामले में गलत तरीके से सेलेक्ट किए गए कैंडिडेट्स की लिस्ट ना देना अब अनीता चांद को भारी पड़ सकता है। क्योंकि हाईकोर्ट ने अब इस मामले को सीबीआई जांच की चेतावनी दे दी है। दरअसल प्रदेश में नर्सिंग फर्जीवाड़े से जुड़े मामले में सुप्रीम कोर्ट ने नर्सिंग काउंसिल की पूर्व रजिस्ट्रार अनीता चांद के दायर SLP को खारिज कर दिया था। जिसके बाद हाईकोर्ट ने नर्सिंग काउंसिल के सीसीटीवी फुटेज जब्त करने के आदेश दिए थे। इसके साथ ही उन कैंडिडेट्स की लिस्ट भी मांगी गई थी। जिन्हें सीबीआई के द्वारा रिजेक्ट करने के बाद भी अनीता चांद ने सेलेक्ट कर लिया था। अब आदेश को नहीं मानने पर हाईकोर्ट सख्त सीबीआई जांच की चेतावनी दी।
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अनीता चांद मामले में हो सकती है CBI जांच
मध्य प्रदेश के बहुचर्चित नर्सिंग फर्जीवाड़े के मामले में पूर्व रजिस्ट्रार अनीता चांद की मुश्किलें आने वाले समय में और भी बढ़ने वाली है। इस मामले पूर्व में हुई सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट के द्वारा फर्जी नर्सिंग कॉलेज को मान्यता देने और नियम संबंधी अनदेखी करने के आरोपों के बाद इस याचिका में एक आदेश जारी करते हुए अनीता चांद को रजिस्ट्रार के पद से हटाने का निर्देश दिया था। जिसके खिलाफ अनीता चांद के द्वारा सुप्रीम कोर्ट में विशेष अनुमति याचिका (SLP) दायर की गई थी। जिसे सुप्रीम कोर्ट के द्वारा खारिज कर दिया गया था। जिसके बाद फिर इस जनहित याचिका (PIL ) पर सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट ने नाराजगी जताते हुए स्पष्ट कर दिया था कि कोर्ट के आदेशों का पालन प्रतिवादियों के द्वारा नहीं किया जा रहा है। अब अगर अगली सुनवाई तक कोर्ट के आदेश का पालन नहीं किया जाता तो कोर्ट ने सीबीआई जांच की चेतावनी दे दी है।
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सुप्रीम कोर्ट से भी खारिज हो चुकी है याचिका
मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने पूर्व रजिस्ट्रार अनीता चांद को नर्सिंग काउंसिल के रजिस्ट्रार पद से हटाने का आदेश दिया था। अनीता चांद ने इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में 15 जनवरी को राज्य सरकार और याचिकाकर्ता को नोटिस जारी किया था। इसके बाद 27 जनवरी को हुई सुनवाई में सरकार की ओर से सुप्रीम कोर्ट को बताया गया कि पूर्व रजिस्ट्रार के विरुद्ध गंभीर आरोपों की जांच जारी है। जांच को प्रभावित होने से बचाने के लिए उन्हें मूल विभाग में वापस भेजा गया। साथ ही उनके कार्यकाल में हुई अनियमितताओं की रिपोर्ट तैयार की जा रही है। इस मामले में सीसीटीवी वीडियो भी काउंसिल के दफ्तर से गायब हो गए हैं। जिसे रिट्रीव करने का हाईकोर्ट ने आदेश दिया है। हाईकोर्ट के द्वारा जिस पर आगे सख्त कार्रवाई की जा सकती है। इन तर्कों को सुनने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने अनीता चांद की विशेष अनुमति याचिका को खारिज कर दिया था।
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कोर्ट के आदेशों का नहीं हुआ पालन
इस जनहित याचिका पर पूर्व में हुई सुनवाई के दौरान एक आदेश पारित किया गया था जिसमें प्रतिवादियों को उन कॉलेजों में छात्रों के नामांकन से संबंधित फाइलें पेश करने का भी निर्देश दिया गया था ( जिन्हें नर्सिंग काउंसिल रजिस्ट्रार द्वारा दी गई अनुमति के बाद छात्रों का प्रवेश दिखाया गया है), जिनके बारे में सीबीआई की रिपोर्ट के अनुसार सत्र 2022-23 के लिए जीएनएम पाठ्यक्रम में प्रवेश लेने की कोई अनुमति नहीं दी गई थी। साथ ही 13 से 19 दिसंबर 2024 तक के काउंसिल कार्यालय के सीसीटीवी फुटेजों सहित इन दस्तावेजों को प्रस्तुत करने के लिए कोर्ट के द्वारा अगली सुनवाई तक जमा करने के आदेश दिए गए थे लेकिन समय हो जाने के बाद भी सीसीटीवी फुटेजों और इन दस्तावेजों को कोर्ट में पेश नहीं किया गया है। जिस पर कोर्ट ने नाराजगी जताते हुए माना कि कोर्ट के दिए गए आदेशों का पालन नहीं किया गया है।
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हाईकोर्ट ने दी सीबीआई जांच की चेतावनी
इस जनहित याचिका पर सुनवाई जस्टिस संजय द्विवेदी और जस्टिस अचल कुमार पालीवाल की डिवीजन बेंच में हुई। जिसमें सुनवाई के दौरान उन्होंने स्पष्ट निर्देश दिए की प्रतिवादियों के द्वारा 23 जनवरी 2025 में हुई सुनवाई के आदेशों के परिपालन के लिए कुछ समय की मांग की गई है। इसमें याचिका पर अगली सुनवाई तक पूर्व में की गई सुनवाई के दौरान जारी आदेश का पालन करने के स्पष्ट निर्देश दिए हैं। साथ ही यह निर्देश भी जारी किया है कि यदि उन आदेशों का पालन नहीं किया जाता है तो कोर्ट के द्वारा सीबीआई को जांच सौंपने का विचार भी किया जा सकता है। इस याचिका पर अगली सुनवाई 10 फरवरी 2025 की तय की गई है।