जमीन किसी और की, मुआवजा किसी और को, हाईकोर्ट ने कलेक्टर को लगाई फटकार

ललितपुर-सिंगरौली रेल परियोजना के तहत भूमि अधिग्रहण में हुए घोटाले को लेकर जबलपुर हाईकोर्ट ने कड़ी टिप्पणी की है। कोर्ट ने इसे खुला भ्रष्टाचार करार देते हुए कलेक्टर को ब्याज सहित भुगतान के निर्देश दिए हैं।

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Neel Tiwari
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singrauli land acquisition scam high court action

मध्य प्रदेश हाईकोर्ट।

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JABALPUR. सिंगरौली में रेलवे के एक प्रोजेक्ट पर भूमि अधिग्रहण घोटाले पर हाईकोर्ट ने सख्त टिप्पणी की है। इस मामले में भ्रष्टाचार उजागर हुआ है, जहां जमीन का मालिक कोई और था और अधिग्रहित की गई जमीन का मुआवजा हलफनामे के आधार पर किसी और को दे दिया गया।

ललितपुर-सिंगरौली रेल परियोजना के तहत भूमि अधिग्रहण में बड़े पैमाने पर घोटाले का खुलासा हुआ है। जबलपुर हाईकोर्ट ने इस मामले पर सख्त टिप्पणी करते हुए इसे "खुला भ्रष्टाचार" करार दिया है। जस्टिस विवेक अग्रवाल की खंडपीठ ने सिंगरौली कलेक्टर को कड़ी फटकार लगाते हुए निर्देश दिया कि जिन भूमिस्वामियों को अब तक मुआवजा नहीं मिला है, उन्हें ब्याज सहित भुगतान किया जाए।

जमीन अधिग्रहण में अनियमितताओं का पर्दाफाश

सिंगरौली के देवसर क्षेत्र में ललितपुर-सिंगरौली रेल परियोजना के तहत अधिग्रहित भूमि के मुआवजा वितरण में गंभीर अनियमितताएं सामने आई थीं। इस मामले में चित्रा सेन ने शिकायत की थी कि कुछ लोगों को गलत तरीके से मुआवजा दिया गया, जबकि असली भूमिस्वामी आज भी भुगतान के लिए भटक रहे हैं। इस मामले में न्यायालय में याचिका दायर की गई थी, जिस पर सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने कलेक्टर को स्वयं उपस्थित होकर स्थिति स्पष्ट करने के निर्देश दिए थे। आपको बता दें कि रेल परियोजना के लिए चित्रा सेन की भूमिका अधिग्रहण किया गया था लेकिन एक फर्जी एफिडेविट के आधार पर इसका मुआवजा दुर्गा शंकर द्विवेदी को दे दिया गया।

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हाईकोर्ट की सख्त नाराजगी

28 जनवरी को हुई सुनवाई में जस्टिस विवेक अग्रवाल की खंडपीठ ने कलेक्टर और भू-अर्जन अधिकारी पर नाराजगी जाहिर की। कोर्ट ने पाया कि न केवल मुआवजा भुगतान में गड़बड़ी हुई, बल्कि पात्र लोगों के नाम ही सूची से गायब कर दिए गए और हलफनामे के आधार पर भू स्वामी की जगह किसी और को भुगतान किया गया। शासकीय अधिवक्ता ने बताया कि यह भुगतान हलफनामे के आधार पर दिया गया है। कोर्ट के सामने यह सच आया की  अधिग्रहित की गई भूमि चित्र सेन की थी पर एक हलफनामे के नाम पर किसी दुर्गा द्विवेदी को इस भूमि का भुगतान कर दिया गया जो साफ-साफ फर्जीवाड़ा नजर आ रहा था। इस पर कोर्ट ने कलेक्टर को सख्त लहजे में फटकारते हुए कहा कि प्रशासनिक लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी और असली भूमिस्वामियों को ब्याज सहित भुगतान सुनिश्चित किया जाए। 

गलती पाए जाने पर एफआईआर हो सकती है दर्ज

हाईकोर्ट ने निर्देश दिया कि इस भूमि अधिग्रहण घोटाले की गहराई से जांच हो और जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की जाए। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि यह केवल प्रशासनिक गलती नहीं, बल्कि सुनियोजित भ्रष्टाचार का मामला है, जिसे नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता।

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बेनामी खरीद-फरोख्त का शक

सूत्रों के मुताबिक, इस घोटाले में कई प्रभावशाली लोगों की भूमिका संदिग्ध मानी जा रही है। जांच में यह भी सामने आया कि कुछ फर्जी दस्तावेजों के आधार पर जमीन के असली मालिक को उनके हक से वंचित कर दिया और भूमाफियाओं ने इसका फायदा उठाया। हाईकोर्ट ने इस पूरे मामले की निष्पक्ष जांच सुनिश्चित करने के निर्देश दिए हैं। शासकीय अधिवक्ता के द्वारा कलेक्टर से हुई फोन पर बात के आधार पर उन्होंने 30 दिनों के समय मांगा है जिसके बाद वह दुर्गा शंकर द्विवेदी को किए गए गलत भुगतान को वसूल कर हितग्राही चित्रा सेन को देंगे।

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प्रभावित को अब मिलेगा न्याय

हाईकोर्ट के इस सख्त रुख के बाद प्रभावित ग्रामीण को न्याय मिलने की उम्मीद जगी है। अब प्रशासन पर यह जिम्मेदारी होगी कि वह कोर्ट के आदेशों का पालन करे और घोटाले में लिप्त दोषियों को जवाबदेह बनाए। यह मामला सिंगरौली कलेक्टर की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े करता है और यह भी दिखा रहा है कि किस तरह भ्रष्टाचार आम नागरिकों के अधिकारों का हनन करता है। अब देखना होगा कि इस फैसले के बाद सरकार और प्रशासन क्या कदम उठाते हैं।

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