/sootr/media/media_files/2025/02/07/n9Q2pFjR0rzC8rFd3SaL.jpg)
NEW DELHI. सुप्रीम कोर्ट ने NEET-PG 2024 की ऑल इंडिया कोटा (AIQ) राउंड III काउंसलिंग को रद्द कर नए सिरे से आयोजित करने की मांग करने वाली याचिका को खारिज कर दिया है। यह याचिका तीन अभ्यर्थियों द्वारा दायर की गई थी, जिनका तर्क था कि मध्य प्रदेश में राज्य स्तरीय काउंसलिंग के दूसरे दौर में हुई देरी के कारण कई सीटें ब्लॉक हो गईं, जिससे AIQ राउंड III में उन्हें वांछित सीटें नहीं मिल पाईं।
उन्होंने यह भी अपील की थी कि जिन राज्यों में राज्य काउंसलिंग का दूसरा चरण पूरा नहीं हुआ, वहां की बची हुई सीटों के लिए एक अतिरिक्त स्ट्रे वेकेंसी राउंड आयोजित किया जाए। याचिकाकर्ताओं ने इस प्रक्रिया में अनियमितताओं का आरोप लगाते हुए सुप्रीम कोर्ट से हस्तक्षेप की मांग की थी ताकि उन्हें अधिक उपयुक्त सीटें मिल सकें और उनके शैक्षणिक व व्यावसायिक भविष्य पर नकारात्मक प्रभाव न पड़े।
मामला केवल मध्य प्रदेश से संबंधित
याचिका पर सुनवाई करते हुए जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस के. विनोद चंद्रन की खंडपीठ ने स्पष्ट किया कि यह मामला केवल मध्य प्रदेश से संबंधित है और देश के अन्य राज्यों में काउंसलिंग प्रक्रिया में कोई समस्या नहीं आई है। पीठ ने यह भी कहा कि यदि केवल इन तीन याचिकाकर्ताओं के लिए राहत दी जाती है, तो भविष्य में इसी तरह की मांग के साथ अन्य उम्मीदवार भी सामने आ सकते हैं, जिससे पूरी प्रवेश प्रक्रिया जटिल हो जाएगी।
जस्टिस गवई ने कहा, यदि हम केवल इन तीन अभ्यर्थियों की मांग स्वीकार करते हैं, तो आगे चलकर 30 और लोग ऐसे ही अनुरोध लेकर आएंगे। इससे पूरी काउंसलिंग प्रक्रिया में अस्थिरता आ सकती है। कोर्ट ने यह भी कहा कि कई मामलों में उम्मीदवारों को वांछित सीटें न मिलने की शिकायतें आती रहती हैं, लेकिन इससे पूरी काउंसलिंग प्रक्रिया को नए सिरे से शुरू करना उचित नहीं होगा।
ये खबर भी पढ़ें...
हाईस्कूल शिक्षक भर्ती में ST, SC, OBC और दिव्यांगों को नहीं दी 5% छूट, HC ने सरकार से मांगा जवाब
काउंसलिंग के लिए एक और राउंड की हुई मांग
याचिकाकर्ताओं की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता के. परमेश्वर ने दलील दी कि NEET-PG काउंसलिंग की प्रक्रिया में गड़बड़ियां हुई हैं, विशेष रूप से मध्य प्रदेश में, जहां राज्य काउंसलिंग के दूसरे दौर में देरी के कारण ऑल इंडिया कोटा में कई सीटें ब्लॉक हो गईं। इसका असर यह हुआ कि योग्य उम्मीदवारों को उनके वरीयता क्रम के अनुसार सीटें नहीं मिल सकीं, और उन्हें अपेक्षा से कम वरीयता वाले विषयों में प्रवेश लेना पड़ा।
ये खबर भी पढ़ें..
ओबीसी आरक्षण याचिकाओं पर अब सुप्रीम कोर्ट में ही होगी सुनवाई, HC में रोक
छात्र नहीं, राज्य प्रशासन जिम्मेदार
उन्होंने यह भी कहा कि इस स्थिति के लिए छात्र नहीं, बल्कि मध्य प्रदेश राज्य प्रशासन जिम्मेदार है, जिसने समय पर काउंसलिंग प्रक्रिया पूरी नहीं की। परमेश्वर ने आगे कहा, इस गलती की सजा छात्रों को क्यों मिले? यह उनके करियर का सवाल है, और यदि उन्हें उनकी पसंद की सीटें नहीं मिलीं, तो उनका भविष्य प्रभावित होगा। उन्होंने अदालत से अनुरोध किया कि इन परिस्थितियों को देखते हुए मेडिकल काउंसिल कमेटी (MCC) को एक अतिरिक्त काउंसलिंग राउंड आयोजित करने का निर्देश दिया जाए ताकि उम्मीदवारों को न्याय मिल सके।
एमपी की गलती की सजा, पूरे देश के छात्र नहीं भुगत सकते
इस याचिका के विरोध में नेशनल मेडिकल काउंसिल (NMC) की ओर से वकील गौरव शर्मा ने अदालत में दलील दी कि केवल मध्य प्रदेश में हुई गड़बड़ियों को आधार बनाकर पूरे देश की काउंसलिंग प्रक्रिया को प्रभावित नहीं किया जा सकता। उन्होंने कहा कि किसी एक राज्य में हुई समस्या को राष्ट्रीय स्तर पर उठाना और पूरे AIQ काउंसलिंग सिस्टम को बदलने की मांग करना तर्कसंगत नहीं है। शर्मा ने यह भी साफ किया कि AIQ राउंड III में जिन अभ्यर्थियों ने सीटें स्वीकार कर ली हैं, उन्हें अब उन्हें खाली करने और अन्य सीटों पर अपग्रेड करने की अनुमति नहीं दी जा सकती।
देशभर के मेडिकल उम्मीदवारों पर पड़ेगा असर
उन्होंने कोर्ट को यह भी बताया कि NEET-PG काउंसलिंग एक समयबद्ध प्रक्रिया होती है, जिसमें किसी भी तरह की छेड़छाड़ से पूरे देश के मेडिकल एडमिशन सिस्टम पर असर पड़ सकता है। उन्होंने कहा, अगर अब किसी भी तरह की नई काउंसलिंग प्रक्रिया शुरू की जाती है, तो इसका असर देशभर के मेडिकल उम्मीदवारों पर पड़ेगा, जिससे पूरी प्रवेश प्रक्रिया में असमंजस की स्थिति बन जाएगी।
ये खबर भी पढ़ें...
CWC ने दिया जुवेनाइल एक्ट का हवाला, हाईकोर्ट ने जताई नाराजगी, कहा- बच्चों को पेश करो
याचिकाकर्ताओं की मांग खारिज
सुप्रीम कोर्ट ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद याचिकाकर्ताओं की मांग को खारिज कर दिया। अदालत ने यह स्पष्ट किया कि यदि उम्मीदवारों को राज्य काउंसलिंग की सीटों से संतुष्टि नहीं है, तो वे अगले काउंसलिंग राउंड में भाग ले सकते हैं, लेकिन अखिल भारतीय स्तर पर पूरी काउंसलिंग प्रक्रिया को दोबारा शुरू करने का आदेश नहीं दिया जा सकता। कोर्ट ने कहा कि राज्यों में होने वाली प्रशासनिक देरी और अनियमितताओं को सुधारने की जिम्मेदारी राज्य सरकारों की है, लेकिन इसका खामियाजा पूरे देश की मेडिकल प्रवेश प्रक्रिया को भुगतना नहीं चाहिए।
यह मामला अंकित जोशी एवं अन्य विरुद्ध मेडिकल काउंसलिंग कमेटी WP(C) 103/2025 के तहत सुप्रीम कोर्ट में सुना गया था। याचिकाकर्ताओं की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता के. परमेश्वर और अधिवक्ता तन्वी दुबे ने पैरवी की, जबकि राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (NMC) की ओर से स्थायी वकील गौरव शर्मा और अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी ने अपना पक्ष रखा।
ये खबर भी पढ़ें...
सुप्रीम कोर्ट का फैसला : PG मेडिकल कोर्स में मूल निवास के आधार पर नहीं मिलेगा आरक्षण
राहत की उम्मीद कर रहे उम्मीदवारों को झटका
सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश के बाद यह साफ हो गया है कि NEET-PG 2024 की AIQ राउंड III काउंसलिंग को दोबारा नहीं कराया जाएगा। इससे उन उम्मीदवारों को झटका लगा है, जो इस मामले में अदालत से राहत की उम्मीद कर रहे थे। अब छात्रों को मौजूदा काउंसलिंग प्रक्रिया के तहत ही अपने विकल्पों पर विचार करना होगा और अगले राउंड में सीटों के लिए आवेदन करना होगा।