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नीट पीजी की तैयारी कर रहे कैंडिडेट्स के लिए बड़ी खबर है। सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार 29 जनवरी को बड़ा फैसला सुनाते हुए नीट पीजी में निवास-आधारित आरक्षण (Residence-Based Reservation) को असंवैधानिक घोषित कर दिया है। इस फैसले से अब राज्य कोटे के तहत पीजी चिकित्सा पाठ्यक्रमों में निवास-आधारित आरक्षण की प्रथा समाप्त हो गई है। अदालत ने इसे संविधान के अनुच्छेद 14 के तहत गारंटीकृत समानता के अधिकार (Right to Equality) का उल्लंघन करार दिया।
सुप्रीम कोर्ट का महत्वपूर्ण फैसला
सुप्रीम कोर्ट ने महत्वपूर्ण निर्णय सुनाया है। अब नीट पीजी में निवास-आधारित आरक्षण नहीं मिलेगा। सुप्रीम कोर्ट की तीन-न्यायाधीश न्यायमूर्ति हृषिकेश रॉय, सुधांशु धूलिया और एसवी एन भट्टी की पीठ ने बुधवार इस मामले में फैसला सुनाते हुए कहा कि राज्य कोटे के तहत नीट पीजी चिकित्सा पाठ्यक्रमों में प्रवेश के लिए निवास-आधारित आरक्षण असंवैधानिक है।
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यह समानता के अधिकार के खिलाफ
अदालत ने यह फैसला संविधान के अनुच्छेद 14 के अंतर्गत समानता के अधिकार को लेकर दिया, जिसमें कहा गया कि पीजी मेडिकल प्रवेश में निवास-आधारित आरक्षण की प्रथा अनुच्छेद 14 के तहत गारंटीकृत समानता के अधिकार के खिलाफ है। न्यायमूर्ति धूलिया ने अपने फैसले के दौरान यह भी कहा कि सभी भारतीय नागरिकों को कहीं भी रहने, किसी भी पेशे को अपनाने और बिना किसी भेदभाव के शिक्षा प्राप्त करने का अधिकार है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि निवास आधारित आरक्षण ऐसे मूल अधिकारों के खिलाफ है जो भारतीय नागरिकों को संविधान द्वारा दिए गए हैं।
MBBS में आरक्षण की स्थिति
हालांकि, कोर्ट ने यह स्पष्ट किया कि नीट यूजी (MBBS) के तहत कुछ हद तक निवास आधारित आरक्षण की अनुमति हो सकती है, लेकिन पीजी मेडिकल पाठ्यक्रमों में इसे विस्तार नहीं किया जाएगा। न्यायालय ने कहा कि पीजी मेडिकल कोर्स की विशिष्ट प्रकृति को देखते हुए, इस तरह के आरक्षण की अनुमति नहीं दी जा सकती है, क्योंकि इससे शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।
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मौजूदा आरक्षण पर कोई असर नहीं
फैसले में यह भी कहा गया कि इस निर्णय का प्रभाव पहले से जारी किए गए किसी भी निवास आधारित आरक्षण पर नहीं पड़ेगा। जिन छात्रों ने पहले से निवास आधारित आरक्षण के तहत प्रवेश लिया है, उन्हें इसका लाभ मिलता रहेगा। हालांकि, भविष्य में नीट पीजी के लिए प्रवेश एक नए कानूनी ढांचे के तहत होगा।
यह फैसला 2019 में दो न्यायाधीशों की बेंच द्वारा चंडीगढ़ के सरकारी मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में नीट पीजी प्रवेश को लेकर पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ अपील के बाद आया। इस फैसले से यह साफ हो गया कि नीट पीजी चिकित्सा पाठ्यक्रमों में प्रवेश के लिए कोई भी निवास आधारित आरक्षण अब मान्य नहीं होगा, और यह भारतीय संविधान के तहत समानता के अधिकार के खिलाफ है।
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