Jabalpur High Court ने PWD इंजीनियर को लगाई फटकार, कहा- भूमि मालिक को दे प्रतिदिन 15 हजार का हर्जाना, जानें पूरा मामला

जबलपुर हाईकोर्ट ने सड़क निर्माण के लिए निजी जमीन पर कब्जा करने के मामले में सरकार और PWD इंजीनियर को फटकार लगाई। साथ ही भूमि मालिक को प्रतिदिन 15 हजार रूपए हर्जाना देने का आदेश दिया है। साथ ही 25 हजार की कास्ट लगाई है।

Advertisment
author-image
Vikram Jain
एडिट
New Update
Jabalpur High Court orders compensation PWD engineer road construction case द सूत्र
Listen to this article
0.75x 1x 1.5x
00:00 / 00:00

नील तिवारी@JABALPUR. जबलपुर हाईकोर्ट ने मऊगंज जिले में प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के लिए निजी जमीन पर कब्जा करने के मामले में सरकार और लोक निर्माण विभाग के इंजीनियर को फटकार लगाई। साथ ही निजी जमीन से सड़क हटाए जाने तक भूमि मालिक को 15 हजार प्रतिदिन हर्जाना देने का आदेश दिया है। इस हर्जाने की भरपाई जनता के टैक्स के पैसे से नहीं बल्कि इंजीनियर के वेतन से काट कर भुगतान करने का भी आदेश दिया। कोर्ट ने 25 हजार रुपए की कास्ट लगाई जो एक माह के अंदर जमा करनी होगी।

जानें क्या है पूरा मामला

दरअसल, मऊगंज जिले की कुलबहेरिया ग्राम पंचायत में प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना के तहत सड़क निर्माण कार्य चल रहा है। इस दौरान भास्करदत्त द्विवेदी की निजी जमीन पर सड़क का कुछ हिस्सा बना दिया गया। इस जमीन का सरकार द्वारा अधिग्रहण नहीं किया गया, बल्कि कब्जा कर रोड का काम शुरू कर दिया गया। अब इस मामले में लगी भूमि मालिक की याचिका पर सुनवाई करते हुए जस्टिस जीएस अहलूवालिया ने सरकार सहित पीडब्ल्यूडी के रीवा डिवीजन के एक्सीक्यूटिव इंजीनियर को जमकर फटकार लगाई। साथ ही याचिकाकर्ता को 15 हजार रुपए प्रतिदिन हर्जाना देने का आदेश दिया। इस हर्जाने की भरपाई जनता के द्वारा दिए गए टैक्स के पैसे से नहीं बल्कि इस इंजीनियर के वेतन से काट कर भुगतान करने का भी आदेश दिया।

निर्माण कार्य पर लगाया स्टे

भास्करदत्त द्विवेदी की दायर याचिका पिछली सुनवाई में सरकार की ओर से यह माना गया था कि जिस जगह पर इस सड़क का निर्माण हो रहा है, वह याचिकाकर्ता की ही निजी जमीन है। इसके बाद मंगलवार को न्यायालय के आदेश पर निर्माण कार्य पर स्टे लगा दिया गया था। साथ ही सड़क निर्माण के लिए निजी जमीन का इस्तेमाल नहीं करने का आदेश पारित किया गया था।

ये खबर भी पढ़ें.. MPPSC 2023 प्री पर मप्र हाईकोर्ट का फैसला आया, इस आधार पर स्पेशल मेंस के लिए जा सकते हैं उम्मीदवार

मुख्य सचिव को दिए कार्रवाई के आदेश

बुधवार को हुई सुनवाई में शासन की ओर से वकील स्वाति असीम जॉर्ज ने यह आश्वासन दिया कि उन्होंने निजी जमीन को मुक्त करने के लिए जिम्मेदार अधिकारी से फोन पर बात कर ली है। जब पीडब्ल्यूडी विभाग के एक्सीक्यूटिव इंजीनियर मनोज कुमार द्विवेदी से न्यायालय ने इसकी पुष्टि चाहिए तो उन्होंने बताया कि वह जमीन काफी समय से सड़क के रूप में इस्तेमाल होती है, इसलिए उससे कब्जा नहीं हटाया गया। पीडब्ल्यूडी के इंजीनियर को इस बात का शायद एहसास नहीं था कि यह कहकर उन्होंने न्यायालय के पिछले आदेश की अवहेलना की है। इस बात पर शासकीय वकील से पक्ष जानने पर उन्होंने न्यायालय को बताया कि इंजीनियर को समझने में कुछ गलती हो गई पर न्यायालय ने यह जवाब रिजेक्ट कर दिया।

ये खबर भी पढ़ें... रामलला के दर्शन के लिए अयोध्या पहुंचा था MP का 55 हजार का इनामी बदमाश, उसके साथ कुछ ऐसा हुआ...

इंजीनियर को लगाई फटकार

कोर्ट ने आदेश में लिखा कि एक्सीक्यूटिव इंजीनियर का यह कहना कि यह सड़क पिछले 40 से 50 साल से मौजूद है, इसलिए उन्हे अधिकार है कि नई सड़क का निर्माण कर सके। इससे स्पष्ट है कि यह आदेश के प्रति अज्ञान नहीं, बल्कि न्यायालय और एडवोकेट जनरल ऑफिस से जारी आदेश कि अवहेलना कर रहे हैं। जस्टिस जीएस आहलूवालिया ने आदेश में लिखा कि यह वास्तव में दुर्भाग्यपूर्ण है कि सिविल सेवकों को महाधिवक्ता कार्यालय के आदेश का महत्व नहीं है जो एक संवैधानिक प्राधिकार है, और वे अपनी मनमर्जी अनुसार अवैध गतिविधि को अंजाम दे रहे हैं। इसके साथ ही न्यायालय ने मध्यप्रदेश सरकार के मुख्य सचिव को एक्सीक्यूटिव इंजीनियर पर तत्काल कार्रवाई करने के आदेश दिए हैं।

ये खबर भी पढ़ें... MP में लोकायुक्त का एक्शन, 20 हजार की रिश्वत लेते इंजीनियर रंगे हाथों गिरफ्तार, मांगा 10% कमीशन

ऐसे अधिकारियों को जेल दो भेज... 

सुनवाई के दौरान जस्टिस अहलूवालिया ने कहा कि एडवोकेट जनरल के ऑफिस से निर्देश जारी किए गए थे और यदि शासकीय अधिवक्ता यह मान रहे हैं कि इस अधिकारी मनोज कुमार द्विवेदी को आदेश समझ में नहीं आया तो क्यों ना इसे जेल भेज दिया जाए। आगे जस्टिस ने कहा कि यह अभी भी सरकारी आवास में रह रहे हैं और जेल भी सरकारी आवास ही है।

ये खबर भी पढ़ें.. लोकायुक्त की बड़ी कार्रवाई, पटवारी को रिश्वत लेते रंगे हाथों दबोचा, इस काम के एवज में मांगे थे रुपए

निजी जमीन से सड़क हटने तक प्रतिदिन हर्जाना देना होगा

सुनवाई के दौरान जस्टिस अहलूवालिया ने निजी जमीन को अतिक्रमण मुक्त करने के आदेश देते हुए पीडब्ल्यूडी विभाग को निर्देश दिया कि जब तक सड़क को पूरी तरह से निजी जमीन से हटाया नहीं जाता तब तक याचिकाकर्ता को प्रतिदिन 15 हजार रुपए की दर से हर्जाना दिया जाए और इस हर्जाने की भरपाई शासन के खाते से नहीं बल्कि इस इंजीनियर के वेतन से कटौती कर की जाए। जिसकी रिपोर्ट भी पीडब्ल्यूडी के प्रिंसिपल सेक्रेटरी 31 मई तक कोर्ट को सौंपनी होगी। 

लगाई 25 हजार रुपए की कास्ट

इसके साथ ही कोर्ट ने 25 हजार रुपए की कास्ट लगाई जो एक माह के अंदर जमा करनी होगी। इसके साथ ही कोर्ट ने एक्सीक्यूटिव इंजीनियर को कारण बताओ नोटिस जारी करने के आदेश दिए हैं कि न्यायालय के 21 मई के आदेश कि अवहेलना करने पर क्यों ना उनके खिलाफ न्यायालय की अवमानना का मुकदमा चलाया जाए।

thesootr links

 सबसे पहले और सबसे बेहतर खबरें पाने के लिए thesootr के व्हाट्सएप चैनल को Follow करना न भूलें। join करने के लिए इसी लाइन पर क्लिक करें

द सूत्र की खबरें आपको कैसी लगती हैं? Google my Business पर हमें कमेंट के साथ रिव्यू दें। कमेंट करने के लिए इसी लिंक पर क्लिक करें

जबलपुर हाईकोर्ट, PWD इंजीनियर को कोर्ट की फटकार, जस्टिस जीएस अहलूवालिया, जबलपुर न्यूजJabalpur High Court, Court reprimands PWD engineer, Justice GS Ahluwalia, Jabalpur News

Jabalpur High Court Jabalpur News जबलपुर हाईकोर्ट जबलपुर न्यूज Justice GS Ahluwalia जस्टिस जीएस अहलूवालिया PWD इंजीनियर को कोर्ट की फटकार Court reprimands PWD engineer