समझ से परे नॉर्मलाइजेशन का फार्मूला, फिर से मेरिट लिस्ट बनाने का आदेश

जबलपुर हाईकोर्ट में प्री NEET PG 2024 एग्जाम के मेरिट सूची बनाए  जाने के विरोध में याचिका दायर की थी। जिस पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने राज्य की मेरिट लिस्ट को रद्द करने का आदेश जारी किया है।

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Neel Tiwari
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Merit List Normalization System

जबलपुर हाईकोर्ट में डॉक्टर अभिषेक शुक्ला और अन्य के द्वारा प्री NEET PG 2023 परीक्षा में मप्र राज्य के द्वारा तैयार की गई मेरिट सूची के खिलाफ दायर की है। उनका तर्क है कि अखिल भारतीय स्तर पर तैयार की गई मेरिट लिस्ट में तो उनका नाम है लेकिन राज्य के द्वारा तैयार की गई मेरिट लिस्ट में उनका नाम अन्य सेवारत उम्मीदवारों से नीचे प्रदर्शित हो रहा है। 

दो  शिफ्ट में आयोजित की गई थी परीक्षा

NEET-PG परीक्षा  पहले में एक ही शिफ्ट में आयोजित  किया जाना था लेकिन स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने इसे स्थगित कर दिया। सुरक्षा के अतिरिक्त उपाय सुनिश्चित करने और परीक्षा की पवित्रता बनाए रखने के लिए, सीमित परीक्षा केंद्रों पर परीक्षा आयोजित करने का निर्णय लिया गया कि NEET-PG 2024 परीक्षा को दो शिफ्ट में आयोजित की जाएगी।

सेवारत उम्मीदवारों को अतिरिक्त प्रोत्साहन अंक दिए जाने का प्रावधान

NBEMS ने बताया कि अखिल भारतीय सूची में रैंक अधिसूचित सामान्यीकरण प्रक्रिया के अनुसार प्राप्त प्रतिशत पर आधारित थी। साथ ही बताया गया कि यह भारत में कई राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में NEET PG  में अपने इन-सर्विस (सेवारत) उम्मीदवारों को अतिरिक्त प्रोत्साहन अंक देने का प्रावधान है सेवारत उम्मीदवार ग्रामीण/कठिन क्षेत्र में पूरी की गई सेवा की अवधि के आधार पर अपने मूल अंकों के प्रतिशत में 10%, 20% और 30% प्रोत्साहन अंक पाने के हकदार हैं।

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NBEMS ने अंकों को समान करने के लिए अपनाई नॉर्मलाइजेशन प्रक्रिया 

डॉ. सुबोध कुमार और डॉ. एन.आई. इबोयामा मंगांग के अनुसार राज्य परामर्श प्राधिकरणों के पास सभी सूचनाएं जैसे कच्चे अंक, उम्मीदवारों की शिफ्ट, टाई ब्रेकिंग डेटा आदि उपलब्ध नहीं हैं, इसलिए एनबीईएमएस को प्रोत्साहन अंकों के प्रतिशत के आधार पर राज्य विशिष्ट मेरिट सूची प्रदान करने का काम गया था। जिसमे परीक्षा दो शिफ्ट में आयोजित की गई थी जिसमें 1 शिफ्ट में जटिलता के कारण  शिफ्ट 2 की परीक्षा से कम अंक प्राप्त हुए तब नॉर्मलाइजेशन प्रक्रिया अपनाते हुए शिफ्ट 1 के उम्मीदवारों प्राप्त अंकों के 10 प्रतिशत को मिलने वाले अंकों जोड़ दिया जाता है। जिससे शिफ्ट 1  के उम्मीदवारों को 10 प्रतिशत अधिक अंक प्राप्त हो जाते हैं। जिससे उनको मिलने वाले अंक 30 प्रतिशत की जगह 33 प्रतिशत हो जाते हैं। लेकिन शिफ्ट 2 के उम्मीदवारों को लाभ केवल 30 प्रतिशत अंकों का ही मिलता है।

नॉर्मलाइजेशन फॉर्मूले पर लगातार 5 दिन चली बहस

याचिकाकर्ता के अधिवक्ता आदित्य संघी ने बताया कि NBEMS द्वारा प्रतिपादित प्रतिशत की पद्धति किसी उम्मीदवार की मूल योग्यता को नहीं बल्कि उम्मीदवार की तुलनात्मक योग्यता को दर्शाती है। उन्होंने बताया  कैसे एक उम्मीदवार जिसने अखिल भारतीय रैंक सूची में किसी अन्य उम्मीदवार की तुलना में अधिक अंक प्राप्त किए हैं और उसी उम्मीदवार की तुलना में राज्य सूची में कम अंक प्राप्त किए हैं। वर्तमान सेवारत उम्मीदवारों को मिलने वाली प्रोत्साहन अंक समान होते हैं जो सभी को 30% दिए जाते हैं लेकिन उनके द्वारा तैयार किए गए नॉर्मलाइजेशन फॉर्मूला जो की 12 पन्नों का है वह अभी भी समझ के परे है। सुप्रीम कोर्ट के द्वारा जारी किए गए पूर्व में आदेशों का भी हवाला दिया गया। साथ ही इस मामले को लेकर कोर्ट में 5 दिन तक लगातार बहस की गई। उन्होंने नॉर्मलाइजेशन फार्मूले की तुलना क्रिकेट के डकवर्थ लुईस नियम से की।

हाई कोर्ट में जारी किया फैसला 

हाई कोर्ट में इस मामले पर सुनवाई जस्टिस संजीव सचदेवा और जस्टिस विनय सराफ की डिवीजन बेंच में हुई जिसमें  मध्य प्रदेश राज्य के लिए NEET-PG 2024 परीक्षा के लिए राज्य मेरिट सूची को रद्द करने का आदेश जारी किया गया। साथ ही  राष्ट्रीय आयुर्विज्ञान परीक्षा बोर्ड को निर्देश दिया गया कि कि वह सेवारत उम्मीदवारों को उनके कच्चे अंकों के आधार पर नहीं बल्कि उनके सामान्यीकृत अंकों के आधार पर प्रोत्साहन अंक प्रदान करके नए सिरे से यह प्रक्रिया यथासंभव शीघ्रता से पुरी कर राज्य मेरिट सूची तैयार करे।

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