264 करोड़ की वसूली, फिर भी फीस लेने के लिए आजाद हैं प्राइवेट स्कूल

जबलपुर में निजी स्कूलों के ऊपर जिला शिक्षा समिति के द्वारा की गई बड़ी कार्रवाई के बाद भी अभिभावकों को राहत मिलती हुई नजर नहीं आ रही है क्योंकि हाईकोर्ट में गुरुवार को हुई सुनवाई में भी कोर्ट ने कोई स्पष्ट आदेश जारी नहीं किया है।

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Neel Tiwari
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जबलपुर में प्राइवेट स्कूलों के ऊपर जिला शिक्षा समिति के द्वारा की गई बड़ी कार्रवाई के बाद भी अभिभावकों को राहत मिलती हुई नजर नहीं आ रही है क्योंकि हाईकोर्ट में गुरुवार को हुई सुनवाई में भी कोर्ट ने कोई स्पष्ट आदेश जारी नहीं किया है।

3 लाख से अधिक छात्र-छात्राओं से जुड़ा है मामला 

जबलपुर में प्राइवेट स्कूलों के द्वारा नियम विरुद्ध की गई फीस वृद्धि के बाद इस पर कार्रवाई करते हुए जिला शिक्षा समिति के अध्यक्ष के तौर पर जबलपुर कलेक्टर दीपक सक्सेना ने बड़ी कार्रवाई की थी। अब तक की गई कार्रवाई में लगभग 264 करोड रुपए की अवैध फीस की रिकवरी इन निजी स्कूलों से की जानी है। जिला शिक्षा समिति के द्वारा स्कूलों की फीस भी तय कर दी गई है लेकिन इस सब के बाद भी कानूनी दांव पेच के चलते जमीनी स्तर पर अभिभावकों को इसका कोई भी लाभ नहीं मिल रहा है। हाई कोर्ट के द्वारा जारी किए गए पिछले आदेश के अनुसार स्कूल 10% फीस की वृद्धि कर सकते हैं पर आदेश में यह कहीं भी नहीं लिखा हुआ कि किस साल को बेस मानकर या 10% की वृद्धि की जाएगी, इस बात का फायदा निजी स्कूल जमकर उठा रहे हैं और छात्र-छात्राओं को फीस जमा न करने से एग्जाम में न बैठने देने की धमकी तक दी जा रही है जिसके कई मामले लगातार सामने आ रहे हैं। 

निजी स्कूलों के मामले में पैरेंट एसोसिएशन बना हस्तक्षेपकर्ता 

जबलपुर हाईकोर्ट में चीफ जस्टिस सुरेश कुमार कैत और जस्टिस विवेक जैन की डिविजनल बेंच में चल रही प्राइवेट स्कूलों की सुनवाई में अभिभावकों का पक्ष रखने के लिए पैरेंट एसोसिएशन ने इंटरवीन किया है। उन्होंने कोर्ट के सामने यह तथ्य रखा की छात्र-छात्राओं को फीस जमा न करने पर परीक्षा में बैठने से वंचित किए जाने की धमकी दी जा रही है। इसके साथ ही उन्होंने कोर्ट को बताया कि जिला शिक्षा समिति के द्वारा तय की गई फीस वह जमा करने के लिए तैयार है लेकिन स्कूलों के द्वारा मामला हाई कोर्ट में लंबित होने का बहाना बनाते हुए पिछले वर्ष की फीस में भी 10% की बढ़ोतरी कर फिर से अवैध वसूली की डिमांड की जा रही है। उन्होंने कोर्ट से यह भी मांग की की हाई कोर्ट के पिछले आदेश के अनुसार जो 10% की वृद्धि की अनुमति दी गई है उसमें किसी वर्ष का उल्लेख नहीं है जिसके कारण यह असमंजस की स्थिति बनी हुई है कि 10% की वृद्धि किस साल से की जाएगी। अभिभावको की ओर से यह मांग की गई की कोर्ट के द्वारा वर्ष 2017 से 10% फीस वृद्धि के लिए आदेश दिया जाए इसके साथ ही उनकी मांग थी कि हाई कोर्ट एक स्पष्ट आदेश जारी करें कि किसी भी छात्र-छात्राओं को फीस जमा न करने के कारण परीक्षा में बैठने से रोक नहीं जाएगा। हालांकि हाई कोर्ट ने इन दोनों मांगों पर कोई भी संज्ञान नहीं लिया।

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प्राइवेट स्कूलों ने लगाया पैरेंट संगठन पर आरोप

निजी स्कूलों ने हाईकोर्ट में पैरेंट एसोसिएशन पर आरोप लगाते हुए यह कहा कि इस संगठन के लोग हाथों में माइक और स्पीकर लेकर स्कूलों में जा रहे हैं और अप्रिय स्थिति निर्मित कर रहे हैं। इसके साथ ही उन्होंने आरोप लगाया कि संगठन के लोग जो उन अभिभावकों को भी भड़का रहे हैं जो फीस जमा करने के लिए तैयार है। इसके साथ ही निजी स्कूलों की ओर से अधिवक्ता ने कोर्ट को बताया कि हमने कुछ स्क्रीनशॉट और वीडियो कोर्ट के समक्ष रखे हैं जिससे यह सिद्ध हो रहा है कि संगठन के लोग कोर्ट की भी अवमानना कर रहे हैं। हालांकि आज हाईकोर्ट ने इस मामले में भी कोई संज्ञान नहीं लिया है।

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प्राइवेट स्कूलों ने बताया 10% वृद्धि को अपना हक 

निजी स्कूलों ने कोर्ट को पिछले आदेश का हवाला देते हुए बताया कि उन्हें 10% वृद्धि की अनुमति मिली हुई है और 10% फीस वृद्धि करने के लिए उन्हें जिला शिक्षा समिति से अनुमति नहीं लेनी है। हालांकि कोर्ट ने इस मामले में संज्ञान नहीं दिया पर मध्य प्रदेश निजी विद्यालय (फ़ीस और संबद्ध विषयों का विनियमन) अधिनियम, 2017 के अनुसार 10% फीस वृद्धि भी मनमाने ढंग से नहीं की जा सकती। यह 10% फीस वृद्धि तब की जा सकती है जब स्कूल की कुल आय के बाद उसका खर्च जोड़ने पर संस्थान घाटे में चल रहा हो। पेरेंट्स एसोसिएशन के अधिवक्ता ने कोर्ट के संज्ञान में यह बात लाई की निजी स्कूलों के द्वारा गलत तथ्य प्रस्तुत किया जा रहे हैं और यह 10% फीस वृद्धि भी मनमाने तरीके से नहीं कर सकते।

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हाईकोर्ट से नहीं मिली राहत अगली सुनवाई में उम्मीद 

चीफ जस्टिस की डिविजनल बेंच में अभी कोई भी ऐसा आदेश जारी नहीं हुआ है जिससे अभिभावकों या छात्रों को राहत मिल सके। हालांकि चीफ जस्टिस ने पेरेंट्स एसोसिएशन के द्वारा किए जा रहे प्रदर्शन पर भी कोई संज्ञान लेकर एक्शन नहीं लिया है लेकिन छात्रों को फीस जमा न करने पर परीक्षा देने या 10% फीस की वृद्धि के लिए साल तय करने से जोड़ा भी कोई आदेश जारी नहीं किया गया है। अब अभिभावकों की उम्मीद इस मामले की अगली सुनवाई से ही है। इसके बाद यह तय हो पाएगा कि निजी स्कूलों को फायदा मिलता है या अभिभावकों को राहत।

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