RSS ज्वाइन नहीं करने पर शिक्षक से मारपीट का मामला, हाईकोर्ट ने कहा- सात दिन में कार्रवाई करें SP

मध्य प्रदेश के सीधी में प्रोफेसर डॉ. रामजस चौधरी के साथ मारपीट और आरएसएस ज्वाइन नहीं करने के लिए प्रताड़ित करने के मामले में हाईकोर्ट ने आदेश जारी किए हैं। कोर्ट ने सीधी पुलिस अधीक्षक को सात दिनों में कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं।

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Neel Tiwari
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jabalpur high court sidhi teacher assault action

मध्य प्रदेश हाईकोर्ट। Photograph: (the sootr)

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JABALPUR. मध्य प्रदेश के सीधी में अनुसूचित जाति के शिक्षक के साथ मारपीट करने और उसे जबरन RSS ज्वाइन कराने के मामले में जबलपुर हाईकोर्ट ने सीधी एसपी को कार्रवाई के निर्देश दिए है। हाईकोर्ट की सिंगल बेंच ने फैसला जारी करते हुए सीधी पुलिस अधीक्षक को दोषियों पर 7 दिन में कार्रवाई करने के निर्देश दिए।

RSS ज्वाइन करने के लिए किया गया प्रताड़ित

सीधी में सरकारी कला एवं वाणिज्य कॉलेज में गेस्ट फेकल्टी के प्रोफेसर डॉ. रामजस चौधरी के साथ बीते दिनों कॉलेज में मारपीट की गई थी। जिसमें करीब 18 लोगों ने उनसे जबरन कहा कि वे आरएसएस (RSS) ज्वाइन करें, जब उन्होंने इनकार किया तो उन्हें टॉयलेट में बंद कर उनके साथ मारपीट की गई। जिसके बाद उन्होंने इस घटना की शिकायत स्थानीय पुलिस थाने में की थी, लेकिन पुलिस से मदद ना मिलने पर उनके द्वारा जबलपुर हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की गई।

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एट्रोसिटी एक्ट तहत दायर हो सकता है परिवाद

हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश सुरेश कुमार कैत ने इस मामले की सुनवाई करते हुए आश्वासन दिया कि अनुसूचित जाति जनजाति के अधिकारों की रक्षा करने के लिए जो कानून बनाए गए हैं, वह पर्याप्त थे, क्योंकि आपको न्याय नहीं मिला है। इसलिए आप सीधी जिले के एसपी और थाना प्रभारी के खिलाफ एट्रोसिटी एक्ट की धारा 4 के तहत परिवाद दायर कर सकते हैं, साथ ही कोर्ट ने दिशा निर्देशित करते हुए मामले की सुनवाई सिंगल बैंच में कराने की बात कही गई। इसके अलावा जिन लोगों ने आपके साथ दुर्व्यवहार किया है, उनके खिलाफ भी कानूनी कार्रवाई करने के आदेश दिए गए हैं।

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याचिका लगाने के बाद कॉलेज से किया टर्मिनेट

प्रो. रामजस चौधरी ने बताया कि उन्होंने मारपीट की शिकायत स्थानीय थाने में भी की थी लेकिन पुलिस ने आरोपियों की गिरफ्तारी न करते हुए उनकी किसी भी प्रकार से मदद नहीं की, साथ ही 9 दिसंबर को जब उन्होंने इस मुद्दे पर जनहित याचिका लगाई तो कॉलेज के प्रिंसिपल ने उन्हें टर्मिनेट कर दिया। जिसमें उन्होंने बताया कि अपने टर्मिनेशन ऑर्डर में इस बात का जिक्र किया है कि शिक्षक धार्मिक कार्यक्रमों में हिस्सा नहीं लेते इसलिए उन्हें नौकरी से हटाया जा रहा है।

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7 दिन में कार्रवाई का आदेश

इस याचिका पर सुनवाई जस्टिस विवेक अग्रवाल सिंगल बैंच में हुई जिसमें कोर्ट ने पाया कि याचिकाकर्ता के ऊपर जबरन दबाव बनाने और जानलेवा हमले किए जाने की प्रयास किए गए हैं जिसमें याचिकाकर्ता के द्वारा थाना प्रभारी, पुलिस अधीक्षक सीधी और डीआईजी से इसकी शिकायत लिखित और मौखिक रूप से की गई है, लेकिन पुलिस के द्वारा कोई भी कार्रवाई नहीं की गई है। इस संबंध में कोर्ट के द्वारा निर्देश जारी करते हुए पुलिस अधीक्षक सीधी को याचिका में उल्लेखित समस्त आरोपियों के खिलाफ 7 दिन में कार्रवाई करने के आदेश जारी किए गए।

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