हाईकोर्ट निर्माण फाइल छह माह से अटकी, वित्त विभाग पर HC ने जताई नाराजगी

हाईकोर्ट के निर्माण के लिए 116 करोड़ रुपए की परियोजना की फाइल वित्त विभाग में छह महीने से अटकी है। कोर्ट ने इस देरी पर नाराजगी जताई और सरकार से स्पष्ट जवाब मांगा। सरकार ने कहा कि फंड की कमी नहीं है, केवल अनुमोदन प्रक्रिया चल रही है।

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Neel Tiwari
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jabalpur highcourt

Photograph: (THESOOTR)

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JABALPUR. जबलपुर हाईकोर्ट के सामने बनने वाली 116 करोड़ रुपए की मल्टीलेवल पार्किंग और आधुनिक लॉयर्स चैंबर के निर्माण में देरी को लेकर दायर याचिका पर गुरुवार 27 नवंबर को सुनवाई हुई। चीफ जस्टिस संजीव सचदेवा और जस्टिस विनय सराफ की डिवीजन बेंच ने वित्त विभाग पर कड़ी नाराजगी जताई।

कोर्ट ने पूछा कि यदि सरकार के पास फंड नहीं है तो वह भी साफ-साफ बता दे। कोर्ट ने पूछा कि मुख्यमंत्री द्वारा 4 मई को भूमिपूजन किया गया था। सैद्धांतिक स्वीकृति भी मिल गई थी। बावजूद इसके 6 महीनों में व्यावहारिक स्वीकृति क्यों नहीं दी गई। कोर्ट ने इसे गंभीर लापरवाही बताते हुए मौखिक टिप्पणी की- विंटर सेशन शुरू होने वाला है, तब फिर आप व्यस्तता का बहाना बनाएंगे; फिर इसे पहले क्यों नहीं निपटाया?

सरकार का जवाब- फंड की कमी नहीं

राज्य सरकार की ओर से कोर्ट को बताया गया कि परियोजना की फाइल वित्त समिति के पास विचाराधीन है और इस प्रक्रिया को जल्द पूरा किया जाएगा। सरकार ने स्पष्ट किया कि फंड की कोई कमी नहीं है, केवल अनुमोदन प्रक्रिया चल रही है।

हालांकि, कोर्ट इस जवाब से संतुष्ट नहीं हुआ। डिवीजन बेंच ने निर्देश दिया कि फाइनेंस डिपार्टमेंट के चीफ सेक्रेटरी या तो अगले आदेश में विस्तृत जवाब दाखिल करें, अन्यथा उन्हें समन भेजा जा सकता है। कोर्ट ने यह भी कहा कि पिछले छह महीनों में वित्त विभाग ने कितने प्रस्तावों पर कार्रवाई की, इसकी जानकारी भी पेश की जाए।

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भीषण जाम में जनता-वकील दोनों परेशान

याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता दिनेश उपाध्याय ने बताया कि हाईकोर्ट रोड पर रोजाना घंटों जाम लगता है। इससे न केवल वकील बल्कि, आम नागरिक भी परेशान होते हैं।

116 करोड़ की इस परियोजना का भूमिपूजन मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के न्यायाधीशों की मौजूदगी में किया था, लेकिन आज तक निर्माण शुरू नहीं हो सका। इस मामले में याचिकाकर्ता हाईकोर्ट बार एसोसिएशन अध्यक्ष धन्य कुमार जैन ने कई बार सरकार को पत्र लिखकर देरी का मुद्दा उठाया था। अधिवक्ताओं के संगठनों ने सड़कों पर उतरकर भी कई बार प्रदर्शन किया था।

सरकार का तर्क था कि 5 मई को सैद्धांतिक वित्तीय स्वीकृति मिल चुकी है, लेकिन व्यवहारिक अनुमोदन नहीं मिलने के कारण टेंडर प्रक्रिया नहीं शुरू हो सकी। अधिवक्ता उपाध्याय ने परियोजना को कोर्ट की निगरानी में लाने और कम से कम टेंडर जारी करने की मांग की। हालांकि, कोर्ट ने कहा कि राज्य के फाइनेंशियल मैटर्स में हस्तक्षेप नहीं किया जाएगा और प्रक्रिया पूरी होने से पहले टेंडर निकालना उचित नहीं है।

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अगली सुनवाई 17 दिसंबर

कोर्ट ने राज्य सरकार को समय देते हुए कहा कि अगली सुनवाई 17 दिसंबर को होगी। तब तक वित्त विभाग को यह स्पष्ट करना होगा कि छह महीनों में इस फाइल पर क्या कार्रवाई की गई और देरी का वास्तविक कारण क्या है। हाईकोर्ट ने कड़ा संकेत दिया कि यदि अगली सुनवाई तक स्पष्ट प्रगति नहीं हुई, तो उच्च अधिकारी को व्यक्तिगत रूप से जवाब देना पड़ेगा।

हाईकोर्ट पार्किंंग समस्या केवल वकीलों की नहीं बल्कि, पूरे शहर की समस्या है। सुबह-शाम और स्कूलों की छुट्टी के समय हाईकोर्ट रोड पर जाम इतना बढ़ जाता है कि पूरा शहर प्रभावित हो जाता है। जनता अब इसी बात के इंतजार में है कि वित्त विभाग की देरी खत्म हो और इस जरूरी परियोजना पर काम शुरू हो सके।

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