स्टांप शुल्क का किया गलत आंकलन, कटनी के जिला रजिस्ट्रार को देना होगा 50 हजार का हर्जाना

जबलपुर हाईकोर्ट ने कटनी के एक बिल्डर की याचिका पर सुनवाई करते हुए प्रशासन के गलत स्टांप शुल्क निर्धारण को असंवैधानिक करार दिया है। कोर्ट ने 50 हजार रुपए का हर्जाना देने का आदेश दिया और यह यह राशि जिला रजिस्ट्रार से वसूल की जाएगी।

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Neel Tiwari
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मध्य प्रदेश हाईकोर्ट।

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जबलपुर हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में प्रशासन की ओर से स्टांप शुल्क के गलत आंकलन को असंवैधानिक करार दिया है। जस्टिस विवेक अग्रवाल की एकल पीठ ने राजस्व विभाग के अधिकारियों द्वारा लिए गए आदेशों को रद्द करते हुए न केवल याचिकाकर्ता को बड़ी राहत दी, बल्कि प्रशासन की कानूनी प्रावधानों की गलत व्याख्या के लिए 50 हजार रुपए का हर्जाना देने का भी आदेश दिया है। यह मामला अब चर्चा का विषय बन गया है, क्योंकि इससे न केवल भू-संपत्ति मामलों में स्टांप शुल्क निर्धारण की प्रक्रिया पर असर पड़ेगा, बल्कि प्रशासनिक जवाबदेही का भी नया मानक स्थापित होगा।

63 प्लॉटों के कंस्ट्रक्शन से जुड़ा है मामला

यह मामला कटनी के पीएलएम बिल्डर्स एंड डेवलपर्स द्वारा दायर किया गया था। कंपनी ने हाईकोर्ट (jabalpur highcourt) में याचिका दायर कर कहा था कि प्रशासन द्वारा उनके भूखंडों के मूल्यांकन के 125% पर स्टांप शुल्क मांगा जा रहा है, जो नियमों के खिलाफ है। याचिकाकर्ता ने यह दलील दी कि नगर निगम के साथ हुए समझौते के अनुसार, विकास कार्यों की लागत का 125% मूल्य वाले भूखंडों को बंधक रखना आवश्यक था, लेकिन इसका अर्थ यह नहीं था कि स्टांप शुल्क भी इसी आधार पर वसूला जाए। इस मामले में विवादित जमीन कटनी शहर के झिंझरी क्षेत्र के महाराणा प्रताप वार्ड में स्थित थी, जहां पीएलएम बिल्डर्स एंड डेवलपर्स द्वारा 301 से 363 तक कुल 63 भूखंडों पर कंस्ट्रक्शन किया जा रहा था। इन भूखंडों का कुल क्षेत्रफल 12,019.91 वर्ग मीटर था। इस जमीन को नगर निगम, कटनी के साथ विकास कार्यों के एवज में बंधक रखा गया था, लेकिन प्रशासन ने नियमों की गलत व्याख्या करते हुए 125% मूल्यांकन के आधार पर स्टांप शुल्क लगाने का आदेश दिया था।

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125% स्टांप ड्यूटी लगाना सरासर गलत

हाईकोर्ट ने इस मामले में गहन विचार-विमर्श करते हुए यह साफ किया कि 1998 के नियमों के तहत, किसी कॉलोनाइजर को आंतरिक विकास कार्यों के लिए कुल लागत का 125% मूल्य वाले भूखंडों को नगर निगम के पास बंधक रखना आवश्यक होता है। लेकिन इसका मतलब यह बिल्कुल भी नहीं है कि स्टांप शुल्क भी इसी 125% मूल्यांकन पर लगाया जाए। न्यायालय ने यह भी कहा कि स्टांप शुल्क निर्धारण के लिए भूखंडों की कीमत उस दिन के बाजार मूल्य के अनुसार तय की जानी चाहिए, जिस दिन उन्हें बंधक रखा गया था। इस तरह, प्रशासन द्वारा की गई गणना नियमों के विरुद्ध थी, और इसलिए, कोर्ट ने इसे अवैध ठहराया।

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जिला रजिस्ट्रार को झटका, याचिकाकर्ता को राहत

कोर्ट ने यह पाया कि प्रशासनिक अधिकारियों ने स्टांप शुल्क निर्धारण में गंभीर गलती की है और कानूनी प्रावधानों की गलत व्याख्या की है। इस गलती के कारण याचिकाकर्ता को अनावश्यक कानूनी लड़ाई लड़नी पड़ी, जिससे उसे मानसिक और आर्थिक हानि हुई। कोर्ट ने इस लापरवाही को गंभीर मानते हुए कटनी के जिला पंजीयक (डिस्ट्रिक्ट रजिस्ट्रार ) को जिम्मेदार ठहराया और 50 हजार रुपए का हर्जाना देने का आदेश दिया। खास बात यह है कि यह हर्जाना सरकारी खजाने से नहीं, बल्कि संबंधित दोषी अधिकारी डिस्ट्रिक्ट रजिस्टार/कलेक्टर ऑफ स्टाम्प कटनी से वसूला जाएगा, ताकि इस तरह की प्रशासनिक लापरवाही भविष्य में न दोहराई जाए।

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30 दिनों के भीतर मिलेगा याचिकाकर्ता को हर्जाना

अब प्रशासन को 30 दिन की समयसीमा के भीतर 50 हजार रूपए का हर्जाना याचिकाकर्ता बिल्डर को अदा करना होगा और इसके बाद यह रकम कटनी के जिला रजिस्ट्रार से वसूल करनी होगी। यदि निर्धारित 30 दिनों की अवधि में यह राशि नहीं दी जाती है, तो याचिकाकर्ता कानूनी कार्रवाई कर सकता है। यह फैसला प्रशासनिक अधिकारियों के लिए एक स्पष्ट संदेश है कि यदि वे गलत फैसले लेते हैं तो उन्हें इसकी कीमत व्यक्तिगत रूप से चुकानी होगी। यह आदेश अन्य मामलों के लिए भी एक मिसाल बनेगा, जहां नागरिकों को अनुचित प्रशासनिक फैसलों के कारण परेशानी उठानी पड़ती है।

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सोच समझ कर आदेश जारी करें जिम्मेदार

यह फैसला उन सभी लोगों के लिए राहत भरा है, जिन्हें प्रशासन की गलत नीतियों के कारण स्टांप शुल्क या अन्य करों में अनावश्यक परेशानी झेलनी पड़ती है। इससे प्रशासन में मौजूद अधिकारियों पर भी यह दबाव बनेगा कि वह कानूनों को सही ढंग से लागू करे और नागरिकों पर गैर-जरूरी वित्तीय बोझ न डाले। इस फैसले के बाद, भविष्य में प्रशासन को कानूनी प्रावधानों को ध्यान से पढ़कर और समझकर ही कोई निर्णय लेना होगा, जिससे आनेवाले समय में किसी को अनावश्यक वित्तीय परेशानियों का सामना ना करना पड़े।

5 मुख्य बिंदुओं से समझें पूरा मामला 

✅ जबलपुर हाईकोर्ट ने प्रशासन के गलत स्टांप शुल्क निर्धारण को असंवैधानिक करार दिया।

✅ कोर्ट ने कटनी के जिला रजिस्ट्रार को 50 हजार रुपए का हर्जाना देने का आदेश दिया।

✅ यह मामला 63 प्लॉटों पर कंस्ट्रक्शन और स्टांप शुल्क निर्धारण से जुड़ा था।

✅ कोर्ट ने यह स्पष्ट किया कि स्टांप शुल्क का निर्धारण बाजार मूल्य के आधार पर किया जाना चाहिए।

✅  प्रशासनिक लापरवाही के लिए व्यक्तिगत जिम्मेदारी तय करने का संदेश दिया गया।

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