मनमानी फीस वसूली मामले में जबलपुर कलेक्टर का एक्शन, 4 स्कूलों को 38 करोड़ लौटाने के आदेश

जबलपुर में कलेक्टर ने निजी स्कूलों से अवैध फीस वसूली पर कार्रवाई करते हुए राशि वापस करने और जुर्माना लगाने के आदेश दिए हैं। जानें क्या है पूरा मामला इस लेख में...

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Neel Tiwari
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जबलपुर में निजी स्कूल शिक्षा माफिया के द्वारा नियम के खिलाफ फीस बढ़ोतरी कर अवैध फीस वसूलने के मामले में कलेक्टर दीपक सक्सेना के द्वारा अवैध फीस वसूली को वापस किए जाने की कार्रवाई की जा रही है। इसी कार्रवाई के दौरान चार निजी स्कूलों को 38 करोड़ रुपए वापस किए जाने के आदेश हुए हैं। साथ ही 2-2 लाख रुपए के जुर्माने (penalty) को जमा करने के लिए 30 दिन का समय दिया गया है।

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नियमों के खिलाफ की गई फीस वसूली

जबलपुर में निजी स्कूलों के द्वारा फीस बढ़ोतरी के सभी नियमों को ताक पर रखकर असंवैधानिक तरीके से 10 प्रतिशत से ज्यादा सालाना फीस बढ़ोतरी की गई। जिसके खिलाफ कार्रवाई के दौरान जिला प्रशासन के द्वारा जांच दल को गठित कर संबंधित स्कूलों की जांच की गई। जांच में 5 सालों की ऑडिट रिपोर्ट देखने के बाद पाया गया कि अभी तक कई हजारों बच्चों से 250 करोड़ रुपए अवैध फीस वसूली के नाम पर अभिभावकों से वसूले गए। इसके बाद कलेक्टर के द्वारा इन सभी निजी स्कूल पर कार्रवाई करके निजी स्कूलों को वसूली गई फीस को वापस किए जाने के निर्देश जारी किए हैं।

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63 हजार बच्चों से वसूले गए 38 करोड़ रुपए

जबलपुर में चार निजी स्कूलों द्वारा नियमों का उल्लंघन करते हुए अवैध फीस वसूली के मामले सामने आए हैं। इन स्कूलों ने बड़ी संख्या में विद्यार्थियों से करोड़ों रुपए वसूल किए।

  • सेंट जोसेफ कॉन्वेंट गर्ल्स सीनियर सेकेंडरी स्कूल (कैंट): 21 हजार 827 बच्चों से 10 करोड़ 90 लाख रुपए वसूले।
  • ग्रेवियल हायर सेकेंडरी स्कूल (रांझी): 27 हजार 240 बच्चों से 17 करोड़ 42 लाख रुपए वसूले।
  • दिल्ली पब्लिक स्कूल: 9 हजार 828 बच्चों से 6 करोड़ 97 लाख रुपए वसूले।
  • रॉयल सीनियर सेकेंडरी स्कूल (संजीवनी नगर): 4 हजार 114 बच्चों से 3 करोड़ 61 लाख रुपए वसूले।

कुल मिलाकर इन चार स्कूलों ने 63 हजार 09 विद्यार्थियों से 38.9 करोड़ रुपए की अवैध वसूली की।

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कलेक्टर जबलपुर ने लिया सख्त एक्शन

कलेक्टर जबलपुर ने इन स्कूलों को वसूली गई रकम अभिभावकों को वापस करने के आदेश दिए हैं। इसके साथ ही, प्रत्येक स्कूल पर 2-2 लाख रुपए का जुर्माना लगाया गया है, जिसे 30 दिनों के भीतर जमा करना होगा।

कार्रवाई से संतुष्ट नहीं है अभिभावक 

जबलपुर जिला प्रशासन और जिला कलेक्टर के निर्देशन पर निजी स्कूलों के खिलाफ कार्रवाई का दौर जारी है, लेकिन इस कार्रवाई से  बच्चों के अभिभावक और पेरेंट्स एसोसिएशन के सदस्य कुछ खासा संतुष्ट नहीं है। उनके द्वारा लगातार इस बात पर विरोध किया जा रहा है कि कार्रवाई केवल कागजों तक सिमट कर रह गई है। इसका कोई भी असर निजी स्कूल शिक्षा माफिया पर नहीं पड़ रहा है। बीते दिनों पेरेंट्स एसोसिएशन के द्वारा भूख हड़ताल पर जाकर प्रशासन से की गई कार्रवाई को तुरंत अमल में लाने की बात कही गई थी। इस दौरान उन्होंने बताया है कि ना ही अभी तक स्कूल प्रशासन के द्वारा फीस वापसी के संबंध में कोई प्रक्रिया अपनाई गई है और ना ही कोई नया फीस स्ट्रक्चर लागू किया गया है, जिससे फीस जमा न होने वाले बच्चों को परीक्षा में शामिल तक नहीं किया जा रहा है।

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जल्दी ही लेंगे लीगल एक्शन - कलेक्टर

जबलपुर कलेक्टर दीपक सक्सेना ने बताया कि निजी स्कूलों की मिली शिकायतों के आधार पर उनकी ऑडिट रिपोर्ट जांची जा रही है। इसमें स्कूलों को सुनवाई का पूरा मौका दिया जा रहा है और उसके बाद दोषी पाए गए स्कूलों पर कार्रवाई की जा रही है। इसी कड़ी में चार और स्कूलों पर कार्रवाई की गई है। कलेक्टर ने बताया कि कुछ स्कूलों के द्वारा हाईकोर्ट की शरण ली गई है और कुछ स्कूलों ने राज्य शासन को भी अपील की है, जो उनका संवैधानिक अधिकार है। कलेक्टर ने जिला शिक्षा समिति के अधिकारियों को निर्देशित किया है कि इन मामलों में आए निर्णय के आधार पर इन स्कूलों के विरुद्ध कार्रवाई की जाए। अब यह लग रहा है कि जल्द ही कुछ स्कूलों की मान्यता रद्द होने जैसी कार्यवाहियां भी की जा सकती हैं।

हाई कोर्ट का बहाना बनाकर मनमानी पर उतारू निजी स्कूल

कलेक्टर के निर्देशन के बाद अवैध रूप से वसूली गई फीस को वापस करने के आदेश जारी किए गए थे, लेकिन निजी स्कूल प्रशासन ने इन आदेशों को नकारते हुए मामले में एक-एक कर हाई कोर्ट की शरण ली है। कोर्ट से फीस वापसी संबंधी कोई भी स्टे न मिलने के बावजूद, स्कूल प्रशासन ने अभिभावकों को फीस वापस नहीं की है। हालांकि, कुछ मामलों में हाई कोर्ट ने आपराधिक मामलों में जवाब दाखिल करने से पहले कार्रवाई पर स्टे दिया है, लेकिन फीस वापसी के आदेश को खारिज करने या उस पर स्टे देने संबंधी कोई फैसला नहीं लिया गया है। स्कूल प्रशासन का यह रवैया अभिभावकों के लिए परेशानी का कारण बन रहा है।

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