जबलपुर महाकाली विसर्जन यात्रा में दर्दनाक हादसा: करंट की चपेट में आए श्रद्धालु, दो युवकों की मौत, 6 घायल

जबलपुर के टेमर भीटा गांव में महाकाली विसर्जन यात्रा के दौरान एक बड़ा हादसा हो गया। यहां 11 केवी बिजली लाइन की चपेट में आने से दो युवकों की मौत और छह श्रद्धालु घायल हुए।

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Neel Tiwari
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Jabalpur. कैंट विधानसभा क्षेत्र के ग्राम टेमर भीटा में रविवार, 05 अक्टूबर की रात महाकाली प्रतिमा विसर्जन शोभायात्रा के दौरान एक दिल दहला देने वाला हादसा हो गया। प्रतिमा वाहन पर करंट फैलने से दो युवकों की मौके पर ही मौत हो गई, जबकि 6 से अधिक श्रद्धालु गंभीर रूप से झुलस गए। सभी घायलों को तत्काल उपचार के लिए विक्टोरिया अस्पताल पहुंचाया गया। यहां टेमर भीटा निवासी 48 वर्षीय अखिलेश पटेल और 38 वर्षीय चिंटू विश्वकर्मा को चिकित्सकों ने मृत घोषित कर दिया।

11 केवी लाइन बनी मौत का जाल

स्थानीय लोगों के मुताबिक, शोभायात्रा के दौरान प्रतिमा का वाहन जब आगे बढ़ रहा था, तभी ऊपर से गुजर रही 11 केवी की हाई वोल्टेज लाइन बेहद नीचे झूलती नजर आई। प्रतिमा को सुरक्षित निकालने के लिए कुछ युवकों ने डंडे की मदद से तार को ऊपर उठाने की कोशिश की। इसी दौरान अचानक प्रतिमा की सजावट के ऊपरी भाग से तेज करंट फैल गया। वाहन सहित आसपास मौजूद सभी लोग उसकी चपेट में आ गए। देखते ही देखते माहौल चीख-पुकार में बदल गया।

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हादसे के बाद मचा हाहाकार

जबलपुर महाकाली विसर्जन यात्रा में लोगों को करंट लगते ही भीड़ में भगदड़ मच गई। समिति के कई सदस्य बेहोश होकर गिर पड़े। प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि बिजली कटवाने और घायलों को अस्पताल पहुंचाने में स्थानीय लोगों ने तत्परता दिखाई, लेकिन शिकायत के बाद भी बिजली विभाग के कर्मचारी नदारद रहे।

हादसे में झुलसे घायलों में हक्कू पटेल, तारा पटेल (16 वर्ष), नितिन पटेल (24 वर्ष), पिता कल्लू पटेल, मोहित पटेल (26 वर्ष), पिता जुगल पटेल, कपिल पटेल (28 वर्ष), पति नंदू पटेल और बल्लू विश्वकर्मा (50 वर्ष) शामिल हैं। इनमें बल्लू विश्वकर्मा की हालत गंभीर बताई जा रही है, जिन्हें मेडिकल कॉलेज रेफर किया गया है।

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बिजली विभाग पर लापरवाही का आरोप

क्षेत्रीय नागरिकों और समिति के सदस्यों ने जबलपुर में मूर्ति विसर्जन यात्रा हादसे के लिए बिजली विभाग की लापरवाही को जिम्मेदार ठहराया है। उन्होंने बताया कि दशहरे से पहले ही क्षेत्र में झूल रही विद्युत तारों को लेकर अधिकारियों को लिखित सूचना दी गई थी, लेकिन विभाग ने कोई कार्रवाई नहीं की। रजक ने कहा कि कुछ दिन पहले भी इन्हीं तारों की चपेट में आने से वन्यजीवों की मौत हुई थी, बावजूद इसके प्रशासन ने सबक नहीं लिया।

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पहले भी हो चुकी है ऐसी दर्दनाक घटना

यह कोई पहली घटना नहीं है जब बिजली की तारों ने मासूम जिंदगियों को निगल लिया हो। कुछ दिनों पहले ही 24 सितंबर को बरगी हिल्स क्षेत्र में दुर्गा पंडाल के बाहर करंट लगने से दो बच्चों - आयुष झारिया (6 वर्ष) और वेद सेन (10 वर्ष) - की मौत हो गई थी। उस घटना पर कलेक्टर राघवेंद्र सिंह ने तत्काल जांच के आदेश दिए थे और एसडीएम अनुराग सिंह की अगुवाई में तीन सदस्यीय जांच दल गठित किया था।

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सवालों के घेरे में बिजली विभाग और प्रशासन

लगातार हो रहे ऐसे हादसे यह सवाल खड़ा कर रहे हैं कि आखिर त्योहारों के दौरान विद्युत सुरक्षा को लेकर विभाग कितनी तैयारी करता है। दुर्गा पंडालों और विसर्जन यात्राओं में अस्थायी कनेक्शन और झूलती तारों की स्थिति बार-बार जानलेवा साबित हो रही है। भीटा की यह घटना न केवल प्रशासनिक लापरवाही का प्रतीक है, बल्कि यह चेतावनी भी है कि यदि समय रहते सुधार नहीं किए गए तो ऐसे हादसे भविष्य में और अधिक भयावह रूप ले सकते हैं।

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