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जबलपुर नगर निगम।
JABALPUR. स्वच्छता सर्वेक्षण में नंबर लाने के लिए कागजी उठापटक और लगातार बदहाल सफाई व्यवस्था के आरोपों के बीच घिरे हुए जबलपुर नगर निगम का अब एक ऐसा मामला सामने आया है जो बता रहा है कि नगर निगम के अधिकारियों को इतनी भी फुर्सत नहीं है की सफाई के लिए निकाले गए ठेके की निविदा के नियम वह कम से कम एक बार तो पढ़ लें।
सफाई व्यवस्था के टेंडर्स का है मामला
जबलपुर नगर निगम में अलग-अलग वार्डों में सफाई व्यवस्था सुचारू रखने के लिए नगर निगम के द्वारा निविदा जारी की गई थी, जिसके बाद सफाई ठेकों के लिए एजेंसी को चुना गया था। जिसमें श्री बर्फानी सिक्योरिटी सर्विसेस, अल्ट्रा क्लीन एंड केयर सर्विसेस, मां नर्मदा साईं सेवा समिति और मां नर्मदा सफाई संरक्षक एंड लेबर कांट्रेक्टर को-ऑपरेटिस सोसायटी शामिल थी। निविदा के नियमों के अनुसार इन एजेंसियों के साथ कॉन्ट्रेक्ट साइन करने के बाद उनके संसाधनों का भौतिक सत्यापन किया जाना था। लेकिन निगम ने मनमर्जी करते हुए यह निर्देश जारी कर दिया कि यह कंपनियां पहले अपने संसाधन दिखाएं उसके बाद उनका कॉन्ट्रैक्ट साइन किया जाएगा इसके बाद यह मामला हाईकोर्ट पहुंचा।
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बर्फानी सिक्योरिटीज ने दायर की याचिका
11 मार्च 2025 को नगर निगम के निर्देश के अनुसार सभी एजेंसी संचालकों को अपने श्रमिक और संसाधनों को भौतिक निरीक्षण के लिए लेकर आना था जिसके लिए पांच अलग-अलग जगह तय की गई थी। अन्य एजेंसियां जहां भौतिक सत्यापन के लिए तय की गई जगह पर पहुंची तो बर्फानी सिक्योरिटी इस मामले में हाईकोर्ट पहुंच गई और उन्होंने कॉन्ट्रैक्ट साइन होने के पहले भौतिक निरीक्षण को निविदा के विरुद्ध बताते हुए याचिका दायर की। इस मामले में हुई पिछली सुनवाई में हाईकोर्ट ने जबलपुर नगर निगम को यह आदेश दे दिया था कि भौतिक सत्यापन के बाद भी आगे नगर निगम कोई कार्यवाही नहीं कर सकता।
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निविदा के नियमों से नगर निगम अनजान
मध्य प्रदेश हाई कोर्ट के मुख्य पीठ जबलपुर में चीफ जस्टिस सुरेश कुमार कैत और जस्टिस विवेक जैन की डिविजनल बेंच में इस मामले की सुनवाई हुई जिसमें निगम की ओर से यह पक्ष रखा गया की याचिकाकर्ता बर्फानी सिक्योरिटीज भौतिक सत्यापन के दौरान संसाधनों और श्रमिकों के हर क्राइटेरिया में फेल नजर आई है। जिसके कारण उनका कॉन्ट्रैक्ट निरस्त किया जाएगा। लेकिन जब याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता ने कोर्ट का ध्यान निविदा के नियमों की ओर आकर्षित किया तो निविदा में यह साफ-साफ लिखा हुआ है की कॉन्ट्रैक्ट साइन होने के बाद सफल निविदाकारों को अपने संसाधनों का भौतिक परीक्षण करने के लिए एक माह का समय दिया जाएगा।
नगर निगम की ओर से हाईकोर्ट को यह बताया गया कि नियम के अनुसार वर्क आर्डर जारी होने के बाद नगर निगम भौतिक परीक्षण के लिए कभी भी निर्देश दे सकता है, लेकिन हाईकोर्ट ने यह माना कि जब कॉन्ट्रैक्ट ही साइन नहीं हुआ है तो वर्क आर्डर जारी हो ही नहीं सकता।
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10 दिन में कॉन्ट्रैक्ट साइन करे नगर निगम
चीफ जस्टिस सुरेश कुमार कैत की डिविजनल बेंच ने इस मामले में याचिकाकर्ता बर्फानी सिक्योरिटीज को राहत देते हुए यह आदेश जारी किया है कि नगर निगम जबलपुर 10 दिनों के भीतर बर्फानी सिक्योरिटीज के साथ कॉन्ट्रेक्ट साइन करें और उसके बाद उन्हें भौतिक सत्यापन के लिए एक माह का समय दिया जाए।
हालांकि, जबलपुर नगर निगम के द्वारा संसाधनों का भौतिक सत्यापन इसलिए किया जा रहा था, क्योंकि पिछले टेंडर में बर्फानी सिक्योरिटी सहित अन्य एजेंसियों पर भी श्रमिकों के भुगतान ना करने से लेकर संसाधनों के कम होने के आरोपो और मामले लगातार सामने आ रहे थे। लेकिन अगर इस भौतिक सत्यापन का निर्देश जारी करने के पहले निगम के जिम्मेदार, निविदा के नियम पढ़ लेते तो शायद हाईकोर्ट से उन्हें इस तरह मुंहकी नहीं खानी पड़ती।
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5 मुख्य बिंदुओं से समझें पूरा मामला
✅ जबलपुर नगर निगम की सफाई टेंडर में गड़बड़ी- नगर निगम ने भौतिक सत्यापन के आदेशों को नियमों के खिलाफ जारी किया।
✅ बर्फानी सिक्योरिटी ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया- बर्फानी सिक्योरिटी ने कॉन्ट्रैक्ट साइन होने से पहले भौतिक सत्यापन का आदेश चुनौती दी।
✅ हाईकोर्ट ने नगर निगम के आदेश को गलत ठहराया- हाईकोर्ट ने नगर निगम को आदेश दिया कि वह 10 दिनों में कॉन्ट्रैक्ट साइन करें।
✅ भौतिक सत्यापन के लिए एक माह का समय- कोर्ट ने बर्फानी सिक्योरिटी को भौतिक सत्यापन के लिए एक माह का समय देने का आदेश दिया।
✅ निविदा नियमों की अनदेखी पर नगर निगम को फटकार- हाईकोर्ट ने नगर निगम को निविदा के नियमों का पालन करने की सलाह दी।