OBC के 13% होल्ड पदों पर याचिका खारिज होने के बाद भी नियुक्ति नहीं, HC ने सरकार से मांगा जवाब

मध्य प्रदेश में ओबीसी के लिए आरक्षित 13% पदों पर नियुक्ति में हो रही देरी के मामले में हाईकोर्ट ने सरकार से जवाब तलब किया है। याचिका खारिज होने के बावजूद सरकार ने इन पदों पर नियुक्ति प्रक्रिया शुरू नहीं की है।

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Neel Tiwari
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यूथ फॉर इक्वलिटी के द्वारा दिया याचिका खारिज होने के बाद भी और ओबीसी आरक्षण की राह में रोड़ा बनी हुई है। क्योंकि लगातार ऐसे मामले सामने आ रहे हैं कि इस याचिका के आधार पर होल्ड किए गए पदों पर नियुक्ति मिलना अभी भी ओबीसी अभ्यर्थियों के लिए ख्वाब ही बना हुआ है।

मध्य प्रदेश में ओबीसी (अन्य पिछड़ा वर्ग) अभ्यर्थियों के लिए आरक्षित 13% पदों पर नियुक्तियां अब तक नहीं की गई हैं, जबकि इस संबंध में ‘यूथ फॉर इक्वलिटी’ संगठन द्वारा दायर याचिका को हाईकोर्ट पहले ही खारिज कर चुका है। इस देरी को लेकर अब मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने सरकार से जवाब तलब किया है। चीफ जस्टिस सुरेश कुमार कैत और जस्टिस विवेक जैन की खंडपीठ ने इस मामले में सुनवाई करते हुए सरकार से दो हफ्ते के भीतर स्पष्ट करने को कहा है कि आखिर याचिका खारिज होने के बावजूद नियुक्तियां क्यों नहीं हो रही हैं?

होल्ड पर थे ओबीसी के 13% पद

प्रदेश में प्राथमिक शिक्षक भर्ती समेत कई सरकारी भर्तियों में ओबीसी आरक्षण को लेकर विवाद चल रहा था। ‘यूथ फॉर इक्वलिटी’ संगठन ने हाईकोर्ट में याचिका क्रमांक WP 18105/2021 दायर कर 27% ओबीसी आरक्षण को चुनौती दी थी। इस पर हाईकोर्ट ने अगस्त 2023 में एक अंतरिम आदेश जारी करते हुए 13% पदों को होल्ड रखने का निर्देश दिया था। इसके चलते हजारों ओबीसी अभ्यर्थियों की नियुक्तियां अटक गई थीं। हालांकि, 28 जनवरी 2025 को हाईकोर्ट ने इस याचिका को खारिज कर दिया और यह स्पष्ट किया कि याचिका में मध्य प्रदेश आरक्षण अधिनियम को कहीं भी चुनौती नहीं दी गई थी। 

इस फैसले के बाद उम्मीद थी कि सरकार ओबीसी के होल्ड किए गए 13% पदों पर जल्द से जल्द नियुक्ति प्रक्रिया शुरू करेगी। लेकिन ऐसा नहीं हुआ। अभ्यर्थियों के द्वारा डीपीआई सहित शिक्षा मंत्री से भी इस मामले में निवेदन किया गया लेकिन जब सरकार की ओर से कोई कार्रवाई नहीं हुई, तो ओबीसी अभ्यर्थियों ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया और सरकार की निष्क्रियता को चुनौती दी।

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आरक्षण अधिनियम का हो रहा उल्लंघन

याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश अधिवक्ता विनायक प्रसाद शाह, पुष्पेंद्र कुमार शाह और रूप सिंह मरावी ने न्यायालय को बताया कि ओबीसी के 13 प्रतिशत पदों को होल्ड करना मध्य प्रदेश आरक्षण अधिनियम 1994 की धारा 4(2) का स्पष्ट उल्लंघन है।

उन्होंने दलील दी कि आरक्षित वर्ग के मेरिटोरियस अभ्यर्थियों को अनारक्षित पदों पर चयनित किया जाना चाहिए था, लेकिन ऐसा नहीं किया गया। इसके बजाय, मेरिटोरियस ओबीसी अभ्यर्थियों को भी उनके ही वर्ग में रखा गया, जिससे कई ओबीसी उम्मीदवार चयन से वंचित हो गए। सरकार 87% – 13% फार्मूला अपनाकर ओबीसी अभ्यर्थियों को नियुक्ति से बाहर कर रही है, जबकि कोर्ट की ओर से अब कोई रोक नहीं है। अधिवक्ता ने तर्क दिया कि याचिका WP 18105/2021 को हाईकोर्ट पहले ही खारिज कर चुका है, फिर भी सरकार ओबीसी अभ्यर्थियों को उनका हक देने से कतरा रही है।

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हाईकोर्ट ने सरकार से मांगा जवाब

प्राथमिक शिक्षक के पदों पर होल्ड किए गए लगभग 36 ओबीसी अभ्यर्थियों की याचिका पर सुनवाई करते हुए चीफ जस्टिस सुरेश कुमार कैत और जस्टिस विवेक जैन की खंडपीठ ने सरकार से दो हफ्ते में स्पष्ट जवाब मांगा है। कोर्ट ने पूछा है कि जब याचिका खारिज हो चुकी है, तो सरकार अब तक ओबीसी के 13% होल्ड किए गए पदों पर नियुक्ति क्यों नहीं कर रही है।

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अगली सुनवाई में सरकार देगी जवाब

इस मामले पर अब सभी की नजरें टिकी हैं। यदि सरकार संतोषजनक जवाब नहीं दे पाती है, तो संभव है कि हाईकोर्ट सरकार को नियुक्ति प्रक्रिया जल्द शुरू करने का स्पष्ट निर्देश दे।इस मामले ने हजारों ओबीसी अभ्यर्थियों को असमंजस में डाल दिया है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि सरकार कोर्ट के नोटिस का क्या जवाब देती है और क्या ओबीसी अभ्यर्थियों को जल्द नियुक्ति का इंतजार खत्म होगा या नहीं।

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5 मुख्य बिंदुओं से समझें पूरा मामला 

✅ ओबीसी 13% पदों पर नियुक्ति में हो रही देरी- मध्य प्रदेश में ओबीसी के लिए आरक्षित 13% पदों पर नियुक्ति प्रक्रिया नहीं शुरू हो पाई है, जिससे ओबीसी अभ्यर्थी निराश हैं।

✅ हाईकोर्ट ने सरकार से जवाब तलब किया- हाईकोर्ट ने सरकार से दो हफ्ते में यह स्पष्ट करने को कहा कि याचिका खारिज होने के बाद भी नियुक्तियां क्यों नहीं हो रही हैं।

✅ ‘यूथ फॉर इक्वलिटी’ की याचिका खारिज- हाईकोर्ट ने ‘यूथ फॉर इक्वलिटी’ की याचिका को खारिज कर दिया था, लेकिन नियुक्ति प्रक्रिया अभी तक शुरू नहीं हुई।

✅ अधिकारियों ने दायर की याचिका- याचिकाकर्ताओं ने दावा किया कि ओबीसी पदों पर नियुक्ति न करना मध्य प्रदेश आरक्षण अधिनियम का उल्लंघन है।

✅ सरकार पर कोर्ट का दबाव- यदि सरकार जवाब नहीं देती है, तो कोर्ट सरकार को नियुक्ति प्रक्रिया को शीघ्र शुरू करने का निर्देश दे सकता है।

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