B.Sc नर्सिंग की छात्रा को फीस भरने के बाद भी नहीं मिला एडमिशन, हाईकोर्ट ने किया न्याय

मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने गांधी मेडिकल कॉलेज भोपाल को आदेश दिया कि बीएससी नर्सिंग छात्रा वैष्णवी जायसवाल को एडमिशन दिया जाए, सिस्टम की गलती की सजा छात्रा को नहीं मिलेगी। जानें पूरा मामला

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Neel Tiwari
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मध्य प्रदेश हाईकोर्ट।

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JABALPUR. बीएससी नर्सिंग की एक छात्रा को सिस्टम की गड़बड़ी के कारण एडमिशन न मिलने पर मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने स्पष्ट आदेश जारी किया है कि इसमें इस छात्रा की कोई गलती नहीं है और गांधी मेडिकल कॉलेज भोपाल को एडमिशन देना ही होगा।

नहीं मिली मेडिकल कॉलेज में सीट, याचिका दायर

वैष्णवी जायसवाल के द्वारा हाईकोर्ट जबलपुर में एक याचिका दायर की गई है, जिसमें छात्रा बताया है कि भोपाल के गांधी मेडिकल कॉलेज में एडमिशन से संबंधित सारे रिकॉर्ड वेरीफिकेशन और फीस जमा हो जाने के बावजूद भी कॉलेज की तरफ से जारी की जाने वाली एडमिशन लिस्ट में उसका नाम मौजूद नहीं था। जिसमें एडमिशन न होने की वजह से याचिकाकर्ता के द्वारा हाईकोर्ट में याचिका दायर कर मेडिकल कॉलेज में एडमिशन करवाए जाने के लिए न्याय की गुहार लगाई है।

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नर्सिंग काउंसिल ने की पल्ला झाड़ने की कोशिश

याचिकाकर्ता के अधिवक्ता श्रीकृष्णा शर्मा के द्वारा बताया गया कि याचिका में मौजूद प्रतिवादी मध्य प्रदेश नर्सिंग रजिस्ट्रेशन काउंसिल और गांधी मेडिकल कॉलेज भोपाल के द्वारा याचिकाकर्ता को एडमिशन न दिए जाने के संबंध में अपना पक्ष रखा गया जिसमें मध्य प्रदेश नर्सिंग रजिस्ट्रेशन काउंसिल की ओर से पैरवी कर रहे अधिवक्ता के द्वारा कोर्ट में बताया गया कि एडमिशन ना दिए जाने के संबंध में उनके द्वारा जवाब पेश किया गया है। जिसमें बताया कि उन्होंने वह सूची प्रस्तुत की है जिसमें संबंधित कॉलेज में सीटों की वैकेंसी की मौजूदा स्थिति बताई गई है जिसमें एक सीट खाली है। जिस पर उन्होंने तर्क दिया कि एडमिशन का ना होना कॉलेज की गलती है, जिसके लिए संबंधित कॉलेज के प्रिंसिपल को नोटिस भी जारी कर दिया गया है।

कोर्ट ने कहा कि यदि एक सीट खाली है तो याचिकाकर्ता को वह सीट दे देनी चाहिए। जिस पर नर्सिंग रजिस्ट्रेशन काउंसिल के अधिवक्ता ने बताया गया कि यह टेक्निकल समस्या दो छात्रों के साथ हुई है जिस पर कोर्ट ने कहा कि दूसरा छात्र यहां मौजूद नहीं है और यदि दूसरा छात्र आता भी है तो उसके बाद उसकी समस्या क्या समाधान किया जाएगा, यह बाद में देखा जाएगा। यदि कोई एडमिशन के लिए इच्छुक नहीं है तो जो व्यक्ति एडमिशन चाहता है उसे एडमिशन दिया जाना चाहिए।

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नर्सिंग काउंसिल की गलती नहीं...

इस याचिका पर सुनवाई के दौरान मध्य प्रदेश नर्सिंग रजिस्ट्रेशन काउंसिल के अधिवक्ता के द्वारा बताया गया कि एडमिशन के लिए जारी दूसरी कट ऑफ लिस्ट 31 जनवरी 2025 में जारी कर दी गई थी लेकिन कॉलेज की तरफ से याचिकाकर्ता के एडमिशन किए जाने संबंधी जानकारी समय पर नहीं दी गई कॉलेज के द्वारा 30 जनवरी को दूसरे राउंड के समाप्त होने के बाद इसकी जानकारी दी गई इसलिए नर्सिंग काउंसिल की कोई भी गलती नहीं है। जिस पर कोर्ट के द्वारा यह कहा गया की याचिकाकर्ता को 13 जनवरी में हुए काउंसलिंग के पहले राउंड में ही सीट दे दी गई थी। इसके साथ ही याचिकाकर्ता के अधिवक्ता श्रीकृष्णा शर्मा ने कोर्ट में यह भी बताया कि संबंधित कोर्स के लिए फीस को भी जमा कर दिया गया था।

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स्टूडेंट को नहीं मिलेगी दूसरों की गलती की सजा

सुनवाई के दौरान कोर्ट ने यह माना कि यह गलती नर्सिंग रजिस्ट्रेशन काउंसिल की है इसमें स्टूडेंट की कोई भी गलती नहीं है। उसके द्वारा समस्त प्रकार के एडमिशन संबंधी कार्यवाही पूरी की गई थी लेकिन उसके एडमिशन से संबंधित कोई डाटा अपलोड नहीं किया गया है। जिस पर उन्होंने यह स्वीकार किया कि याचिकाकर्ता को एडमिशन दिया जाना चाहिए क्योंकि उन्हें कॉलेज भी अलॉट हो चुका था और उनके द्वारा एडमिशन संबंधी फीस भी जमा की गई है लेकिन इसमें सारी गलती गांधी मेडिकल कॉलेज की है। जिस पर कोर्ट ने माना कि कॉलेज की गलती की वजह से याचिकाकर्ता को एक्स्ट्रा क्लास और उसकी उपस्थिति के संबंध में भी विचार करना चाहिए। 

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कोर्ट ने जारी किया राहत भरा आदेश 

इस याचिका पर सुनवाई जस्टिस संजीव सचदेवा और जस्टिस विनय सराफ की डिवीजन बेंच हुई जिसमें सुनवाई के दौरान कोर्ट ने यह माना कि सिस्टम की गलती की सजा याचिकाकर्ता को नहीं मिलेगी नर्सिंग रजिस्ट्रेशन काउंसिल के द्वारा गांधी मेडिकल कॉलेज के लिए आवंटित की गई सीटों में 119 सीटों के भर जाने के बाद भी जो एक सीट खाली बच रही हैं उस सीट पर याचिकाकर्ता को एडमिशन दिए जाने का निर्देश जारी किया है।

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