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धान उपार्जन में प्रशासन के द्वारा हर साल कड़ी निगरानी रखी जाती है। उसके बाद भी उपार्जन की धान के भूखे भ्रष्टाचारी कोई ना कोई तरीका निकाल ही लेते हैं। ऐसी ही गड़बड़ी तब सामने आई जब जबलपुर की धान उपार्जन समितियों के अधिकारियों और कर्मचारियों ने मिलकर लगभग 5 करोड़ रुपए की धान गायब कर दी।
ऐसे गायब हुई 5 करोड़ रुपए की 2 हजार 286 मीट्रिक टन धान
दरअसल, जबलपुर में धान खरीदी में बड़ा घोटाला सामने आया है, जिसमें 5 करोड़ रुपए से अधिक की 2 हजार 286 मीट्रिक टन धान गायब पाई गई है। कलेक्टर दीपक सक्सेना को लगातार शिकायतें मिल रही थीं कि सरकारी समितियों में धान खरीदी में हेराफेरी हो रही है। जब जांच के आदेश दिए गए, तो बड़ा खुलासा हुआ कि धान की खरीदी सिर्फ कागजों पर दिखाई गई थी, जबकि असल में धान का कोई अता-पता नहीं था। जांच में कटंगी और महाराजपुर की सरकारी सेवा समिति पनागर और खंड की दो-दो सहकारी सेवा समितियां में गड़बड़ी पाई गई। यहां धान के स्टॉक की गहन पड़ताल की गई, जिसमें पता चला कि पूरी की पूरी 2 हजार 286 मीट्रिक टन धान गायब कर दी गई है। इस मामले में 22 लोगों पर एफआईआर दर्ज की गई है, और प्रशासन ने दोषियों पर कड़ी कार्रवाई करने के निर्देश भी दिए हैं।
धान खरीदी में 5 करोड़ का घोटाला
जबलपुर में धान खरीदी में बड़े घोटाले का पर्दाफाश हुआ है, जिसमें 5 करोड़ रुपए की हेरफेर सामने आई है। जांच रिपोर्ट के अनुसार, कनिष्ठ आपूर्ति अधिकारी आशा शर्मा को मिली शिकायत पर जब जांच की तो यह पता चला कि आरोपी सुनील साहू ने 5618 क्विंटल धान खुर्दबुर्द कर दी है, जिसकी कीमत 1 करोड़ 29 लाख 227 रुपए थी। कटंगी के सेवा सहकारी समिति केंद्र में 59.23 करोड़ रुपए का भुगतान किया गया, लेकिन जांच में पाया गया कि 19,646.80 क्विंटल धान खरीदी का भुगतान हुआ, जबकि हकीकत में सिर्फ 2,263 क्विंटल धान ही खरीदी गई थी, जिससे 34.11 करोड़ रुपए के घोटाले का खुलासा हुआ। महाराजपुर में भी सरकारी धान खरीदी में भारी गड़बड़ी पाई गई, जहां रिकॉर्ड के अनुसार 2672.25 क्विंटल धान खरीदी गई, जिसकी कीमत 61.46 लाख रुपए बताई गई, लेकिन असल में सिर्फ 1134.20 क्विंटल धान की खरीदी दिखाकर फर्जी भुगतान किया गया। इसी तरह कुल पांच गोदाम में धान की कमी मिली। जांच में यह भी सामने आया कि इस घोटाले में सहकारी समिति, कंप्यूटर ऑपरेटर, समिति प्रबंधक और अन्य अधिकारियों की मिलीभगत थी। मामले की गंभीरता को देखते हुए सरकार ने उच्च स्तरीय जांच के आदेश दिए हैं और दोषियों पर सख्त कार्रवाई की चेतावनी दी है। इसके अलावा, सरकारी गोदामों में रखे लाखों रुपए के धान के स्टॉक में भी बड़े पैमाने पर हेरफेर हुआ है। जांच में सामने आया कि इस अकेल गोदाम से 71,942.799 क्विंटल धान गायब है, वहीं अन्य गोदाम की जांच के दौरान कुल मिलाकर 2268 मीट्रिक टन धान का हेरफेर सामने आया है । अब इस मामले में कुल 22 लोगों के ऊपर एफआईआर दर्ज की गई है और इस पूरे मामले की गहन जांच जारी है।
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इन समितियों में हुई गड़बड़ी
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सेवा सहकारी समिति पनागर - 7,194.79 क्विंटल धान (1,65,48,037 रुपए)
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सेवा सहकारी समिति मझौली - 6,068.59 क्विंटल धान (1,39,57,757 रुपए)
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सेवा सहकारी समिति खंड-02 मझौली - 1,134.20 क्विंटल धान (26,08,660 रुपए)
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सेवा सहकारी समिति कटनी - 5,618.60 क्विंटल धान (1,29,22,780 रुपए)
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सेवा सहकारी समिति महगवां, पनागर - 2,672.25 क्विंटल धान (61,46,175 रुपए)
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फर्जी एंट्री दिखा कर गायब की गई धान
जबलपुर में सरकारी धान खरीदी में बड़ा घोटाला उजागर हुआ है। ऑनलाइन भुगतान की प्रक्रिया का दुरुपयोग करते हुए समितियों के अधिकारियों और कर्मचारियों ने कागजों में धान खरीदी और भंडारण दिखाकर करोड़ों रुपए का गबन कर लिया। जांच में खुलासा हुआ कि ऑनलाइन सिस्टम में फर्जी एंट्री कर भुगतान तो कर दिया गया, लेकिन जब भौतिक सत्यापन हुआ तो वेयरहाउस में धान का स्टॉक गायब मिला। प्रशासन द्वारा की गई जांच में पांच समितियों में 2286 मीट्रिक टन धान नदारद पाया गया, जिसकी अनुमानित कीमत 5 करोड़ रुपए से अधिक है। घोटाले में शामिल अधिकारियों की भूमिका संदिग्ध पाई गई है, और प्रशासन अब दोषियों पर कार्रवाई की तैयारी कर रहा है। इस घोटाले ने खाद्य आपूर्ति तंत्र में गहरी सेंध लगाने के संकेत दिए हैं, जिससे सरकारी अनाज भंडारण प्रणाली की पारदर्शिता पर सवाल उठ रहे हैं।
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