जबलपुर शहर में पिछले छह महीने से ट्रैफिक सिग्नल्स बंद पड़े हैं। इस समस्या को लेकर नागरिक उपभोक्ता मार्गदर्शक मंच के डॉक्टर पीजी नाजपांडे और रजत भार्गव ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका दाखिल की। याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने राज्य सरकार, नगर निगम और स्मार्ट सिटी से जवाब मांगा है।
छह महीने से बंद हैं सिग्नल लाइटें
याचिका में कोर्ट को बताया गया है कि जबलपुर शहर में तकरीबन 26 ट्रैफिक सिग्नल्स लगे हैं, जिनमें अधिकांश बीते छह महीनों से काम नहीं कर रहे। नतीजा यह है कि शहर के प्रमुख चौराहों पर दिन-ब-दिन ट्रैफिक जाम की समस्या विकराल होती जा रही है। कई स्थानों पर तो हालात ऐसे हैं कि सीसीटीवी कैमरे भी बंद पड़े हैं, जिससे ट्रैफिक नियमों का उल्लंघन करने वालों की पहचान भी नहीं हो पा रही है।
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शासन को हो रहा राजस्व नुकसान
याचिकाकर्ताओं की ओर से अधिवक्ता दिनेश उपाध्याय ने कोर्ट को यह भी बताया कि ट्रैफिक सिग्नल्स के काम न करने से शासन को वित्तीय नुकसान भी उठाना पड़ रहा है।
चूंकि सिग्नल बंद हैं, इसलिए सिग्नल तोड़ने वालों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हो पा रही। इससे न केवल यातायात व्यवस्था बिगड़ी हुई है, बल्कि ट्रैफिक चालानों से मिलने वाला राजस्व भी प्रभावित हो रहा है।
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विभाग नहीं ले रहे जवाबदेही
इस जनहित याचिका में राज्य शासन के अलावा कलेक्टर जबलपुर, पुलिस अधीक्षक यातायात, जिला परिवहन अधिकारी, जबलपुर नगर निगम और स्मार्ट सिटी जबलपुर को भी पक्षकार बनाया गया है।
याचिका में आरोप लगाया गया है कि ट्रैफिक सिग्नल्स के संचालन को लेकर तीनों जिम्मेदार संस्थाएं नगर निगम, स्मार्ट सिटी और यातायात विभाग जबलपुर एक-दूसरे पर जिम्मेदारी डाल रहे हैं, लेकिन कोई भी समाधान की दिशा में गंभीर नहीं दिख रहा।
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28 जुलाई तक जवाब देने के निर्देश
हाईकोर्ट ने इस जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए सभी पक्षों को 28 जुलाई 2025 तक जवाब प्रस्तुत करने के निर्देश दिए हैं।
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शहरवासियों की उम्मीदें बंधीं
अब जब यह मामला हाईकोर्ट की निगरानी में आ गया है, तो शहरवासियों को उम्मीद है कि जल्द ही जबलपुर की ट्रैफिक व्यवस्था को दुरुस्त किया जाएगा और ट्रैफिक सिग्नल्स फिर से काम करने लगेंगे। हाईकोर्ट के इस हस्तक्षेप से अब नागरिकों ने ट्रैफिक प्रबंधन में सुधार की उम्मीद बंधी है।
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