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जबलपुर जिले के मझौली क्षेत्र में स्थित 'मां रेवा वेयरहाउस' में खाद्यान्न की गुणवत्ता के नाम पर ऐसी साजिश चल रही थी, जिसका सीधा असर इस अनाज को लेने वाले हितग्राहियों पर पड़ने वाला था। इस मिलावटखोरी का खुलासा तब हुआ जब कलेक्टर दीपक कुमार सक्सेना के निर्देश पर प्रशासनिक अधिकारियों की एक विशेष जांच टीम ने यहां छापेमारी की। बाहर से आम भंडारण स्थल दिखने वाला यह वेयरहाउस, दरअसल मिलावट के एक बड़े गिरोह का अड्डा बना हुआ था।
यहां सरकारी योजनाओं के तहत मिलने वाले गेहूं में भारी मात्रा में मिट्टी, कंकड़ और पत्थर मिलाए जा रहे थे, ताकि मात्रा में वृद्धि कर अवैध कमाई की जा सके। छापे की कार्रवाई ने यह साबित कर दिया कि खाद्यान्न सुरक्षा के नाम पर लोगों के स्वास्थ्य और विश्वास के साथ किस हद तक खिलवाड़ हो रहा था।
सैकड़ों बोरियों में भरी थी मिट्टी और पत्थर
जांच टीम ने जैसे-जैसे वेयरहाउस की छानबीन शुरू की, वैसे-वैसे चौंकाने वाले तथ्य सामने आने लगे। सबसे पहले टीम को ऐसे कई बोरे मिले जो ऊपरी तौर पर गेहूं के लगे, लेकिन जब उन्हें खोलकर देखा गया तो उनमें कंकड़, पत्थर और रेत भरे हुए पाए गए। कुल 270 बोरी ऐसी थीं जिनमें सिर्फ मिट्टी और कचरा भरा हुआ था। इसके अलावा वेयरहाउस के भीतर एक चार पहिया वाहन भी खड़ा मिला, जिसमें लगभग 250 बोरी में यही मिलावटी सामग्री लदी हुई थी। सबसे हैरान करने वाली बात यह रही कि वहां अवैध रूप से रखे गए लगभग 1,500 सरकारी बोरे भी बरामद किए गए, जो यह दर्शाते हैं कि यह गोरखधंधा न सिर्फ निजी लाभ के लिए था, बल्कि सरकारी संसाधनों का भी खुलेआम दुरुपयोग किया जा रहा था।
गेहूं में 75 प्रतिशत से ज्यादा कचरे की मिलावट
जांच के दौरान टीम को वेयरहाउस में रखा गया करीब 100 क्विंटल गेहूं का भंडार भी मिला। वेयरहाउस में 185 बोरी ऐसी थीं जिनमें मिलावटी गेहूं भरा गया था। इन बोरियों में जांच के बाद यह पाया गया कि लगभग 75 प्रतिशत हिस्सा मिट्टी, पत्थर, कंकड़ और अन्य कचरे से युक्त था। इस प्रकार की मिलावट लोगों के जीवन को सीधा खतरे में डालने वाला अपराध है। पूछताछ में यह बात भी सामने आई कि इस मिलावटी सामग्री को आसपास के जिलों से खास तौर से कटनी से ट्रकों के माध्यम से लाकर वेयरहाउस में मिलाया जाता था, जिससे यह गोरखधंधा योजनाबद्ध तरीके से लंबे समय से चल रहा था।
नितेश पटेल फिर कटघरे में, पहले भी दर्ज हैं मिलावट के मामले
वेयरहाउस का संचालक नितेश पटेल इस पूरे काले कारोबार का मास्टरमाइंड बताया जा रहा है। चौंकाने वाली बात यह है कि नितेश पटेल के खिलाफ इससे पहले भी मिलावटखोरी और सरकारी योजनाओं में गड़बड़ी करने के आरोप में आपराधिक मामले दर्ज हो चुके हैं। उसके बाद भी उसे वेयरहाउस का संचालन करने देना या उपार्जन का किसी भी रूप में हिस्सा बनाए रखना भी समझ से परे है। मिलावटखोरों का नेटवर्क इतना बड़ा है कि आसपास के जिलों से मिलावट के लिए कंकड़ और रेत मंगाई जाती थी। जानकारी के अनुसार, खास तौर पर कटनी से ऐसे कंकड़ मंगाए जाते थे जो गेहूं में मिलकर नजर ही न आएं।
कलेक्टर की सख्ती और टीम की तत्परता से उजागर हुआ घोटाला
यह पूरा मामला जिला प्रशासन द्वारा हाल ही में शुरू किए गए मिलावट विरोधी सघन अभियान के तहत सामने आया है। कलेक्टर दीपक सक्सेना ने जिले में मिलावटखोरों के खिलाफ ज़ीरो टॉलरेंस की नीति अपनाते हुए इस अभियान की शुरुआत की थी। इसी कड़ी में जब जांच टीम को मां रेवा वेयरहाउस के संबंध में कुछ संदेहास्पद जानकारियां मिलीं, तो तुरंत सर्च ऑपरेशन शुरू किया गया। मौके पर जब टीम पहुंची तो खुद अधिकारी भी दंग रह गए। इतनी सुनियोजित और बड़े पैमाने पर मिलावट का खेल शायद ही पहले कभी सामने आया हो। तहसील मझौली के अंतर्गत कनिष्ठ आपूर्ति अधिकारी कुंजन सिंह राजपूत ने इस पूरे मामले की जानकारी स्थानीय थाना मझौली को दी और तत्काल FIR दर्ज कराई गई।
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धोखाधड़ी में एक समिति की भूमिका भी संदिग्ध, जांच जारी
प्रशासन की प्रारंभिक जांच में यह भी संकेत मिले हैं कि इस पूरे रैकेट को अंजाम देने में एक स्थानीय समिति की भूमिका भी रही है। यह समिति वेयरहाउस के संचालन या आपूर्ति प्रणाली से जुड़ी हो सकती है, जिसने मिलावट की प्रक्रिया में नितेश पटेल का साथ दिया या अनदेखी की। फिलहाल इस संदिग्ध समिति के खिलाफ भी जांच तेज कर दी गई है और इसकी भूमिका को लेकर गहराई से पड़ताल की जा रही है। जिला प्रशासन इस मामले में किसी भी दोषी को बख्शने के मूड में नहीं है और कलेक्टर ने साफ निर्देश दिए हैं कि चाहे व्यक्ति कोई भी हो, यदि दोषी पाया गया तो कठोर कार्रवाई की जाएगी।
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