जबलपुर महिला स्वाधार गृह में इंचार्ज पर छेड़छाड़, मारपीट और पैसों की हेराफेरी का आरोप

जबलपुर के इंदिरा महिला स्वाधार गृह में इंचार्ज पर छेड़छाड़, मारपीट और पैसों की हेराफेरी का आरोप लगा है। कई बालिकाओं ने इंचार्ज अंशुमन शुक्ला पर गलत व्यवहार और राशि हड़पने का आरोप लगाया। कलेक्टर को शिकायत मिलने के बाद पुलिस ने जांच शुरू कर दी है।

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Neel Tiwari
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इंदिरा महिला स्वाधार गृह में इंचार्ज अंशुमन शुक्ला Photograph: (The Sootr)

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JABALPUR.मध्यप्रदेश के जबलपुर में स्थित इंदिरा महिला स्वाधार गृह से एक सनसनीखेज मामला सामने आया है। इसने न केवल इस संस्थान की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े कर दिए हैं बल्कि समाज के उस वर्ग की सुरक्षा पर भी चिंता गहरा दी है, जो सबसे अधिक असहाय है। स्वाधार गृह में रहने वाली कई बालिकाओं और महिलाओं ने इंचार्ज अंशुमन शुक्ला पर छेड़छाड़, गलत तरीके से छूने, मारपीट करने और उनके हिस्से की राशि हड़पने जैसे गंभीर आरोप लगाए हैं।

नेत्रहीन बालिका ने तोड़ी चुप्पी

इस मामले की शुरुआत तब हुई जब स्वाधार गृह में रहने वाली एक नेत्रहीन बालिका ने हिम्मत जुटाकर जबलपुर कलेक्टर से मदद की गुहार लगाई। पीड़िता ने कहा कि इंचार्ज उसके साथ बार-बार अनुचित तरीके से व्यवहार करता है और गलत तरीके से टच करता है। यह घटना सुनते ही कलेक्टर ने तुरंत कार्रवाई करते हुए इस बच्ची को पुलिस अधीक्षक कार्यालय भेजा, जहां उसने अपनी पूरी आपबीती सुनाई।

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5 पॉइंट्स में समझें शोषण से जुड़ी यह खबर...

👉 आरोपों का खुलासा: जबलपुर के इंदिरा महिला स्वाधार गृह में इंचार्ज अंशुमन शुक्ला पर कई गंभीर आरोप लगे हैं। इसमें छेड़छाड़, मारपीट और महिला बालिकाओं की राशि हड़पने के आरोप शामिल हैं।

👉 नेत्रहीन बालिका का साहसिक कदम: एक नेत्रहीन बालिका ने हिम्मत जुटाकर जबलपुर कलेक्टर से शिकायत की। उसने बताया कि इंचार्ज शुक्ला ने उसके साथ अनुचित व्यवहार किया और गलत तरीके से छुआ।

👉 बाथरूम में पिटाई और बुरा खाना: बालिकाओं ने बताया कि जब वे इंचार्ज के खिलाफ विरोध करती थीं, तो उन्हें बाथरूम में बंद कर बेरहमी से पीटा जाता था। इसके साथ ही उन्हें घटिया भोजन दिया जाता था।

👉 धन की हेराफेरी: लड़कियों का आरोप है कि इंचार्ज और उसके सहयोगी सरकारी राशि को बहला-फुसलाकर हड़प लेते थे। एक पीड़िता ने बताया कि उसे गाड़ी में बैठाकर बैंक से पैसा निकाला गया, लेकिन बाद में उसे न तो कोई सामान मिला और न ही पैसे वापस मिले।

👉 कलेक्टर और पुलिस से मदद: पीड़िताओं ने सामूहिक रूप से जबलपुर एसपी ऑफिस में शिकायत दर्ज कराई और इंचार्ज के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की। पुलिस ने जांच शुरू कर दी है और दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई का आश्वासन दिया है।

बाथरूम में बंद कर दी जाती है पिटाई

इंदिरा महिला स्वाधार गृह की अन्य बालिकाओं ने भी आरोपों की पुष्टि की। उन्होंने बताया कि इंचार्ज अंशुमन शुक्ला अक्सर लड़कियों को गलत तरीके से छूता है और उनके साथ दुर्व्यवहार करता है। जब वे इसका विरोध करती हैं तो उन्हें बाथरूम में बंद कर बेरहमी से पीटा जाता है। लड़कियों का यह भी कहना है कि उन्हें स्वाधार गृह में बेहद घटिया भोजन दिया जाता है। खाने की गुणवत्ता को लेकर जब वे आवाज उठाती हैं तो उनके साथ बदसलूकी की जाती है।

लड़कियों की जेब पर भी डाका

स्वाधार गृह में रहने वाली बालिकाओं को सरकार की ओर से एक निश्चित राशि दी जाती है, ताकि वे अपनी मूलभूत जरूरतें पूरी कर सकें। लेकिन लड़कियों का आरोप है कि इंचार्ज और उसके सहयोगी इस राशि को बहला-फुसलाकर हड़प लेते हैं। पीड़िता नेत्रहीन बालिका ने बताया कि उसे गाड़ी में बैठाकर बैंक ले जाया जाता है और वहां से यह रकम निकाल ली जाती है उसे आश्वासन दिया जाता है कि खरीदारी के लिए उसे बाजार ले जाया जाएगा लेकिन उसे कभी ना तो रकम वापस मिलती है और ना ही कोई सामान। इन आरोपों ने यह भी साबित कर दिया है कि पैसे के लालच में कुछ लोग नेत्रहीन बेसहारा बच्चियों के हक पर डाका डालने से भी पीछे नहीं हटते।

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कलेक्टर से पीड़िताओ ने लगाई गुहार

इन्हीं शिकायतों से तंग आकर पीड़ित बालिकाएं और स्वाधार गृह में रहने वाली कुछ अन्य महिलाएं सामूहिक रूप से जबलपुर एसपी ऑफिस पहुंचीं। यहां उन्होंने इंचार्ज के खिलाफ लिखित शिकायत दर्ज कराई और कार्रवाई की मांग की।

पुलिस ने शुरू की जांच

शिकायत मिलने पर पुलिस अधिकारियों ने मामले को गंभीरता से लिया और सिविल लाइन थाना इंचार्ज को जांच के आदेश दिए। एएसपी सूर्यकांत शर्मा ने कहा, “हमें शिकायत प्राप्त हुई है। मामले की गंभीरता को देखते हुए सिविल लाइन थाना इंचार्ज को जांच का निर्देश दिया गया है। यदि आरोप सही पाए गए तो दोषियों के खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई होगी।”

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अब बालिकाओं को इंसाफ की उम्मीद

पीड़ित बालिकाओं का कहना है कि उन्हें स्वाधार गृह में सुरक्षा और देखभाल की उम्मीद थी, लेकिन इसके उलट उन्हें मानसिक और शारीरिक प्रताड़ना झेलनी पड़ी। उनका कहना है कि अब वे केवल न्याय चाहती हैं और चाहती हैं कि ऐसे दोषियों को तुरंत सजा मिले, ताकि भविष्य में किसी और बच्ची के साथ ऐसा व्यवहार न हो।

यह मामला पूरे तंत्र पर बालिका सुरक्षा को लेकर सवाल उठाता है। जब सबसे कमजोर और असहाय वर्ग की वे लड़कियां जो किन्हीं कारणों से सुधार गृह में रहती हैं, वहां भी सुरक्षित नहीं हैं, तो जिम्मेदारी और भी बड़ी हो जाती है।

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