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MP News: मध्य प्रदेश में सरकारी कार्यक्रमों में पैसे की बर्बादी एक आदत बनती जा रही है। हाल ही में शहडोल जिले में 14 किलो ड्राईफ्रूट खाने का मामला सामने आया था। जबलपुर का बिरयानी-रसगुल्ला घोटाला भी चर्चा में था। ये दोनों मामले अभी ठंडे भी नहीं पड़े थे, कि अब मऊगंज जिले से एक और नया मामला आया है।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, मऊगंज में 40 मिनट के सरकारी कार्यक्रम में 10 लाख रुपए खर्च हो गए। यह कार्यक्रम जल गंगा संवर्धन अभियान के तहत आयोजित किया गया था, जिसमें मंत्री प्रहलाद सिंह पटेल भी शामिल हुए थे।
यह आयोजन 17 अप्रैल को हुआ था, जिसमें 10 लाख रुपए के सामान की खरीदारी की गई थी। आरोप यह लग रहे हैं कि इलेक्ट्रिक दुकान से मिठाई, गद्दे और चादर तक मंगाए गए थे, जिनके बिल लगाए गए हैं। इस मामले की शिकायत मऊगंज के कलेक्टर अजय कुमार जैन से की गई है, जिनके द्वारा इस मामले की जांच के आदेश भी दिए गए हैं। आइए जानते हैं इस घोटाले के बारे में विस्तार से।
मऊगंज का सरकारी कार्यक्रम
मऊगंज जिले में आयोजित जल गंगा संवर्धन अभियान के तहत एक सरकारी कार्यक्रम हुआ था। इसमें भारी खर्च का मामला सामने आया। इस कार्यक्रम में केंद्रीय मंत्री प्रहलाद सिंह पटेल समेत कई उच्च अधिकारी उपस्थित थे। हालांकि, इस कार्यक्रम में निर्धारित बजट से कहीं अधिक खर्च हो गया। प्रारंभ में इस कार्यक्रम के लिए 2 लाख 54 हजार का बजट निर्धारित किया गया था, लेकिन कार्यक्रम के अंत में 10 लाख का बिल प्रस्तुत किया गया। यह अनियमितता और भ्रष्टाचार की आशंका को जन्म देती है।
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कार्यक्रम के नाम पर अनियमित खर्च
मऊगंज में आयोजित जल गंगा संवर्धन अभियान में खर्च किए गए 10 लाख रुपए में से अधिकतर राशि उन वस्तुओं पर खर्च की गई, जिनका कार्यक्रम से कोई संबंध नहीं था। रिपोर्ट के अनुसार, मिठाई, गद्दे, चादर, और अन्य सामग्री इलेक्ट्रिक दुकान से मंगवाकर बिल बनाए गए थे।
इन वस्तुओं की कीमतें सामान्य बाजार दर से कई गुना अधिक थीं। एक और चौंकाने वाली बात यह थी कि ये सभी वस्तुएं प्रदीप इंटरप्राइजेज नामक एक वेंडर से खरीदी गई थीं, लेकिन इस क्षेत्र में ऐसी कोई दुकान नहीं है।
जल गंगा संवर्धन अभियान कार्यक्रम में घोटाला मामले पर एक नजर...
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किसी ने नहीं दी प्रशासनिक मंजूरी
कार्यक्रम के खर्च को लेकर प्रशासन की ओर से किसी प्रकार की मंजूरी नहीं ली गई थी। 9 लाख 85 हजार की राशि निकाली गई थी, जो प्रशासनिक समिति के जरिए अनुमोदित नहीं थी। इससे यह स्पष्ट होता है कि प्रशासनिक नियमों का उल्लंघन किया गया और बिना किसी औपचारिक अनुमोदन के धनराशि का उपयोग किया गया।
कैसे उजागर हुई धोखाधड़ी?
यह धोखाधड़ी सबसे पहले शेख मुख्तार सिद्दीकी, उमरी वार्ड नं. 8 के जनपद सदस्य द्वारा उजागर की गई। वे एक रात पंजीकरण पोर्टल पर काम कर रहे थे और वहां कई भुगतान संदिग्ध लगे। सिद्दीकी ने इसके बाद अन्य जनपद सदस्यों को सूचित किया और मामले की जांच शुरू करवाई। सीईओ रामकुशल मिश्रा की भूमिका भी संदेह के घेरे में आ गई, क्योंकि उन्होंने डिजिटल हस्ताक्षर प्रमाणपत्र का दुरुपयोग किया था।
सीईओ की भूमिका पर सवाल
मऊगंज के सीईओ, रामकुशल मिश्रा की भूमिका गंभीर जांच के तहत है। वे मूल रूप से एक प्रोग्राम को-ऑर्डिनेटर (PCO) थे, लेकिन उन्हें प्रशासनिक सीईओ का अतिरिक्त पद सौंपा गया, जो नियमों के खिलाफ था। इसके बाद, सिद्दीकी ने आरोप लगाया कि मिश्रा ने पहले भी आपराधिक मामले में दोषी पाए जाने के बावजूद विभागीय कार्रवाई से बचने के लिए राजनीतिक दबाव का इस्तेमाल किया। इसके अतिरिक्त, मिश्रा पर पहले से ही लोकायुक्त में भ्रष्टाचार के आरोप लंबित हैं।
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स्थानीय निवासियों की प्रतिक्रियाएं
ग्रामवासियों ने इस कार्यक्रम को लेकर अपनी नाराजगी जाहिर की है। अरुण पटेल नामक एक स्थानीय निवासी ने बताया कि कार्यक्रम में न तो उन्हें पानी मिला और न ही कोई भोजन। वे केवल एक गंदे टैंकर से पानी पिए और वहां कोई व्यवस्था नहीं थी।
दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग
इस मामले ने जनता में आक्रोश पैदा कर दिया है और कई जनपद सदस्यों ने प्रशासन से दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने की मांग की है। सिद्दीकी ने सार्वजनिक तौर पर आरोप लगाया कि विभागीय अधिकारियों ने जानबूझकर इस धोखाधड़ी को दबाने की कोशिश की, और अब इस मामले की गहरी जांच आवश्यक है।
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मऊगंज में शहडोल से फर्जीवाड़ा | अफसर खा गए 14 किलो ड्राई फ्रूट | शहडोल ड्राई फ्रूट न्यूज MP News