MP में जन औषधि केंद्रों में घोटाला : निजी ब्रांड की महंगी दवाएं बेचने के आरोप में 57 केंद्र बंद

मध्यप्रदेश में जन औषधि केंद्रों पर जांच में सामने आया कि यहां सस्ती जेनरिक दवाओं के बजाय महंगी निजी ब्रांड की दवाएं बेची जा रही हैं। 67 केंद्रों में से 57 बंद कर दिए गए हैं और 4 केंद्रों के दवा विक्रय लायसेंस निलंबित किए गए हैं।

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Jitendra Shrivastava
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Photograph: (THESOOTR)

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मध्यप्रदेश में नागरिकों को सस्ती और गुणवत्तापूर्ण जेनरिक दवाएं देने के लिए प्रधानमंत्री जन औषधि केंद्र ( Jan Aushadhi Kendra ) खोले गए थे। ये केंद्र स्वास्थ्य सेवाओं को सुलभ बनाने के लिए जरूरी थे। हाल ही में हुई जांच में कई केंद्रों पर महंगी निजी ब्रांडेड दवाएं बेची जाती पाई गईं।

क्या हैं गड़बड़ियां?

मध्यप्रदेश में 2024-25 के दौरान की गई एक जांच में 67 जन औषधि केंद्रों पर निजी ब्रांडेड दवाओं की बिक्री की पुष्टि हुई। जांच रिपोर्ट के अनुसार, इन केंद्रों ने जेनरिक दवाओं की खरीदारी नहीं की थी और महंगे ब्रांडेड दवाओं की खरीद कर उन्हें अधिक कीमत पर बेचा। इसके बाद इन केंद्रों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की गई। 57 केंद्रों पर ताले लगा दिए गए और अन्य को नोटिस जारी कर प्रोत्साहन राशि रोक दी गई।

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जन औषधि केंद्रों का उद्देश्य

प्रधानमंत्री जन औषधि केंद्रों का मुख्य उद्देश्य लोगों को सस्ती दरों पर जेनरिक दवाएं उपलब्ध कराना था, ताकि उन्हें महंगी दवाओं का बोझ न उठाना पड़े। इन केंद्रों पर औसतन दवाएं 50% से 80% तक सस्ती मिलती हैं। यही कारण है कि सरकार ने इन केंद्रों को बढ़ावा देने के लिए प्रोत्साहन राशि भी दी है।

जन औषधि केंद्रों में मिलने वाली दवाएं...

  1. जेनरिक दवाएं
  2. सस्ती और गुणवत्ता वाली दवाएं
  3. सभी रोगों की दवाएं उपलब्ध

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जन औषधि केंद्रों की जांच में सामने आए आरोप...

  1. निजी ब्रांडेड दवाओं की बिक्री
  2. जेनरिक दवाओं की खरीद नहीं
  3. दवाओं का विक्रय रिकॉर्ड अपडेट नहीं किया गया
  4. शिड्यूल एच-1 ड्रग्स (जिनके लिए डॉक्टर का प्रिस्क्रिप्शन जरूरी है) के लिए रजिस्टर का अभाव
  5. एक्सपायर हो चुकी दवाएं भी बिक्री वाली दवाओं के साथ रखी गईं

इन गड़बड़ियों ने जन औषधि केंद्रों की विश्वसनीयता पर सवाल खड़े कर दिए हैं और सरकार के लिए यह एक चुनौती बन गया है।

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प्रधानमंत्री जन औषधि योजना का उद्देश्य

प्रधानमंत्री जन औषधि योजना का उद्देश्य महंगी दवाओं की बजाय लोगों को सस्ती दवाइयां उपलब्ध कराना है। इन केंद्रों को सरकारी सहायता मिलती है, और यह सुनिश्चित किया जाता है कि दवाएं उच्च गुणवत्ता की हों। इस योजना के अंतर्गत मध्यप्रदेश में 500 से अधिक केंद्रों की स्थापना की गई है।

सरकार की कार्रवाई

जांच के दौरान मिली गड़बड़ियों के बाद, सरकार ने सख्त कार्रवाई की। 57 जन औषधि केंद्रों को बंद कर दिया गया और 4 केंद्रों के दवा विक्रय लायसेंस को निलंबित कर दिया गया है। इसके अलावा, अन्य केंद्रों को भी नोटिस जारी किए गए हैं, और उनकी प्रोत्साहन राशि को रोक दिया गया है।

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निरंतर खुल रहे हैं नए केंद्र

मध्यप्रदेश में अब तक कई जिले और अस्पतालों में जन औषधि केंद्र खोले गए हैं, और यह सिलसिला जारी है। इन केंद्रों का उद्देश्य सस्ती और गुणवत्ता वाली दवाएं उपलब्ध कराना है। अब राज्य सरकार ने यह सुनिश्चित करने के लिए कड़े कदम उठाए हैं कि जन औषधि केंद्रों में केवल जेनरिक दवाएं ही बेची जाएं।

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