ग्वालियर के गोपाल मंदिर में मनाया जा रहा जन्माष्टमी उत्सव, 100 करोड़ के गहनों से सजे राधा-कृष्ण

ग्वालियर के गोपाल मंदिर में आज जन्माष्टमी पर 24 घंटे का उत्सव मनाया जा रहा है। इस दौरान भगवान राधा-कृष्ण को मूल्यवान आभूषणों से सजाया गया है।

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Amresh Kushwaha
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गोपाल मंदिर ग्वालियर
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Gopal Temple Gwalior : ग्वालियर के फूलबाग में स्थित गोपाल मंदिर में आज जन्माष्टमी के अवसर पर 24 घंटे का उत्सव ( Janmashtami Celebrations ) मनाया जा रहा है। भगवान राधा-कृष्ण को सिंधिया रियासत कालीन मूल्यवान आभूषणों से सजाया गया है। इनकी कीमत 100 करोड़ रुपए से अधिक है। इन आभूषणों में हीरे, मोती, पन्ना जैसे कीमती रत्न जड़े हुए हैं।

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बैंक के लॉकर में रखे जाते हैं आभूषण

गोपाल मंदिर ( Gopal Temple  ) इन आभूषणों को साल भर बैंक के लॉकर में सुरक्षित रखा जाता है। यह आभूषण केवल जन्माष्टमी के दिन भगवान राधा-कृष्ण के श्रृंगार के लिए निकाला जाता है। नगर निगम के अधिकारियों ने दिन के 12 बजे इन गहनों से भगवान का श्रृंगार किया और महाआरती की। इस खास मौके पर मंदिर में बड़ी संख्या में भक्त जमा हुए, जिन्होंने भगवान के भव्य रूप के दर्शन किए।

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गोपाल मंदिर का इतिहास ( History of Gopal Temple )

गोपाल मंदिर की स्थापना 1921 में माधवराव प्रथम ने की थी। सिंधिया राजाओं ने भगवान राधा-कृष्ण की पूजा के लिए विशेष चांदी के बर्तन और रत्न जड़ित सोने के आभूषण बनवाए थे, जिनमें पन्ना और सोने का हार, हीरे जड़े कंगन, मोती की माला, और स्वर्ण मुकुट शामिल हैं। 1956 में मध्य प्रदेश के गठन के बाद इन एंटीक गहनों को सुरक्षित रखा गया। 2007 में सरकार ने जन्माष्टमी के दिन इन गहनों को पुनः उपयोग करने की अनुमति दी। तब से हर साल जन्माष्टमी पर भगवान राधा-कृष्ण को इन बेशकीमती आभूषणों से सजाया जाता है और वे 24 घंटे तक भक्तों को दर्शन देते हैं।

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मंदिर से जुड़ी है भक्तों की आस्था और मान्यताएं

भक्तों का विश्वास है कि रत्न जड़ित गहनों से सजे राधा-कृष्ण के दर्शन से उनकी सभी इच्छाएं पूरी होती हैं। हर साल जन्माष्टमी पर भक्त इस भव्य स्वरूप के दर्शन के लिए दूर-दूर से आते हैं। इस वर्ष भी भक्तों की भारी भीड़ उमड़ी है, और मंदिर में विशेष पूजा और कार्यक्रम आयोजित किए गए हैं। भक्तों की श्रद्धा और उत्साह का यह दृश्य हर साल जन्माष्टमी पर देखने को मिलता है।

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