इंदौर एमवायएच में चूहा कांड से दो नवजातों की मौत पर जयस का आंदोलन, डीन-अधीक्षक पर गैर इरादतन हत्या केस की मांग

इंदौर के एमवायएच अस्पताल में दो नवजातों के चूहों के काटने से मौत हो गई थी। इसके बाद जयस ने जन आक्रोश आंदोलन शुरू किया। जयस ने डीन और अधीक्षक के खिलाफ गैर इरादतन हत्या का केस दर्ज करने की मांग की और प्रदर्शन जारी रखा।

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Sanjay Gupta
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INDORE. इंदौर के एमवायएच अस्पताल में एनआईसीयू में चूहों द्वारा काटने से हुई दो नवताजों की मौत को लेकर जयस का जन आक्रोश आंदोलन शुरू हो गया है। रविवार को दोपहर में शुरू हुआ जो देर शाम तक जारी है। इस दौरान कई बार अधिकारियों के साथ तीखी नोंक-झोंक हुई। अधिकारियों ने कार्रवाई की धमकी दी, जिस पर जयस ने झुकने से इंकार कर दिया और प्रदर्शन जारी रखा। मौके पर पुलिस और प्रशासनिक अधिकारी ड्यूटी पर मौजूद है। 

यह मांग की जा रही है

जयस के राष्ट्रीय अध्यक्ष लोकेश मुजाल्दे ने कहा कि हमारी मांग है कि जिम्मेदारों पर खासकर डीन डॉ. अरविंद घनघोरिया और अधीक्षक के खिलाफ सख्त कार्रवाई हो और उनके साथ ही सभी जिम्मेदारों पर गैर इरादतन हत्या का केस हो। 

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जयस इसलिए कर रहा आंदोलन

जयस का कहना है कि एम वाय अस्पताल इंदौर में घटित “चूहा कांड” ने पूरे प्रदेश को झकझोर कर रख दिया है। जिस तरह अस्पताल प्रशासन की लापरवाही के कारण मासूम नवजात बच्चियों की जिंदगी से खिलवाड़ हुआ, वह मानवता को शर्मसार करने वाली घटना है। हमारा उद्देश्य एम वाय अस्पताल में व्याप्त भ्रष्टाचार और अव्यवस्था को उजागर करना, पीड़ित परिवारों को न्याय दिलाना। जयस का मानना है कि यदि आज इस भीषण लापरवाही पर कड़ी कार्रवाई नहीं की गई तो भविष्य में मासूमों की जान यूं ही खतरे में पड़ती रहेगी।

4 पॉइंट्स में समझें पूरी खबर... 

घटना का विवरण: इंदौर एमवाय अस्पताल में एनआईसीयू में चूहों (Rat Bite) द्वारा दो नवजातों को काटने के कारण उनकी मौत हो गई, जिससे जयस ने जन आक्रोश आंदोलन शुरू किया। आंदोलन रविवार को शुरू हुआ और देर शाम तक जारी रहा।

आंदोलन की मांगें: जयस के राष्ट्रीय अध्यक्ष लोकेश मुजाल्दे ने मांग की है कि एमवाय हॉस्पिटल के डीन डॉ. अरविंद घनघोरिया और अधीक्षक के खिलाफ सख्त कार्रवाई हो और उन पर गैर इरादतन हत्या का केस दर्ज किया जाए।

जयस का उद्देश्य: जयस (jayas) का कहना है कि इस घटना ने प्रदेश को झकझोर दिया है और वे अस्पताल में व्याप्त भ्रष्टाचार और लापरवाही को उजागर करना चाहते हैं। उनका उद्देश्य पीड़ित परिवारों को न्याय दिलाना और भविष्य में ऐसी घटनाओं से बचाव करना है।

हाईकोर्ट की सुनवाई: हाईकोर्ट ने मामले का संज्ञान लिया और सभी पक्षकारों को नोटिस दिए थे। सरकार ने इसे चूहों के कुतरने की जगह नेचुरल कारण बताया और रिपोर्ट पेश की, जबकि उच्च स्तरीय रिपोर्ट में लीपापोती की गई। केवल कुछ अधिकारियों पर कार्रवाई की गई।

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हाईकोर्ट में ऑर्डर रिजर्व है

हाईकोर्ट ने इस घटना पर खुद संज्ञान लेकर सभी पक्षकारों को नोटिस दिए थे और न्यायमित्र भी नियुक्त किए थे। इस मामले में सुनवाई होने के बाद आर्डर रिजर्व पर है। उधर सरकार ने हाईकोर्ट में इन बच्चों की मौत को चूहों के कुतरने की जगह नेचुरल बताया और कहा कि जन्म के बाद से ही यह काफी क्रिटिकल थे और कई अंग विकसित नहीं हुए थे, साथ ही पीएम रिपोर्ट पेश की थी।

उधर शासन की उच्च स्तरीय रिपोर्ट में भी लीपापोती की गई और सभी उच्चस्तर के लोगों को बचा लिया गया। इसमें केवल तत्कालीन अधीक्षक डॉ. अशोक यादव  को छुट्टी पर भेजा गया, विभागाध्यक्ष बृजेश लाहोटी को पद से हटा दिया और एजेंसी एजाइल से पेस्ट कंट्रोल ठेका लेने के लिए नोटिस जारी हुआ। बाकी कुछ पर डीन ने कार्रवाई की थी।

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