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झाबुआ कलेक्टर नेहा मीना की कार को तेज रफ्तार डंपर ने सोमवार (27 जुलाई) सुबह टक्कर मार दी थी। इस घटना के बाद प्रशासन ने तत्काल कड़ी कार्रवाई शुरू कर दी। डंपर चालक के साथ-साथ उसके मालिक (रेत कारोबारी) पर सख्त कदम उठाए। इस पूरे मामले को लेकर प्रशासन ने बड़ी गंभीरता दिखाई और सभी क्षेत्रीय अधिकारियों को सक्रिय कर दिया, ताकि इस गंभीर मुद्दे पर जल्द से जल्द कार्रवाई की जा सके।
टक्कर की घटना ने मचाई हलचल
सोमवार (27 जुलाई) सुबह, लगभग 10:30 बजे, कलेक्टर नेहा मीना की सरकारी कार को उनके बंगले के बाहर तेज रफ्तार डंपर ने टक्कर मार दी। हादसा इतना जोरदार था कि कलेक्टर की कार डिवाइडर पर चढ़ गई और उसका अगला हिस्सा बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गया। गनीमत रही कि कलेक्टर, उनके ड्राइवर और गार्ड को कोई गंभीर चोट नहीं आई। यह घटना इलाके में हड़कंप मचा देने वाली थी, लेकिन प्रशासन की तत्परता और कलेक्टर की सतर्कता ने स्थिति को नियंत्रण में रखा।
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डंपर चालक को हिरासत में लिया गया
हादसे के तुरंत बाद प्रशासन के अधिकारी घटनास्थल पर पहुंचे। पुलिस अधीक्षक पदम विरोचन शुक्ला भी मौके पर पहुंचे और स्थिति का जायजा लिया। पुलिस ने डंपर चालक को हिरासत में ले लिया है और मामले की पूरी जांच की जा रही है।
घटना की गंभीरता को देखते हुए एक संयुक्त टीम बनाई गई। इसमें कलेक्टर और एसडीएम झाबुआ के निर्देशन में राजस्व विभाग ने राणापुर तहसीलदार हुकुम सिंह निगवाल को जांच का जिम्मा सौंपा।
डंपर मालिक पर लगा शिकंजा
डंपर चालक को हिरासत में लेने के बाद उसके मालिक के खिलाफ भी सख्त कार्रवाई शुरू कर दी गई। राणापुर तहसीलदार ने डंपर मालिक के परिसर को सील कर दिया है और 4 डंपर व 6 बसों पर कार्रवाई की प्रक्रिया शुरू कर दी है।
इस घटना के दौरान तहसीलदार ने यह भी पता लगाया कि जिस स्थान पर शेड बनाकर चार डंपर और छह बसें खड़ी थीं, वह भूमि एक आदिवासी व्यक्ति, बसु पिता बारीया भील के नाम पर थी। लेकिन अवैध रूप से रेत कारोबारी शांतिलाल बसेर ने आदिवासी की भूमि पर कब्जा कर रखा था। प्रशासन ने इस भूमि पर कब्जा मुक्त कर आदिवासी को यह भूमि वापस देने की योजना बनाई है।
आदिवासी की जमीन पर अवैध कब्जा
राणापुर में रेत कारोबारी शांतिलाल बसेर के जरिए आदिवासी की भूमि पर अवैध कब्जा किया गया था। यह भूमि पाडलवा ग्राम पंचायत के हल्का नंबर 36 में स्थित सर्वे नंबर 536/1 में थी। तहसीलदार की प्रारंभिक जांच में यह जानकारी सामने आई कि यह भूमि आदिवासी के नाम थी, लेकिन गैर आदिवासी के जरिए इसे हड़प लिया गया था। प्रशासन ने धारा 170 के तहत कार्रवाई करने की योजना बनाई है।
आदिवासी को भूमि मिलेगा वापसी
प्रशासन के जरिए यह सुनिश्चित किया जाएगा कि भूमि को अवैध कब्जे से मुक्त किया जाए और आदिवासी को उनकी भूमि वापस मिल सके। इसके लिए कानूनी प्रक्रियाओं का पालन करते हुए आदिवासी को उनका अधिकार सौंपा जाएगा।
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