कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष जीतू पटवारी के भाई नाना की जिलाबदर फाइल 1 साल रूकी रही, फिर IT नोटिस से ऐसे चली

जीतू पटवारी के भाई नाना पटवारी की जिलाबदर की प्रक्रिया में एक दिलचस्प मोड़ आया है। द सूत्र के हाथों इस जिलाबदर कांड की फाइल लगी है। इस पूरी फाइल के पीछे जो कहानी छिपी है, वो और भी ज्यादा रोचक है...

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Sanjay Gupta
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मध्य प्रदेश कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष जीतू पटवारी के भाई कुलभूषण उर्फ नाना पटवारी की जिलाबदर की प्रक्रिया पर हाल ही में हाईकोर्ट ने रोक लगाते हुए अगली प्रक्रिया पर स्टे दे दिया है। इस पूरी फाइल की अजीब कहानी है।

द सूत्र ने इस जिलाबदर कांड की पूरी फाइल निकाली तो इसमें गजब का काम हुआ है। एक साल तक फाइल को ठंडे बस्ते में डाल कर रखा गया और पुलिस आयुक्त के दफ्तर से कोई हलचल नहीं हुई और अचानक फिर फाइल चली। इस फाइल के चलने की पूरी चरणबद्ध कहानी पढ़िए द सूत्र पर एक्सक्लूसिव...

फाइल की शुरुआत होती है 23 मई 2024 से

नाना के दस आपराधिक रिकॉर्ड देखते हुए राजेंद्र नगर थाने और डीसीपी जोन वन से जिलाबदर की फाइल शुरू होती है। तत्कालीन पुलिस आयुक्त राकेश गुप्ता के पास 23 मई 2024 को फाइल पुटअप होती है। इसमें केस 130/2024 रजिस्टर किया जाता है, मप्र सुरक्षा एक्ट के तहत। इसमें जिलाबदर किया जाता है।

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नाना को अगस्त 2024 में दिया गया नोटिस

इसके बाद नाना को नोटिस जारी किया जाता है। इस पर नाना 28 अगस्त 2024 को जवाब पेश करते हैं। इसमें वह अपने केस की जानकारी देते हैं और दो केस को लेकर बताते हैं कि उनकी अभी स्थिति क्या है।

इसके बाद 8 माह तक शांति

इसके बाद 8 माह तक शांति रहती है या यूं कहें कि नाना को इस मामले को लेकर कोई नोटिस नहीं होता है, और न ही इस केस में कोई तारीख लगती है। लेकिन अचानक 16 मई 2025 को एक नोटिस जाता है। इसमें पुराने दोनों केस के साथ ही नए अपराध प्रकरण का हवाला दिया जाता है, जो आईटी एक्ट 1961 की धारा 276बी के तहत जिला कोर्ट से होता है।

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नाना पटवारी के जिलाबदर कांड की टाइमलाइन

  • 23 मई 2024: नाना पटवारी के खिलाफ जिलाबदर प्रक्रिया शुरू होती है। मप्र सुरक्षा एक्ट के तहत केस 130/2024 रजिस्टर होता है।

  • 28 अगस्त 2024: इसके बाद नाना को नोटिस जारी होता है। इसका जवाब नाना 28 अगस्त को देते हैं।

  • 8 माह तक शांति: 8 महीने तक इस मामले में कोई नई कार्रवाई नहीं होती।

  • 16 मई 2025: एक नया नोटिस जारी होता है, जिसमें पुराने केसों के अलावा एक नया आईटी एक्ट केस जोड़ा जाता है।

  • 16 मई 2025: आयकर विभाग ने पत्र जारी किया जो कंपाउंडिंग आवेदन 1.63 लाख रुपए के संबंध में था।

  • 23 मई 2025: नाना को एक और नोटिस मिलता है, जिसमें पेशी के लिए 23 मई 2025 की तारीख दी जाती है।

  • कोर्ट में नाना का बयान: नाना पटवारी ने इसे राजनीतिक द्वेष बताते हुए आरोप लगाया कि यह कार्रवाई दबाव बनाने के लिए की जा रही है।

  • कोर्ट का आदेश: अदालत ने जिलाबदर की अगली प्रक्रिया पर रोक लगा दी।

 

आईटी केस 1.63 लाख कंपाउंडिंग का, खत्म हुआ

यह आईटी केस वित्तीय साल 2008-09 का है, जो पटवारी रियल एस्टेट प्रालि के लिए था। इसमें कंपाउंडिंग के लिए पटवारी द्वारा आवेदन दिसंबर 2019 में मप्र-छग आयकर विभाग भोपाल को किया गया था।

आयकर विभाग ने 16 मई 2025 को इस संबंध में पत्र जारी किया जो कंपाउंडिंग आवेदन 1.63 लाख रुपए के संबंध में था। हालांकि यह केस अब न्यायाधीश जय कुमार जैन की कोर्ट में 12 जून 2025 को कंपाउंडिंग हो जाने के चलते खत्म हुआ है।

IT पर कोर्ट से नोटिस पर फिर चली जिलाबदर फाइल

अब इस आयकर मामले में जिला कोर्ट से नोटिस के आधार पर 16 मई 2025 को पुलिस आयुक्त संतोष सिंह की कोर्ट से नाना पटवारी को नया नोटिस हुआ। (यह करीब एक साल बाद हुआ, इसके पहले जिलाबदर को लेकर 23 मई 2024 को तत्कालीन पुलिस आयुक्त राकेश गुप्ता ने नोटिस दिया था)।

इस नए नोटिस में कहा गया कि पूर्व केस 130/2024 की जांच जारी है। पूर्व में 28 अगस्त को जवाब पेश किया गया था। इसमें दो केस को लेकर कहा थानों को लेकर इन केस पर यह अपडेट जानकारी आई है।

साथ ही नए आईटी केस को लेकर कहा गया कि डीएसपी जोन वन ने 15 मई 2025 को बताया कि आपके खिलाफ केस एससी/ईओडब्ल्यू/3300012/2013 के धारा 276बी आयकर एक्ट 1961 में अजमानतीय गिरफ्तारी वारंट जारी कर अदम तामील चल रहा है। अन्य केस में कोर्ट से नोटिस हुए लेकिन कोर्ट में पेश नहीं हो रहे हैं। डीसीपी जोन वन व थाना प्रभारी राजेंद्र नगर द्वारा पेश नवीन तथ्यों के संबंध में 23 मई 2025 को आपकी पेशी लगाई जाती है, इसमें आप जवाब पेश करें।

कोर्ट में नाना ने कहा यह पूरी तरह राजनीतिक द्वेष से चला

वहीं कोर्ट में नाना पटवारी ने आवेदन लगाकर इस जिलाबदर की कार्रवाई को पक्षपातपूर्ण राजनीतिक द्वेष के कारण किया जाना बताया। उन्होंने कहा कि पहले 10 पुराने केस पर फाइल चली और अब तीन नए केस का हवाला देकर इसमें आईटी का कंपाउंडिंग नोटिस है उसे लेकर जिलाबदर का नोटिस करीब एक साल बाद फिर दिया जा रहा है।

यह कार्रवाई इसलिए हो रही है क्योंकि वह विपक्ष दल के नेता के भाई हैं। इसलिए दबाव बनाने के लिए यह किया जा रहा है। नाना ने वरिष्ठ अधिवक्ता अजय बागड़िया के जरिए याचिका लगाई, जिसमें सभी तर्क सुनने के बाद जस्टिस ने जिलाबदर की अगली प्रक्रिया पर रोक लगा दी। हाल ही में थाना तेजाजीनगर में भी जमीन को लेकर नाना के साथ ही उनके बड़े भाई भरत पटवारी पर भी हुए केस में अग्रिम जमानत हो चुकी है, इसी केस में जिलाध्यक्ष कांग्रेस सदाशिव यादव भी आरोपी हैं, उन्हें भी जमानत मिल चुकी है।

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