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Jitu Yadav main source income
मारपीट के मामले से चर्चा में आए इंदौर के पार्षद जीतू यादव के कई कांड सामने आ रहे हैं। बीजेपी से पूर्व एमआईसी मेंबर जीतू यादव उर्फ जाटव उर्फ देवतवार की शपथ पत्र के हिसाब से कुल संपत्ति मात्र और मात्र 14 लाख रुपए है, इसमें 12 लाख का मकान है तो करीब 1.85 लाख की चल संपत्ति है। सालाना कमाई उसने 7.56 लाख रुपए बताई हुई है और पत्नी जो गृहिणी है और कुछ नहीं करती है उनकी कमाई 4.33 लाख रुपए प्रति साल बताई है। फिर वह लग्जरी लाइफ जीता कैसे है, उसकी कमाई का जरिया क्या है।
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रंगदारी जमा कर शुरू की बड़ी कमाई
जीतू यादव पर 11 गंभीर अपराध दर्ज है। इसी से उसने अपने क्षेत्र में जमकर रौब जमाया। जीतू यादव मुख्य तौर पर रंगदारी के लिए पहचान रखता था, उसने बड़े मामले सुलझाने, वसूली करने के बदले में कमीशन का बड़ा धंधा खोल रखा था।
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ज्वेलरी नहीं बताई, लेकिन पहनता है सोने का कड़ा
जीतू यादव ने पार्षद चुनाव शपथपत्र में एक नहीं कई झूठ भरे हैं। जैसे उस पर 11 अपराध है लेकिन उसने बताए केवल दे। इसी तरह ज्वेलरी नहीं है, यह बताया लेकिन खुद हाथ में सोने का कड़ा ब्रेसलेट पहनता है, जो बताया जाता है सात-आठ तोले का है यानी आज की कीमत में 6 लाख रुपए से ज्यादा का, इसके साथ हाथ में अंगूठी व अन्य ज्वेलरी भी है। पत्नी के पास भी गहने हैं लेकिन शपथपत्र में एक भी ज्वेलरी नहीं होना बताया।
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पहले देखते हैं जीतू की संपत्ति
1. नगर निगम शपथपत्र जून 2022 के हिसाब से जीतू ब्रोकरेज शुल्क के जरिए कमाई करता है और वह साल इससे 7.56 लाख रुपए कमा लेता है। परिवार में पत्नी ग्रृहिणी है कुछ नहीं करती है और इसके बाद भी वह 4.33 लाख रुपए कमाई का रिटर्न दाखिल करती है। वह कैसे कमाती है इसका कोई जिक्र नहीं है।
2. जीतू और उसकी पत्नी के पास चल संपत्ति में कोई ज्वेलरी, वाहन व अन्य महंगी सामग्री नहीं है। जीतू के खाते में करीब 1.40 लाख रुपए है। वही पत्नी के पास नकदी में 12 हजार और खाते में 1868 रुपए, इस तरह करीब 14 हजार रुपए ही थे।
3. जीतू के पास मात्र कुलकर्णी भट्टे में 482 नंबर का मकान है जो 416 वर्ग फीट का हो जो उसने 2013 में मात्र 3.70 लाख रुपए में खरीदा था। इसकी कीमत 12 लाख रुपए है। इसके अलावा जीतू और उसकी पत्नी के पास कोई चल व अचल संपत्ति नहीं है। ना ही वाहन, ज्वेलरी या अन्य महंगा सामान है।
गोवा में जीते सवा दो करोड़, डेढ़ करोड़ की कार ली
कालरा कांड के कुछ दिन पहले ही जीतू ने गोवा में जमकर सट्टा खेला और वहां सवा दो करोड़ रुपए जीते थे। इस राशि में करीब डेढ़ करोड़ रुपए में उसने एक मंहगी कार खरीदी थी। सूत्रों ने बताया कि जीतू को सट्टा खेलने का काफी शौक था और वह अक्सर गोवा के कसीनो में जमकर खेलता था। वैसे उसके आपराधिक रिकार्ड में भी है कि उस पर परदेशीपुरा थाना में जुआ एक्ट में केस दर्ज हो चुका है। वह भी साल 1999 में जब वह 19 साल का ही था।
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समर्थक गुंडों के जरिए वसूली, खुद भी कमाया, उन्हें भी कमाया
जीतू यादव साल 2022 में पार्षद बना था लेकिन साल 2015 से 2020 के दौरान वार्ड 24 महिला होने पर उसकी भाभी प्रिया यादव पार्षद थी और तब भी नगर निगम वही चलाता था। इसी से परेशान होकर प्रिया ने जाना ही बंद कर दिया था और यादव परिवार छोड़ दिया। जीतू के पास समर्थकों की लंबी फौज है, इसके चलते उसने मांडवाली और ब्याज की राशि व मूल राशि की वसूली का धंधा अपनाया। इसमें वसूली के बदले में मोटी रकम वह रखता था। इस वसूली के लिए उसने अपने कार्यालयों को अड्डा बनाया, यहां समर्थक वसूली वालों को पकड़कर लाते और उनसे वसूली होती।
वसूली के लिए अंदर टॉर्चर रूम
जानकारी के अनुसार कुलकर्णी नगर में उसने बगीचे के जमीन पर जो कार्यालय बनाया है, वहां मुख्य तौर पर समर्थक गुंडे बैठते थे और वहीं से पूरा वसूली कांड होता था। यहां एक अंदर कमरे में टार्चर रूम भी था, जहां पर वसूली के लिए बुलाकर बंद कर पीटा जाता था।
मिल की जमीन पर 21-21 लाख में बेची दुकान
रंगदारी के अलावा जमीन पर कब्जा कर दुकान बनाकर बेचने, किराया खाने का भी लंबा धंधा जीतू ने खोला हुआ था। कल्याण मिल जो एनसीसी की जमीन है यहां पर कब्जा कर उसने 56 दुकान मार्केट बना डाला। जानकारी के अनुसार इन दुकान के लिए उसने पगड़ी 21 से लेकर 25 लाख रुपए तक ली और इससे करोड़ों रुपए कमाए। वहीं इन दुकानों से भी उसे लाखों रुपए का महीना किराया आता था। जो उसकी आय का एक बड़ा जरिए बन गया था।
उधर पुलिस जीतू पर ठंडी, खास पिंटू की रिमांड नहीं मांगी
उधर जैसे 'द सूत्र' ने पहले भी कहा था कि जीतू को आरोपी बनाने के लिए पुलिस कोई कार्रवाई करती नहीं दिख रही है। पहले गिरफ्तार हुए 6 लोगों में से पुलिस ने किसी की रिमांड लेकर पूछताछ करने और जीतू का नाम रिकार्ड में लेने की कोई कार्रवाई नहीं की। इसके बाद दो और गिरफ्तार हुए और जो किरकिरी हुई तो उनको रिमांड ली जिसमें जीतू चचेरे भाई अभिलाष यादव का नाम रिकार्ड पर आया। वहीं फिर एक आरोपी और पांच अन्य आरोपी (कुल 15) को गिरफ्तार किया लेकिन रिमाडं नहीं लेकर सीधे जेल भिजवा दिया। जबकि अंत में पकड़े पांच आरोपियों में जीतू का एकदम खास पिंटू शिंदे भी था जो कालरा के घर गया था। लेकिन इसकी रिमांड लेकर कोई पूछताछ नहीं हुई। वहीं पुलिस ने अभी तक कालरा से लिए गए वीडियो, ऑडियो की फोरेंसिक जांच भी नहीं कराई है। बस पुलिस इस केस को फास्ट ट्रैक में ले जाने की बात कह रही है और अभी तक 40 अज्ञात में से 29 की पहचान की बात कह रही है। लेकिन लगता नहीं पुलिस जीतू के लिए कुछ करने जा रही है।
ये है मामला...तीन दिन कुछ किया ही नहीं?
3 जनवरी को 40 गुंडों ने पार्षद कमलेश कालरा के घर पर हमला किया था। नाबालिग को निर्वस्त्र किया गया। शुरुआती तीन दिन तो किसी ने कुछ कहा ही नहीं। चौथे दिन जब जनता सड़क पर उतरी, तब से फौरी कार्रवाई का दौर शुरू हुआ। लोगों ने बवाल काट दिया। इंदौर झुलसने लगा। यहां तक कि संवेदनाओं का राग गाने वाले जनप्रतिनिधि और नेता कालरा के घर उनका हाल जानने तक नहीं पहुंचे। फिर जब भोपाल और दिल्ली तलक पहुंची, तब जाकर प्यादों को पकड़ना शुरू किया गया।
ऐसे चला घटनाक्रम
- 25 दिसंबर: कमलेश कालरा और नगर निगम के कर्मचारी में विवाद हुआ। निगमकर्मी ने यादव का नाम लिया।
- 26 दिसंबर: कालरा ने आरोप लगाया कि जीतू यादव ने उन्हें फोन कर धमकाया।
- 27-28 दिसंबर: जीतू ने कालरा को फोन कर माफी मांगते हुए वीडियो वायरल करने को कहा।
- 3 जनवरी: कुछ ऑडियो वायरल हुए। इनमें दोनों पार्षद और निगमकर्मी की बातचीत थी।
- 4 जनवरी: 40 से ज्यादा बदमाश कालरा के घर में घुसे। बेटे को पीटा, निर्वस्त्र कर दिया।
- 5 जनवरी: जीतू को पार्टी से निकालने की मांग उठी। कालरा मां-पत्नी व बेटा सीएम से मिले।
- 6 जनवरी: बीजेपी ने दोनों को नोटिस जारी किए। सिंधी समाज ने बंद की घोषणा की।
- 7 जनवरी: कार्रवाई नहीं हुई तो कालरा पुलिस कमिश्नर से मिले। खुदकुशी की बात कही।
- 8 जनवरी: दो और ऑडियो वायरल हुए। इनमें जीतू संगठन को भाड़ में जाए कहते सुनाई दिए।
- 9 जनवरी: पुलिस ने पहली कार्रवाई में छह आरोपियों को चिह्नित कर गिरफ्तार किया।
- 10 जनवरी: पीएमओ और मानवाधिकार आयोग ने रिपोर्ट तलब की और दो आरोपी गिरफ्तार हुए।