कैलाश विजयवर्गीय के भावांतर योजना पर इस वादे से उलझी मोहन सरकार, ग्रीनफील्ड रोड और भावांतर विरोध में ट्रैक्टर रैली

कैलाश विजयवर्गीय ने मुख्यमंत्री मोहन यादव की सरकार को भावांतर योजना के तहत सोयाबीन खरीदी के लिए एक वादा किया, जिससे सरकार उलझ गई। क्या है पूरा मामला...जानें

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Sanjay Gupta
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नगरीय प्रशासन मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने सोयाबीन खरीदी के लिए आई एमपी सरकार की भावांतर योजना पर एक वादे ने सीएम डॉ. मोहन यादव की सरकार को उलझा दिया है। मंत्री भावांतर योजना के लिए निकाली गई धन्यवाद रैली पर दशहरा मैदान पर बोल रहे थे। उधर बीजेपी द्वारा 7 अक्टूबर को की गई धन्यवाद रैली के विरोध में संयुक्त किसान मोर्चा भावांतर योजना के विरोध में 8 अक्टूबर बुधवार को ट्रैक्टर रैली कर रहा है और साथ ही वह इंदौर-उज्जैन के बीच ग्रीन फील्ड कॉरिडोर का भी विरोध कर रहा है।

यह किया मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने वादा

मंत्री विजयवर्गीय ने इस दौरान प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी को पहले घेरा और कहा कि वह बहुत झूठ बोलते हैं, झूठ बोलने की भी हद होती है कोई सिर-पैर तो होता है ना, वह भी नहीं है। वह कहते हैं कि किसान भाईयों की उपज 3000 में बिक जाएगी, ठग रही है सरकार। मंत्री ने आगे कहा कि मैं दावे से कह रहा हूं इस जवाबदार मंच से यदि किसी किसान का 3000 में सोयाबीन बिका तो 2028 रुपए मोहन सरकार उसके खाते में डालने का काम करेगी यह है भावांतर योजना। हमारे किसी किसान का नुकसान नहीं होना चाहिए, यह बीजेपी सरकार की इच्छा है। अब इसमें उन्हें क्या तकलीफ है।

कितनी सही है यह वादा

भावांतर योजना के तहत यह होना है कि 24 अक्टूबर से पहले 15 दिन तक मंडियों में बिके सोयाबीन का औसत भाव लेकर मॉडल रेट निकाला जाएगा। और फिर मॉडल रेट और एमएसपी (न्यूनतम समर्थन मूल्य) जो 5328 रुपए तय है के बीच का अंतर किसान के खाते में जाएगा। जैसे मॉडल रेट 4500 रुपए तय हुआ और किसान का सोयाबीन 4800 में बिका तो किसान के खाते में एमएसपी और उपज बिकने के मूल्य 4800 के अंतर का 528 रुपए मिलेगा। यदि किसान का सोयाबीन 4000 रुपए में बिका तो उसे मॉडल रेट 4500 और एमएसपी के बीच का अंतर यानी 828 रुपए खाते में मिलेगा। यानि मंत्रीजी जो कह रहे हैं कि सोयाबीन 3000 में बिका तो दो हजार मोहन सरकार देगी यह भावांतर योजना में नहीं आता है। किसान को मॉडल रेट और एमएसपी के बीच का अंतर ही मिलेगा।

धन्यवाद रैली से भी नाराज किसान, बोले अभी तो कुछ मिला ही नहीं

उधर एमपी में बीजेपी सरकार की इस भावांतर योजना के तहत अभी पंजीयन काम ही चल रहा है। वहीं इंदौर में इसके लिए सरकार को धन्यवाद रैली निकल गई। जबकि उधर किसान संघ इसका विरोध कर रहा है और वह एमएसपी मांग रहा है। बीजेपी के पूर्व विधायक जीतू जिराती व अन्य नेताओं ने जब इसके लिए सोशल मीडिया पर पोस्ट डाली तो जमकर ट्रोल हुए। किसानों ने कहा कि अभी तो योजना में खरीदी शुरू नहीं हुई, ना राशि मिलना फिर किस बात की धन्यवाद रैली। इस ट्रैक्टर रैली में प्रति ग्रामीण विधानसभा से 300 ट्रैक्टर लाने की बात थी लेकिन कुल ट्रैक्टर ही 300 से कम पहुंचे। बताया जा रहा है कि गांवों में किसान इस योजना से नाराज हैं और उनकी सीधी मांग है कि एमएसपी मिले।

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इधर ग्रीनफील्ड कॉरिडोर और भावांतर के विरोध में ट्रैक्टर रैली

उधर संयुक्त किसान मोर्चा अब बुधवार 8 अक्टूबर को ट्रैक्टरों के साथ हातोद से इंदौर तक रैली निकालेंगे। इंदौर-उज्जैन ग्रीन फील्ड कॉरिडोर को निरस्त करने, सोयाबीन की खरीदी समर्थन मूल्य पर करने और मुआवजा दरें बढ़ाने जैसी मांगों को लेकर यह प्रदर्शन है। यह किसान भी भावांतर योजना नहीं चाहते हैं। किसान नेता बबलू जाधव ने बताया कि दोपहर एक बजे तक किसान सिरपुर पहुंचेंगे और दो बजे तक कलेक्टर कार्यालय पहुंचकर ज्ञापन सौंपेंगे।

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ग्रीन फील्ड कॉरिडोर से 28 गांव प्रभावित

जाधव ने कहा कि इंदौर-उज्जैन ग्रीन फील्ड कॉरिडोर परियोजना से इंदौर की सांवेर और हातोद तहसीलों के करीब 20 गांव तथा उज्जैन जिले के आठ गांव प्रभावित हो रहे हैं। इसमें 188 हेक्टेयर उपजाऊ जमीन अधिग्रहीत की जा रही है। खेती असंभव हो जाएगी। सरकार ने बिना पर्याप्त सर्वे और आकलन के यह योजना लागू कर दी है। सड़क 2028 के सिंहस्थ को ध्यान में रखकर बनाई जा रही है, लेकिन उज्जैन जाने के पहले से ही कई मार्ग हैं जिन्हें चौड़ा किया जा सकता है। जमीन के वास्तविक दाम पांच गुना तक बढ़ चुके हैं।

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