मप्र की राजनीति में कौन बूढ़ा, कैलाश विजयवर्गीय, सज्जन से दिग्गी, कमलनाथ को बोल चुके बुढ़ऊ, जीतू ने कैलाश को कहा बूढ़ा

मध्यप्रदेश की राजनीति में बूढ़ा शब्द का प्रयोग अक्सर चर्चा का विषय बनता है, खासकर 2023 विधानसभा चुनावों के बाद। बीजेपी और कांग्रेस के प्रमुख नेताओं द्वारा इस शब्द का उपयोग उनकी व्यक्तिगत और राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता को दर्शाता है।

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Sanjay Gupta
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Indore. मध्यप्रदेश की राजनीति में गाहे-बगाहे बुढ़ऊ शब्द आ ही जाता है। खासकर यह शब्द मप्र विधानसभा चुनाव 2023 के पहले से अधिक उपयोग में आने लगा। जब मैदान में लग रहा था कि कांग्रेस और बीजेपी में कड़ी टक्कर होगी और दिग्गी और कमलनाथ की जोड़ी लगी हुई थी। इस दौरान कैलाश विजयवर्गीय ने दोनों को बुढ़ऊ कहा और विक्टोरिया 203 मूवी के किरदार से तुलना की।

अभी यह शब्द इसलिए आया चर्चा में

अभी यह शब्द इसलिए चर्चा में आया क्योंकि अब कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष जीतू पटवारी (Jitu Patwari) ने यह शब्द मंत्री कैलाश विजयवर्गीय के लिए उपयोग में लाया। वहीं विजयवर्गीय ने इस शब्द का प्रयोग इस बार अप्रत्यक्ष तौर पर पूर्व मंत्री सज्जन सिंह वर्मा (Sajjan Singh Verma) के लिए किया।

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किसने कब किसे कहा बूढ़ा

दो साल पहले कैलाश विजयवर्गीय (Kailash Vijayvargiya) ने कहा था, कांग्रेस के बारे में क्या कहूं, कांग्रेस के दो जासूस बोलूं, बुढ़ऊ बोलूं, क्या बोलूं। घूम रहे हैं 75-75 साल की उम्र में, वो जब चलते हैं, तो आप उनकी खाली चाल ही देख लो। जब कमलनाथ चलते हैं तो उनका एक वीडियो निकाल लेना और शिवराज जब चलें तो उनका भी एक वीडियो निकाल लेना।

कैलाश विजयवर्गीय ने हाल ही में भाई-बहन के संबंधों को लेकर टिप्पणी की थी, इस पर जीतू पटवारी ने 26 सितंबर को जवाब देते हुए कहा, कैलाश विजयवर्गीय 70 साल के बुजुर्ग हो गए हैं, मतलब कि बूढ़े हो गए हैं। हम समझते हैं कि मुख्यमंत्री नहीं बनाए जाने पर वो पागल हो गए हैं, उनका दिमाग खराब हो गया है। इसी पागलपन में वो ऐसी बातें कर रहे हैं।

उधर, सज्जन सिंह वर्मा ने कैलाश विजयवर्गीय को लेकर कहा, आज वह सामने नहीं हैं, नहीं तो महिलाएं आग लगा देतीं, इतना शर्मनाक बयान दिया है। इस पर विजयवर्गीय ने जवाब दिया, बूढ़े और बच्चों की बातों को माफ कर देना चाहिए। यानी उन्होंने अप्रत्यक्ष तौर पर सज्जन को बूढ़ा कहा।

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आखिर किस नेता की कितनी उम्र

कांग्रेस की बात करें तो दिग्विजय सिंह (Digvijaya Singh) और कमलनाथ (Kamal Nath) दोनों की उम्र अभी 78-78 साल की है। कमलनाथ राजनीति में अभी भी सक्रिय हैं, तो वहीं दिग्गी की फिटनेस और सक्रियता का स्तर तो कांग्रेस के किसी नेता में नजर नहीं आता। वह आज भी युवा नेता जैसे ही सक्रिय नजर आते हैं।

सज्जन सिंह वर्मा की बात करें तो वह अभी 73 साल के हैं। वहीं सज्जन को बूढ़ा और कमलनाथ व दिग्गी को बुढ़ऊ कह चुके कैलाश विजयवर्गीय की उम्र अभी 69 साल की है। वह अभी जिम जाते हैं और जन्मदिन आदि पर जिम वर्कआउट के वीडियो भी डालते हैं।

वहीं इंदौर के उम्रदराज लेकिन राजनीति में सक्रिय नेताओं की बात करें तो राऊ बीजेपी विधायक मधु वर्मा 73 साल के, विधानसभा पांच के बीजेपी विधायक महेंद्र हार्डिया 72 साल के, कांग्रेस से अब बीजेपी के हो चुके मंत्री तुलसी सिलावट 70 साल के हैं। तुलसी फिलहाल इंदौर में राजनीति के लिहाज से सबसे वरिष्ठ नेता हैं जो 1985 से ही विधानसभा चुनाव लड़ रहे हैं। उन्होंने 1985 से 2018 तक कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़े, फिर वह 2020 में बीजेपी में आ गए और बीजेपी से वह 2020 का उपचुनाव और फिर 2023 का विधानसभा लड़े और जीते भी।

वहीं राजनीति को विराम दे चुके सत्यनारायण सत्तन की उम्र 85 साल है और अभी पार्टी के संगठन आयोजनों में जाने वाले पूर्व महापौर कृष्णमुरारी मोघे 77 साल के हैं। विधानसभा चार की विधायक मालिनी गौड़ अभी 64 साल की हैं। वहीं ताई के नाम से पहचान रखने वाली सुमित्रा महाजन 82 साल की हो चुकी हैं।

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75 साल को लेकर खूब चली बातें

साल 2014 में जब पीएम पद पर नरेंद्र मोदी आए और कई दिग्गज बीजेपी नेता मार्गदर्शक मंडल में चले गए, तब बात चली कि 75 साल के बाद सक्रिय राजनीति से अलग किया जाएगा और टिकट नहीं देंगे। इसी कड़ी में 2019 में सुमित्रा महाजन भी हट गईं और शंकर लालवानी को इंदौर सांसद का टिकट दिया गया। कई और नेता हट गए। लेकिन अब खुद पीएम नरेंद्र मोदी 75 साल के हो गए हैं और संघ प्रमुख डॉ. मोहन भागवत भी। लेकिन इस उम्र वाले मामले को बीजेपी और संघ दोनों ने ही दरकिनार किया हुआ है।

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