मध्यप्रदेश की राजनीति में एक नया विवाद खड़ा हो गया है, जिसमें पूर्व मंत्री कमल पटेल के बेटे संदीप पटेल पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगे हैं। कांग्रेस के एससी प्रकोष्ठ के प्रदेश अध्यक्ष ने आरोप लगाया है कि संदीप पटेल ने मंडी समिति से फर्जी नोटशीट तैयार कर अपने नाम पर जमीन आवंटित करवाई और फिर उस जमीन को एचपीसीएल (हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड) के नाम पर लीज पर दे दिया। इसके बाद मंडी समिति ने एक पत्र जारी कर यह स्पष्ट कर दिया कि पेट्रोल पंप खोलने पर उन्हें कोई आपत्ति नहीं होगी।
किराया वसूली का आरोप
दावा है कि इस विवादित भूमि पर अब एचपीसीएल हर महीने संदीप पटेल को 23 हजार 500 रुपए किराया दे रही है, जबकि संदीप पटेल केवल 700 रुपए प्रति माह मंडी समिति हरदा को अदा कर रहे हैं। यह स्पष्ट रूप से सरकारी भूमि के दुरुपयोग और नियमों के उल्लंघन का मामला बनता है। नियमों के अनुसार, मंडी समिति की भूमि को किसी भी निजी व्यक्ति के नाम पर लीज पर नहीं दिया जा सकता। आरोपों के अनुसार, यह पूरा घोटाला कमल पटेल के प्रभाव में आकर किया गया है और इसे कानूनी रूप से चुनौती दी जाएगी।
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2005 में मिली थी जमीन, 2009 तक नहीं हुआ कोई निर्माण
कांग्रेस नेता प्रदीप अहिरवार के अनुसार, साल 2005 में मंडी समिति द्वारा संदीप पटेल के नाम पर भूमि आवंटित की गई थी। इस भूमि पर पेट्रोल पंप खोलने के लिए आवेदन किया गया था, लेकिन नियमानुसार दो साल के भीतर निर्माण कार्य होना अनिवार्य था। यदि दो वर्षों में निर्माण नहीं होता, तो आवंटन स्वतः रद्द हो जाता। बावजूद इसके, 2009 तक इस जमीन पर कोई निर्माण नहीं हुआ।
मंडी सचिव ने पत्र जारी किया
आरोपों के अनुसार, मंडी समिति के सचिव ने एक पत्र जारी कर संदीप पटेल को पेट्रोल पंप खोलने की अनुमति दी, जो पूरी तरह से नियमों के विरुद्ध था। इस मामले में नियमों की अनदेखी की गई और सरकारी संपत्ति को निजी स्वार्थ के लिए इस्तेमाल किया गया। इस पत्र के जरिए संदीप पटेल को भूमि का लाभ पहुंचाया गया, जबकि सरकारी नियमों के तहत ऐसा करना गलत है।
मामले की होगी जांच, ईओडब्ल्यू में दर्ज होगा केस
कांग्रेस नेता प्रदीप अहिरवार ने कहा कि इस मामले की गंभीरता को देखते हुए इसे आर्थिक अपराध अन्वेषण शाखा (ईओडब्ल्यू) में दर्ज करवाया जाएगा। उन्होंने आरोप लगाया कि इस पूरे मामले में बड़े स्तर पर अनियमितताएं की गई हैं और इसमें भ्रष्टाचार की बू साफ नजर आती है। अब यह देखना होगा कि प्रशासन इस मामले में क्या कदम उठाता है और दोषियों के खिलाफ क्या कार्रवाई होती है।
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