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BHOPAL. बेरोजगारी मध्य प्रदेश के युवाओं का अभिशाप बनती जा रही है। सरकारी नौकरियां युवाओं की पहुंच से दूर हो गई हैं। सरकार करोड़ों रुपए खर्च करने के बाद भी युवाओं को स्वरोजगार से जोड़ने में विफल रही है। प्र
प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री कौशल विकास योजनाओं पर हर साल 200 से 300 करोड़ रुपए खर्च कर रही है। इस लिहाज से अब तक इस पर 1000 करोड़ से ज्यादा खर्च किया जा चुका है। इसके बावजूद मध्यप्रदेश में 10 हजार युवाओं को भी स्व रोजगार से नहीं जोड़ा जा सका है।
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प्रशिक्षण पर हर साल करोड़ों खर्च
मध्य प्रदेश में स्वरोजगार योजनाओं के प्रशिक्षण के नाम पर कैसे छलावा हो रहा है। कैसे आम आदमी के टैक्स से वसूला गया रुपया सरकारी खजाने से प्रशिक्षण पर बर्बाद किया जा रहा है। यह प्रदेश में चल रहे प्रशिक्षण केंद्रों और युवाओं की स्थिति से समझा जा सकता है। यहां युवाओं को हुनर सुधारने का प्रशिक्षण दिया जाता है।
कौशल विकास की योजनाएं बेअसर
मध्यप्रदेश विधानसभा में बीजेपी विधायक डॉ. अभिलाष पांडे ने कौशल विकास योजनाओं की स्थिति पर सवाल उठाया था। इसके जवाब में मंत्री गौतम टेटवाल का जवाब इन योजनाओं की जमीनी हकीकत से पर्दा उठाने वाला था।
नहीं मिल रहा युवाओं को स्थाई रोजगार
मंत्री टेटवाल ने विधानसभा में बताया कि मुख्यमंत्री कौशल संवर्धन योजना के तहत जबलपुर में 1832 युवाओं को प्रशिक्षण मिला है। इस योजना के तहत प्रदेश में 47856 युवाओं को प्रशिक्षण मिला। प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना के तहत 34780 लोग प्रशिक्षित हुए। मंत्री ने बताया कि पीएम कौशल विकास योजना के तहत 6697 प्रशिक्षणार्थियों को स्व रोजगार या नियोजित रोजगार मिला है। कौशल विकास प्रशिक्षण से प्रदेश में 8 से 10 हजार युवाओं को रोजगार मिला।
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कमाना नहीं सिखा पाई योजना
मुख्यमंत्री सीखो कमाओ योजना अंतर्गत मध्य प्रदेश में 4.40 लाख युवाओं ने रोजगार के अवसर से जुड़ने आवेदन किया है। जबकि योजना के तहत 9.34 लाख युवा रजिस्टर्ड है। लेकिन रोजगार के अवसर केवल 3876 युवाओं को ही मिल पाए हैं।
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