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BHOPAL. प्रधानमंत्री के आह्वान पर मध्य प्रदेश में मां की बगिया अभियान चल रहा है। वहीं, सागर में जिला प्रशासन ने डेढ़ हजार से ज्यादा पेड़ काट डाले। ये पेड़ कोरोना महामारी के दौरान रोपे गए थे। कलेक्टर कार्यालय में राम वन संस्था ने इन्हें लगाया था।
सोमवार को प्रशासन ने जेसीबी मशीन से पेड़-पौधों को काट डाला। इन पेड़ों को कचरे के ढेर में मिला दिया गया। ऑक्सीजन बैंक के इस बगिया के उजड़ने पर लोग नाराज हैं। भोपाल की राम आस्था मिशन अब इस शिकायत को पीएम मोदी तक भेजने की तैयारी कर रहा है।
पीएम-सीएम रोप रहे, अफसर उजाड़ने में जुटे
मध्य प्रदेश में सरकार पेड़ों की सुरक्षा के लिए हमेशा प्रतिबद्धता जताती रही है। पूर्व सीएम शिवराज सिंह चौहान रोज एक पौधा लगा रहे हैं। डॉ. मोहन यादव की सरकार पर्यावरण सुरक्षा के लिए पीएम मोदी के आह्वान पर काम कर रही है।
मां की बगिया और एक पेड़ मां के नाम जैसे मिशन चलाए जा रहे हैं। वहीं, उनके अधिकारी ही पर्यावरण को नुकसान पहुंचा रहे हैं। सागर जिले के कलेक्टर कार्यालय परिसर में सोमवार को डेढ़ हजार पेड़ काटे गए। यह सरकार के संकल्प के बिल्कुल विपरीत है।
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सरकार के संकल्प पर भारी सागर के अधिकारी
कलेक्ट्रेट परिसर में जिस ऑक्सीजन बैंक को उजाड़ा गया, वह तत्कालीन कलेक्टर दीपक सिंह ने खुद खड़े रहकर तैयार कराया था। भोपाल के अरेरा कॉलोनी स्थित राम आस्था मिशन के तन्मय जैन भी ऑक्सीजन बैंक को उजाड़ने से दुखी हैं। उन्होंने सागर में पूर्व मंत्री भूपेंद्र सिंह, अधिकारियों और पर्यावरणप्रेमियों के साथ मिलकर ऑक्सीजन बैंक रोपे थे। अब उनका यह बगीचा उजड़ गया है, जिसे लेकर वे बहुत निराश हैं।
उन्होंने जिला प्रशासन की इस हरकत की शिकायत पीएम नरेंद्र मोदी से करने की तैयारी कर ली है। जैन ने कहा कि संस्था ने मियावाकी पद्धति से कलेक्ट्रेट की पथरीली जमीन पर बगीचा तैयार किया था। यहां लगाए गए पौधे तीन-चार साल में 15 से 25 फीट ऊंचे हो गए थे। प्रशासन ने न तो प्रकृति की परवाह की और न ही लोगों की भावनाओं का सम्मान किया। उन्होंने इन पेड़ों को काट दिया।
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कलेक्टर कार्यालय परिसर में 1500 पेड़ काटने की खबर
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निर्वाचन शाखा के कमरों के लिए पेड़ों की बलि
डेढ़ हजार पेड़ों की कटाई के बाद अब जिला प्रशासन इसे जरूरी बताने में जुट गया है। इसके लिए अधिकारी जो तर्क दे रहे हैं, वो किसी भी दृष्टि से सही नहीं माने जा सकते।
अधिकारियों का कहना है परिसर में निर्वाचन शाखा के लिए दो कमरे बनाने के लिए जगह चाहिए थी। पुराने कक्षों के पास दूसरी जगह नहीं होने की वजह से पेड़ों की कटाई की गई है।
भले ही अधिकारी अपनी गलती को सही ठहराने के लिए ये सफाई दे रहे हैं, लेकिन हकीकत यह है कि निर्वाचन शाखा के पुराने भवन के पास इससे भी ज्यादा जगह खाली पड़ी है। पास में ही अधिकारियों के वाहनों की पार्किंग का स्थान भी कमरे बनाने में उपयोग किया जा सकता था।
स्मार्ट सिटी और कलेक्टर कार्यालय के बीच में भी जगह खाली है। परिसर के पूर्वी हिस्से में भी कमरे बनाने के लिए पर्याप्त जगह है। इसके बावजूद डेढ़ हजार पेड़ों की बेरहमी से बलि दे दी गई।
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किसने कटवाए पेड़ सागर कलेक्टर अनजान
कलेक्ट्रेट परिसर में डेढ़ हजार से ज्यादा पेड़ दिन दहाड़े उजाड़ दिए गए। कलेक्टर का वाहन जहां खड़ा होता है, उससे चंद मीटर दूर ही यह बगीचा था। इसे सोमवार को बंजर पथरीली जमीन में बदल गया।
सागर कलेक्टर संदीप जीआर सुबह ऑफिस पहुंचे और शाम को वापस लौटे। अब जब लोगों ने ऑक्सीजन बैंक उजड़ने पर सवाल उठाया है, तो वे इससे अनभिज्ञता जता रहे हैं। कलेक्टर का कहना है उन्होंने पेड़ काटने का आदेश नहीं दिया था। वे पता लगा रहे हैं कि किसके आदेश पर परिसर में पेड़ काटे गए हैं।
ताज्जुब इस बात का है कि कलेक्टर कक्ष से निकलने के बाद सीधे नजर इसी बगीचे पर जाती है। फिर जब दिन में कई घंटे जेसीबी मशीनें ऑक्सीजन बैंक को रौंदती रहीं, तब उनका शोर भी कलेक्टर को सुनाई नहीं दिया। जबकि यहां बैठने वाले अधिकारी जनसुनवाई में आने वाले लोगों के शोर में चंद मिनट में ही परेशान हो जाते हैं।
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एयर क्वालिटी इंडेक्स से उजागर पेड़ों की कटाई
सागर जिला मुख्यालय पर लगातार विकास और निर्माण के नाम पर अधिकारी पेड़ों की कटाई करा रहे हैं। बीते पांच साल में ही स्मार्ट सिटी के कामों ने हजारों पेड़ों की बलि ले ली है। पहले आरटीओ तिराहे से सिविल लाइन आईजी बंगले के बीच सड़क चौड़ी करने के नाम पर हजारों पेड़ काटे गए।
लोगों के विरोध के बाद इन्हें दूसरी जगह रि-प्लांट करने का भरोसा दिलाया गया, लेकिन यह केवल छलावा ही साबित हुआ। कभी पेड़ों के कारण इस हिस्से में शहर के दूसरे क्षेत्रों के मुकाबले 5 डिग्री तक तापमान कम रहता था, अब यह स्थिति बदल चुकी है। शहर की हवा की शुद्धता भी प्रभावित हुई है।
स्मार्ट सिटी के मॉनिटरिंग सिस्टम के अनुसार इस सप्ताह में एयर क्वालिटी इंडेक्स में गिरावट रही है। हवा की शुद्धता के लिए एक्यूआई 50 से कम रहना चाहिए, लेकिन अब यह 170 से 250 तक जा रहा है। 20 नवंबर को शहर का एक्यूआई 230 दर्ज किया गया था। जबकि 21 नवंबर को यह 225, 22 नवंबर को 232 और 23 नवंबर को एक्यूआई 222 रिकॉर्ड हुआ था।
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