एमपी सरकार ने बदला 51 साल पुराने खजुराहो डांस फेस्टिवल का नाम, अब 2026 में गूंजेगा नटराज महोत्सव

मध्य प्रदेश के 51 साल पुराने खजुराहो डांस फेस्टिवल का नाम बदल गया है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने इसे 'नटराज महोत्सव' नाम दिया है। 2026 से यह आयोजन इसी नाम से होगा। खजुराहो नृत्य समारोह का नाम बदलने के पीछे की सारी प्रोसेस यहां जानें।

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Anjali Dwivedi
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Photograph: (The Sootr)

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Bhopal. मध्य प्रदेश का खजुराहो नृत्य समारोह बहुत प्रसिद्ध है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के निर्देश परअब इसका नाम बदल दिया गया है। इस प्रसिद्ध आयोजन का नया नाम नटराज महोत्सव रखा गया है। साल 2026 से इसका आयोजन इसी नए नाम से होगा।

खजुराहो दुनिया भर के नृत्य प्रेमियों के लिए एक खास जगह है। यहां कला की पुरानी परंपरा सालों से जीवित है। यह समारोह 1975 में शुरू हुआ था। पांच दशकों में इसने बड़ी पहचान बनाई है। यहां प्रस्तुति देना कलाकारों के लिए सम्मान की बात है।

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नाम बदलने की खास वजह क्या है? 

एमपी सरकार का कहना है कि यह सिर्फ नाम बदलने तक सीमित नहीं है। यह एक सांस्कृतिक प्रयास है, जिसका मुख्य मकसद भारतीय शास्त्रीय नृत्य की परंपरा को जोड़ना है। इसे देव नटेश भगवान शिव से जोड़ा जाएगा। नटराज महोत्सव नए नाम के साथ 2026 का महोत्सव होगा। यह एक नए रूप और नई भावना के साथ आयोजित होगा।

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क्यों चुना गया नटराज नाम

मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने इसकी वजह बताई है। भारतीय शास्त्रीय नृत्य की मूल प्रेरणा भगवान नटराज हैं। इसलिए समारोह का नाम भी वैसा होना चाहिए। नाम दिव्यता और सांस्कृतिक भावना को दर्शाना चाहिए। इसी सोच के साथ नया नाम नटराज महोत्सव रखा गया है।

नटराज भगवान शिव का एक रूप है। इसमें वे ब्रह्मांडीय नृत्य करते हैं। यह नृत्य सृष्टि, संचालन और संहार का प्रतीक है। भारत के सभी शास्त्रीय नृत्य नटराज दर्शन से जुड़े हैं। इसलिए यह नाम इसे और आध्यात्मिक बनाता है। खजुराहो मंदिरों और शिव परंपरा के लिए यह नाम सही है।

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1975 में हुई थी शुरुआत

खजुराहो नृत्य समारोह (Khajuraho Dance Festival) की शुरुआत 1975 में हुई। धीरे-धीरे इसने अंतरराष्ट्रीय पहचान बनाई। आज यह भारत के सबसे प्रतिष्ठित सांस्कृतिक आयोजनों में है। हेमा मालिनी, मीनाक्षी शेषाद्री जैसे बड़े कलाकार यहां आए हैं।

कलाकारों के लिए यह मंच सपने जैसा होता है। हाल ही में इसका 50वां स्वर्ण जयंती साल मनाया गया। अब तक कुल 51 आयोजन हो चुके हैं। इसके बाद ही सरकार ने नाम बदलने का फैसला लिया।

खजुराहो से वैश्विक पहचान तक

जब 1975 में पहला आयोजन हुआ। किसी ने सोचा नहीं था कि यह वैश्विक पहचान पाएगा। इन पांच दशकों में यहां दिग्गज कलाकार आए हैं। हेमा मालिनी, सोनल मानसिंह, बिरजू महाराज यहां आ चुके हैं। कला जगत में कहा जाता है जिसने खजुराहो में प्रस्तुति दी उसने अपनी कला को नई ऊंचाई दी।

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नटराज महोत्सव 2026 की तैयारी

आने वाले सालों में नटराज महोत्सव को खास बनाया जाएगा। यह पूरी तरह भारतीय और पारंपरिक रूप में सजेगा। मंच डिजाइन में शिव तत्व का उपयोग होगा। खजुराहो मंदिरों की नक्काशी भी दिखेगी। नटराज दर्शन का इस्तेमाल भी होगा। सरकार इसे भारत का सबसे बड़ा अंतरराष्ट्रीय नृत्य उत्सव बनाना चाहती है। कई देशों के कलाकार इसमें आमंत्रित होंगे।

युवाओं के लिए एक अलग मंच बनेगा। इसका नाम “नटराज युवा मंच” होगा। यहां छात्र कलाकारों को मौका मिलेगा। कार्यक्रम का डिजिटल प्रसारण भी होगा। इससे दुनिया भर के दर्शक जुड़ेंगे।

खजुराहो क्यों है अनोखा मंच

MP का खजुराहो दुनिया का सबसे अनोखा मंच है। यहां नृत्य प्रस्तुति मंदिरों की नक्काशी के बीच होती है। यह जगह कला और आध्यात्मिकता का संगम है। खजुराहो का माहौल कलाकारों को ऊर्जा देता है। रात में रोशनी में प्रस्तुति देखना अद्भुत अनुभव है। यहां नृत्य करना भारतीय सभ्यता को जीवंत करना माना जाता है।

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