खंडवा में पानी को लेकर उबला जनआक्रोश, SDM बजरंग बहादुर सिंह की बदजुबानी पर हंगामा

खंडवा में पानी की भीषण कमी और प्रशासन की बेरुखी से नाराज जनता ने इंदिरा चौक पर चक्काजाम कर विरोध जताया। SDM बजरंग बहादुर सिंह द्वारा प्रदर्शनकारियों को डांटने और धमकाने की भाषा ने आग में घी डालने का काम किया। 

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Sandeep Kumar
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मुश्ताक मंसूरी @ खंडवा

जिले में पानी की भीषण समस्या ने जनता का गुस्सा उबाल दिया। दरअसल इंदिरा चौक पर बड़ी संख्या में लोग सड़क पर उतर आए और पानी की मांग को लेकर चक्काजाम कर दिया। चक्काजाम कर रही भीड़ को समझाने पहुंचे SDM बजरंग बहादुर सिंह ने प्रदर्शनकारियों से कड़े लहजे में बात की। जब एक महिला ने कहा कि उनके मोहल्ले में एक सप्ताह से पानी नहीं आया है, तो SDM ने इसे नियम विरुद्ध बताकर कार्रवाई की धमकी दे डाली।

इस पर महिला ने तीखा पलटवार करते हुए कहा कि हम इंसान हैं, अपराधी नहीं। जेल में डाल दोगे तो कम से कम पानी तो मिलेगा। इस जवाब ने मौके पर मौजूद लोगों को और अधिक भड़का दिया और अन्य महिलाएं भी आगे आकर प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी करने लगीं।

क्या ये लोकतंत्र है?

प्रदर्शन के दौरान यह सवाल हर ओर गूंजता रहा कि क्या जनता को अपनी मूलभूत जरूरतों के लिए सड़क पर उतरने का भी अधिकार नहीं है? क्या कोई प्रशासनिक अधिकारी जनता को खुलेआम धमका सकता है? क्या ये लोकतंत्र है या नौकरशाही का घमंड? जनता ने पूछा कि यदि अधिकारी खुद को जनता से ऊपर समझने लगें, तो जनता की सुनवाई कौन करेगा?

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SDM की कार्यशैली पहले भी रही है विवादों में

SDM बजरंग बहादुर सिंह का यह व्यवहार कोई नया नहीं है। इससे पहले भी उनके विरुद्ध अभद्र आचरण को लेकर जनप्रतिनिधियों और सामाजिक संगठनों ने कई बार नाराज़गी जताई है। कुछ मामलों में लिखित शिकायतें भी दर्ज की गईं, लेकिन हर बार मामला दबा दिया गया। सूत्रों के अनुसार, उनके खिलाफ आचरण से संबंधित एक जांच अभी भी लंबित है, लेकिन प्रशासनिक संरक्षण के चलते कार्रवाई होती नहीं दिख रही।

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अरबों की नर्मदा योजना बनी मजाक

खंडवा की जनता को नर्मदा जल योजना से बड़ी उम्मीदें थीं। अरबों रुपए की लागत वाली यह योजना अब मज़ाक बनकर रह गई है। शहर के कई इलाकों में हफ्तों पानी की एक बूंद नहीं पहुंचती। महिलाएं बर्तन लेकर सड़कों और निगम कार्यालयों के चक्कर लगा रही हैं। निगम की ओर से कभी-कभार टैंकर भेज दिए जाते हैं, जो अस्थायी राहत से ज्यादा कुछ नहीं होते। जनता का सीधा सवाल है कि जब योजना पूरी हो चुकी है तो पानी क्यों नहीं आ रहा? और दोषी कंपनियों पर अब तक कार्रवाई क्यों नहीं हुई?

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क्या मिलेगा जनता को न्याय?

अब सबसे बड़ा सवाल यही है कि क्या प्रशासन SDM की भाषा और रवैये के खिलाफ कोई ठोस कदम उठाएगा। प्रशासन और जनता के बीच बढ़ती दूरी इस घटना से साफ जाहिर होती है। अगर यह दूरी खत्म नहीं की गई, तो भविष्य में असंतोष और गहराता जाएगा।

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