वक्फ का विरोध वही कर रहे हैं, जो गरीब मुसलमानों के पक्ष में नहीं हैं: डॉ. सुधांशु त्रिवेदी

बीजेपी सांसद डॉ. सुधांशु त्रिवेदी ने वक्फ बिल संशोधन का विरोध करने वालों पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा यदि मुसलमानों की स्थिति खराब है, तो वक्फ की संपत्ति कैसे बढ़ी?

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Sandeep Kumar
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इंदौर के लता मंगेशकर सभागृह में संस्था सार्थक द्वारा एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव का एक वीडियो संदेश भी प्रसारित किया गया। संस्था के प्रमुख दीपक जैन "टीनू" ने बताया कि यह आयोजन विविध पंथों के बीच एकात्मता की भावना को सशक्त बनाने की दिशा में एक सार्थक पहल थी। कार्यक्रम में मौजूद बीजेपी सांसद डॉ. सुधांशु त्रिवेदी ने वक्फ बिल संशोधन कानून का विरोध करने वालों पर निशाना साधा है। उन्होंने कहा कि मुसलमानों की स्थिति यदि खराब थी, तो वक्फ की संपत्ति कैसे बढ़ी? सुधांशु ने कहा है कि जो हुक्मराने मुल्क थे, वे फकीर कैसे हो गए?

वक्फ का विरोध क्यों

डॉ. त्रिवेदी ने कहा कि वक्फ का विरोध वही कर रहे हैं, जो गरीब मुसलमानों के पक्ष में नहीं हैं। उनका आरोप था कि कुछ दल इस मुद्दे को राजनीतिक फायदे के लिए इस्तेमाल कर रहे हैं। मुस्लिम समाज की असल समस्याओं पर ध्यान नहीं दिया जा रहा। उन्होंने विरोध करने वाले विपक्षी दलों पर निशाना साधते हुए कहा कि कांग्रेस जैसे दल ऐसे सवालों से अपने अस्तित्व को संकट में पाते हैं। मुस्लिम समाज की स्थिति को सुलझाने में विफल रहते हैं।

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वक्फ की संपत्ति कैसे बढ़ी?

डॉ. त्रिवेदी ने आगे कहा, यदि मुसलमानों की स्थिति खराब है, तो वक्फ की संपत्ति कैसे बढ़ी? जो हुक्मराने मुल्क थे, वे फकीर कैसे हो गए?। उन्होंने यह सवाल उठाया कि जब मुसलमानों की आर्थिक स्थिति इतनी खराब है, तो वक्फ की संपत्ति कैसे बढ़ी, और इसका उपयोग कैसे किया गया, यह जानना जरूरी है।

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क्यों अल्पसंख्यक मुस्लिम समाज पिछड़ा 

बीजेपी सांसद ने सवाल किया कि क्यों अल्पसंख्यक मुस्लिम समाज पिछड़े हुए हैं। वहीं पारसी समुदाय सबसे ज्यादा शिक्षित हो गया है। जैन समुदाय सबसे ज्यादा इनकम टैक्स देने वाला बन गया और सिख समुदाय ने देश भक्ति का सबसे बड़ा उदाहरण प्रस्तुत किया है। उन्होंने यह भी पूछा कि अफजल गुरु की फांसी माफी पर एकजुट होने वाले लोग क्यों नहीं वंदे मातरम गाते?

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भारतीय मुसलमानों की उपलब्धियां

डॉ. त्रिवेदी ने कहा कि मुस्लिम समाज में कई महान विद्वान हुए हैं, जैसे कि पूर्व राष्ट्रपति डॉ. अबुल कलाम, जिन पर भारतीय समाज को गर्व है। उन्होंने कहा औरंगजेब के भाई दारा शिकोव ने संस्कृत सीखी और पद्मावत को मलिक मोहम्मद जायसी ने लिखा था। डॉ. त्रिवेदी ने कहा कि कृष्ण भक्त कवि रसखान ने भक्ति की नई अवधारणा स्थापित की। 

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भारतीय राजनीति पर सवाल

डॉ. सुधांशु त्रिवेदी कहा कि जब बीजेपी ने डॉ. अबुल कलाम को फिर से राष्ट्रपति बनने के लिए प्रस्तावित किया तो विपक्षी दल इसके खिलाफ थे। त्रिवेदी ने कहा कि अगर वक्फ और मुस्लिम समाज के मुद्दे पर विरोधी दल अपनी नीयत और नीति को समझते तो देश में बहुत बदलाव आ सकता था।

विविधता में एकता का संदेश

संस्था सार्थक के प्रमुख दीपक जैन "टीनू" ने कहा कि हमारा प्रकटीकरण भले ही भिन्न हो, लेकिन हमारी आंतरिक भावना एक है-वह है एकात्म का भाव। चाहे हमारे पंथ अलग-अलग हों, लेकिन लक्ष्य एक ही है- आत्मकल्याण और राष्ट्र की सेवा। यही आयोजन की मूल संकल्पना थी। उन्होंने यह भी कहा कि धर्म को केवल पूजा-पद्धति तक सीमित न रखते हुए, जीवन के व्यवहार और कर्तव्यों में उतारने की आवश्यकता है।

 

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